हमेशा गूंजती रहेंगी अटल जी की अटल वाणी : रामपुरिया
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : अटल जी दल से पहले उठकर राष्ट्रहित में सोचने वाले महापुरुष थ
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : अटल जी दल से पहले उठकर राष्ट्रहित में सोचने वाले महापुरुष थे। उनके द्वारा दी गयी अटल वाणी राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में कार्य करने वाले आने वाले पीढि़यों के बीच यह गूंजयमान रहेगा। यह आज भी अटल है और कल भी अटल रहेगा। यह कहना है विश्व हिंदू परिषद के जिला प्रवक्ता सुशील रामपुरिया का। रविवार को प्रणामी मंदिर रोड स्थित विहिप के जिला कार्यालय में आयोजित अटल बिहारी वाजपेयी श्रद्धांजलि सभा के आयोजन के दौरान उन्होंने कहीं। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के बाद उन्होंने जिस प्रकार जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर जनसंघ का जनता पार्टी में विलय किया वह उनकी उसी सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अटल जी बार-बार विजय में विनम्रता और पराजय में आत्ममंथन की बात कहते थे। देश में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। चाहे वह स्वर्णिम चतुर्भुज योजना हो या ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ये सभी अटल जी की महत्वाकाक्षी योजनाएं थी। जिसके बल पर आज गांव से शहर तक सड़क को देखा जा सकता है। इस मौके पर प्रांत सह संगठन मंत्री अनूप मंडल ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने भाग लिया। जो विरोधी यह कहते है कि भाजपा का आजादी में कोई योगदान नहीं है उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए। भारत छोड़ो आदोलन में जेल गए। 1951 से वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और तत्पश्चात भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष रहे। बाद में उन्होंने संसदीय दल के नेता और फिर प्रधानमंत्री के रूप में अविस्मरणीय योगदान दिया। विहिप के जिलाध्यक्ष सुदिप्त मजुमदार ने कहा कि वाजपेयी जी 1957 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1975 से 1977 तक उन्होंने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया। इसके फलस्वरूप उन्हें जेल की यातना भी सहनी पड़ी। लंबे समय तक नेता विरोधी दल रहने के उपरात वे मई, 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने। 1998-99 में दूसरी बार और 1999 से 2004 तक पुन: उन्होंने प्रधानमंत्री का पद सुशोभित किया। जिला सचिव और सह सचिव कमल राय और राकेश अग्रवाल ने कहा कि देश हो या विदेश, अपनी पार्टी हो या विरोधी दल, सभी उनकी प्रतिभा के कायल थे। इस मायने में अटल जी अजात शत्रु थे। उनकी वाणी पर साक्षात सरस्वती विराजमान थी। अपनी व्यक्तित्व क्षमता के कारण वे लोगों के दिलों में बसे थे। नगर अध्यक्ष लक्ष्मण वंसल ने कहा कि वे भारत के राजनेता थे। उनकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में थी। पहले सासद, फिर विदेश मंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत की विदेश नीति को नए आयाम दिए। उन्होंने 1993 में विपक्ष का नेता रहते हुए भी सरकार के प्रस्ताव को मानकर मानवाधिकार आयोग की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का फैसला किया। जेनेवा में इस आयोग की बैठक में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। अन्य लोगों में किशन अग्रवाल, बजरंग दल के जिलाध्यक्ष पवन गुप्ता तथा मनोज अग्रवाल ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। विहिप कार्यालय में स्व.अटल बिहारी वाजपेयी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। दिवंगत आत्मा की शाति के लिए उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखा। कुछ देर के लिए सीताराम का धून गाया गया।