सिक्किम में नागरिक संशोधन बिल को लागू करने की आवश्यकता नहीं: केबी राई
सिक्किम में नागरिकों की पहचान के लिए स्पष्ट मापदंड होने के कारण सिटिजंस एमेंडमेंट बील व एनआरसी लागू करनेकी कोई आवश्यकता नहीं है।
गंगटोक, जागरण संवाददाता। सिक्किम में नागरिकों की पहचान के लिए स्पष्ट मापदंड होने के कारण सिटिजंस एमेंडमेंट बील व एनआरसी लागू करनेकी कोई आवश्यकता नहीं है।
यह बातें सिक्किम रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष केबी राई ने कही है। उन्होंने कहा कि सिक्किम के पास विशेष संवैधानिक सुरक्षा 371 (एफ) है। जिसके तहत सर्टिफिकेट ऑफ आइडेंटिफिकेशन के जरिए यहां के नागरिकों को पहचान है। लेकिन सिटिजंस एमेंडमेंट बील व एनआरसी के कारण सिक्किम जैसे छोटी राज्य में बांग्लादेश, पाकिस्तान व अन्य राष्ट्रों के नागरिकों को नागरिकता का मान्यता मिलने की संभावना है। जिससे यहां के असली नागरिकों अल्पसंख्यक होने का खतरा की स्थिति है।
अब, यह बिल लोकसभा में पारित होने जा रहा है। इसी वजह से राज्य के एक मात्र लोकसभा सांसद इंद्र हांग सुब्बा को संसद में इस प्रश्न को अवश्य उठाना चाहिए। यदि आवश्यक पडऩे पर विरोध करने के लिए हमारी पार्टी सत्तासीन दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के साथ लामबद्ध होने के लिए भी तैयार है। उन्होंने सिक्किम के संवैधानिक विशेषता को बताया रखने के लिए भी इस तरह के विधेयकों को विरोध होने तथा केंद्र सरकार को भी सिक्किम के लोगों की भावनाओं को कद्र करने की आवश्यता पर जोर दिया है।
पंचायत राज मंत्री से सांसद ने भेंट की
राज्य की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों को हाई अल्टिड्यूट दैनिक ज्याला देने की मांग लोकसभा सांसद इंद्र हांग सुब्बा ने की है। उन्होंने मंगलवार को केंद्रीय पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्य की कई मांगों बतौर लिखित तौर पर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान उन्होंने हाई अल्टिड्यूट दैनिक ज्याला के दायरे में उत्तरी सिक्किम ग्राम पंचायत ईकाई ल्हाचेन जुमसा, ल्हाचुंग जुमसा व पूर्वी सिक्किम के नाथांग ग्राम पंचायत को शामिल करने का आग्रह किया है।
उन्होंने उक्त स्थानों 8001 फीट से ऊंचाई से अधिक होने तथा छह महीनें पूरी हिमपात के चादर में सीमटने तथा ऊंचाई में विकट मौसम के कारण कई कठिनाइयां होने की जिक्रकिया। उन्होंने इस परिस्थिति के कारण श्रम के कार्यों भी उतना ही कठिन होने का अवगत किया। उन्होंने इस वजह से अन्य क्षेत्रों के तुलना में अधिक दैनिक ज्याला का व्यवस्था करने की मांग रखा है। उन्होंने पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वयन कई योजनाओं पहाड़ी राज्यों के भौगोलिक संरचना के तहत होने का मांग भी रखा है।