उत्तर कन्या अभियान में हजारों मजदूरों ने मिलाया कदम
फोटो संजय एक व दो -पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोका, सड़क जाम कर किया प्रदर्शन -प्रतिनि
फोटो संजय एक व दो
-पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोका, सड़क जाम कर किया प्रदर्शन
-प्रतिनिधि मंडल ने जाकर चार सूत्री मांग की प्रतियां सौंपा
कहा, मांगे न मानी गयी तो करेंगे व्यापक आंदोलन
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : चाय श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, मजदूरों के राशन के बदले उसके दाम, सभी मजदूरों को जमीन का पट्टा और बंद चाय बागानों को अविलंब खोलने की मांग को लेकर उत्तर कन्या (मिनी सचिवालय) अभियान में बुधवार को हजारों श्रमिकों ने कदम से कदम मिलाया। इसमें उत्तर बंगाल के तराई, डुवार्स और हिल्स से बड़ी संख्या में मजदूर आए हुए थे। इसका नेतृत्व ज्वाइंट फोरम के बैनर तले जिलाउल आलम, अभिजीत राय, अभिजीत मजुमदार, अनिसुर रहमान, अमर लामा, अलोक चक्रवर्ती, गौतम घोष, समन पाठक, मणि दर्नाल, गोपाल प्रधान, रोबिन राई आदि मौजूद थे। श्रमिकों को रोकने के लिए पुलिस के पहले घेरे को श्रमिकों ने तोड़ दिया जिसके दौरान पुलिस के साथ धक्का मुक्की भी हुई। उसके बाद दूसरे घेरे को श्रमिक तोड़ पाने में असफल रहें। उसके बाद तीनबत्ती के निकट श्रमिकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करना प्रारंभ कर दिया। यात्रियों और रोगियों को हो रही असुविधाओं को ध्यान में रखकर यूनियन नेताओं के आह्वान पर मजदूरों ने सड़क को जाम मुक्त कर दिया। उसके बाद मजदूरों को पास के एक मैदान में ट्रेड यूनियन नेताओं ने संबोधित किया। पुलिस के काफी आग्रह के बाद ट्रेड यूनियन के 25 प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों के समर्थन में उत्तर कन्या जाकर बरूण राय को मांगपत्र सौंपा। नेताओं ने लौटकर पत्रकारों को बताया कि नौ माह से सरकार न्यूनतम मजदूरी लागू करने की मांग पूरा करने की बात करती आ रही है। उसे आजतक पूरा नहीं किया जा सका। चाय श्रमिकों के रोष को देखते हुए दिसंबर 2017 में सरकार ने आनन फानन न्यूनतम वेतन को लेकर सिलीगुड़ी उत्तर कन्या में त्रिपक्षीय बैठक की। वह भी असफल रहा। सरकार की ओर से श्रममंत्री मलय घटक ने कहा कि जनवरी से सभी चाय बागान के मालिकों को मजदूरों को अंतरिम राहत राशि के रूप में 132.50 के बदले 150 रुपये भुगतान करेंगे होंगे। इसे भी मालिक पक्ष नहीं मानकर मात्र 10 रुपये बढ़ाने की बात की।
नेताओं ने कहा कि उस बैठक में राशन पर कोई बात नहंी हुई है। दूसरे राज्यों में श्रमिकों को राशन मुहैया कराया जा रहा है साथ ही केंद्र सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना के तहत भी राशन मिलता है। बंगाल में एक राशन देते हुए दूसरे राशन को बंद कर दिया गया। यह ठीक नहीं है। सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन के बदले 17.50 रुपये बढ़ाने को वे विरोध किया गया और प्रत्येक चाय बागानों में प्रदर्शन किया गया। आज भी मजदूरों के प्रदर्शन को अगर सरकार नजर अंदाज करती है तो इसका विरोध करते हुए आंदोलन किया जाएगा। श्रमिकों के साथ यूनियन नेताओं का कहना है कि दो सौ वर्षो से यहां चाय मजदूरों को उसको अपना जमीन तक नहीं मिल पाया है। ऐसे में सरकार तुरंत उसे वादा के अनुसार जमीन का पट्टा दे अन्यथा इसको लेकर आंदोलन के पथ पर मजदूर किसी की भी नहीं सुनने वाले।