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पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार में गूंजेगा गणपति बप्पा मोरिया

बड़ी तैयारी में जुटे आयोजक, कही दस दिन तो कही तीन दिनों की होगी पूजा -मुंबई के तज

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 03:34 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 03:34 PM (IST)
पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार में गूंजेगा गणपति बप्पा मोरिया
पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार में गूंजेगा गणपति बप्पा मोरिया

बड़ी तैयारी में जुटे आयोजक, कही दस दिन तो कही तीन दिनों की होगी पूजा

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-मुंबई के तर्ज पर घर-घर में सिद्धि विनायक की होगी पूजा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी । पिछले कुछ वर्षो से यहां गणपति बप्पा की पूजा मुंबई के तर्ज पर हो रही है। पूजा का क्रेज इतना ही है कि यहां अभी से ही गणेशोत्सव को घर-घर में तैयारी प्रारंभ कर दी गयी है। गणेश चतुर्थी के मौके पर दस दिन गजानन की पूजा, अर्चना का विधान होने लगा है। शहर में कई सार्वजनिक स्थानों पर जैसे विधानमार्केट, सेवक मोड़, सेवक चर्च रोड मोड़,नया बाजार खालपाड़ा, कॉलेजपाड़ा, प्रधाननगर आदि क्षेत्रों में बहुत से लोग सामूहिक रूप से पूजा अर्चना करते हैं। शहर में सैकड़ों ऐसे घर है जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। शहर में जगह-जगह गणेश उत्सव की तैयारिया अंतिम चरण में चल रही है। चल रही हैं। गणेशजी की पूजा अर्चना के साथ महिलाएं परिवार की सुख, समृद्धि की कामना के साथ व्रत भी रखती हैं। 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। इसका विसर्जन

इस दिन से जगह-जगह सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव आयोजित किए जाएंगे। बहुत से भक्त सात दिन गणेश जी की पूजा करते हैं तो कई जगह दस दिन गणेश उत्सव के दौरान पूजा, अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी पर गणेशजी विराजमान किए जाते हैं। गणेशजी के दस प्रमुख नामों के कारण दस दिन पूजा की जाती है।

ये है श्री गणेश की कथा :गणेश की कथा के संबंध में आचार्य पंडित यशोधर झा ने बताया कि इसकी कथा पर ध्यान दे तो एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी तो उन्होंने अपने अपनी योग शक्ति से प्रतिमा में प्राण डाल दिए और उस प्रतिमा को द्वारपाल के रूप में दस नाम प्रदान किए। गणेश, विश्वचक्षुषे, विश्व वरदाय, विघ्नेशयाय, सर्वात्मनामने, हिरण्य रूपाय, विद्या निधये, महाबाहवे, योगाधाम्ने, च्योति रूपाय नाम से अपने द्वार पर स्थित कर दिया और आज्ञा दी कि किसी को अंदर मत आने देना। गणेश जी द्वार पर खड़े थे, तभी भोले शकर आ गये और उन्होंने अन्दर जाने का प्रयास किया गणेशजी ने उन्हें रोक दिया। क्योंकि माता की आज्ञा का पालन करना था तो भोले शकर गुस्सा हो गए और उन्होंने गणेश जी का शीश काट दिया। जैसे ही माता पार्वती ने गणेश जी के शीश को कटे देखा तो माता भोले शकर से नाराज हो गई और अपने पुत्र को जीवित करने के लिए भोले शकर से प्रार्थना करने लगी भोले की आज्ञानुसार गणेश के शीश पर हाथी के बच्चे का शीश विराजमान कर दिया। माता पार्वती की ओर से दस नाम दिए जाने के कारण ही गणेश उत्सव भी दस दिन मनाया जाता है। अगर आप अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने जा रहे हैं तो सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान करा लें। दूध, दही, शहद, घी, बूरा के साथ गंगाजल से स्नान कराने के बाद चावल, मौली तथा फूल गणेश को अर्पित करें। इसके साथ ही पूजा का संकल्प भी लें। जहा मूर्ति स्थापित की गई है, वहा प्रतिदिन सुबह व शाम पूजा, अर्चना करें।


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