जब संस्था ही फर्जी तो कौन सा रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जमा हुआ
200 करोड़ की उगाही का खेल-23 -बैंक खाता खोलने में नियम और कानून की उड़ी धज्जियां -कोर
200 करोड़ की उगाही का खेल-23
-बैंक खाता खोलने में नियम और कानून की उड़ी धज्जियां
-कोरोना काल के समय भी मात्र दो महीने में 12 करोड़ का लेनदेन
-पाबंदी के बाद भी कैसे जमा हुई 7.5 करोड़ की नगदी
2019
को पैन कार्ड जारी हुआ तो बैंक में जमा क्यों नहीं कराया 20
मार्च को नक्सलबाड़ी स्थित एक्सिस बैंक में खुला बैंक खाता जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी से सटे भारत-नेपाल सीमात पानीटंकी मे एक फर्जी संस्था को सरकारी भेस्ट जमीन व्यापारिक गतिविधि के लिए लीज पर दिये जाने का प्रकरण उजागर होने के बाद समाजसेवी संस्थाओ ने मोर्चा खोल दिया है। इस मामले की उच्चस्तरीय जाच की माग जोर पकड़ने लगी है।
सीमात इलाके मे सरकारी भेस्ट जमीन राज्य सरकार से लीज पर लेकर उसके आसपास की जमीन हड़पने की कोशिश हुई। वहां मार्केट बसाकर करोड़ो की उगाही का खेल रचने वाले भूमाफिया के लोगों ने बीते 20 मार्च को नक्सलबाड़ी स्थित एक्सिस बैंक की शाखा मे फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के नाम पर बैंक खाता खोला। सूत्रों की माने तो फर्जी संस्था के सचिव व व्यापारी घनश्याम करवा के निजी पैन कार्ड पर खाता खोला गया है। संस्था के नाम से पैन कार्ड बैंक खाता खोलने के समय जमा नहीं किया गया।
खाता खुलवाने के लिए एक लाख तीस हजार की रकम जमा कराई गई थी। उसके बाद कोरोना के इस आतंकित काल में बीते दो महीने में करीब 12 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। जिसमे करीब साढ़े सात करोड़ रुपया नगद जमा कराया गया है। सवाल यह कि कोरोना के कारण लॉकडाउन में सारा कारोबार बंद रहा। नोटबंदी के बाद दो लाख से अधिक नगद लेन देन भी नहीं कर सकते तो फिर मात्र दो महीने यानि साठ दिन में 7.5 करोड़ रुपये नगद में कैसे जमा हो गया।
इसके अतिरिक्त यह बचत खाता जीएलटीआरएस स्कीम के तहत खोलने की जानकारी भी मिली है। एक्सिस बैंक की योजनाओ के अनुसार इस तरह का बैंक खाता गैर सरकारी संस्थाओं, ट्रस्ट, सोसाइटी, एसोसिएशन, सेक्शन-25 ऑर्गनाइजेशन की सुविधा के लिए है। जबकि इस संस्था के पास रजिस्ट्रेशन तक का दस्तावेज नहीं है। रिजर्व बैंक के नियमानुसार संस्था का रजिस्ट्रेशन सíटफिकेट और पैन कार्ड आवश्यक है। फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के नाम पर मई 2019 को पैन कार्ड जारी हुआ है, जबकि फर्जी ही सही लेकिन संस्था का गठन तो अगस्त 2013 को ही बताया जा रहा है।
बैंक अधिकारी की क्या है सफाई
एक्सिस बैंक नक्सलबाड़ी शाखा के प्रबंधक बिप्लव विश्वास ने बताया कि सभी आवश्यक वैध दस्तावेजों के आधार पर ही मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन का खाता खोला गया है। खाता खोलते समय एसोसिएशन का रेजिस्ट्रेशन सíटफिकेट, मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और बाई लॉ जमा लिया गया है। विप्लव विश्वास ने तो यहां तक कहा कि इस संस्था के नाम पर बैंक खाता बीते 20 मार्च को नहीं बल्कि काफी पहले खोला गया है। हो सकता है लेनदेन बाद में हुआ हो।
प्रमाण पत्रों की करनी चाहिए थी जांच
अर्थात फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन जिसका अभी तक पश्चिम बंगाल सोसाइटी एक्ट-1961 के तहत पंजीकरण ही नहीं हुआ तो रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कहां से आ गया। संस्था के रजिस्ट्रेशन नहीं होने की पुष्टि दाíजलिंग जिला के डीपीएम कार्यालय व पश्चिम बंगाल फर्म्स, सोसाइटी एंड नॉन ट्रेडिंग कार्पोरेशन के रजिस्ट्रार कार्यालय कोलकाता के द्वारा भी की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त कोरोना के इस काल मे करीब दो महीनो के बीच 12 करोड़ का लेनदेन भी बैंक के शाखा प्रबंधक का संदिग्ध नहीं लगा। उन्होंने इस लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग तक को नहीं दी।
कई संगठनों ने की कार्रवाई की मांग
एक फर्जी संस्था को व्यापारिक गतिविधि के लिए सरकारी भेस्ट जमीन लीज पर दिये जाने को लेकर समाज सेवी संस्थाओ ने विरोध किया है। सिलीगुड़ी के ट्रिनिटी फाउंडेशन के विमान छेत्री ने बताया सोसायटी एक्ट के तहत दर्ज कोई भी संस्था व्यापारिक गतिविधि के लिए सरकार से जमीन लीज पर खरीद नहीं ले सकती है। बल्कि सामाजिक कार्य जैसे स्कूल, आनथालय या वृद्धाश्रम आदि के लिए जमीन लीज पर ली या खरीदी जा सकती है। जिसका पूरा विवरण सरकार को मुहैया कराना होगा। लेकिन जब यह संस्था रजिस्टर्ड ही नहीं है तो सरकारी भेस्ट या खास जमीन लीज पर लेकर मार्केट बसाना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
सामाजिक कार्यो के लिए ही मिल सकती है जमीन
वहीं सिलीगुड़ी शुभाषपल्ली वेलफेयर कमेटी और गैर सरकारी समाजसेवी संस्थाओ के जानकार बिप्लव दास ने बताया जब मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन सोसायटी एक्ट मे रजिस्टर्ड नहीं हुआ तो उसे संस्था माना ही नहीं जाएगा। ऐसे किसी सामाजिक संस्था को सामाजिक कार्य के लिए जमीन लीज या सरकारी सुविधा प्राप्त करने के लिए कम से कम तीन वर्षो का रजिस्ट्रेशन, आईटीआर और ऑडिट रिपोर्ट अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त संस्था के बैंक खाते से 50 हजार से अधिक के लेनदेन के लिए आयकर विभाग अधिनियम की धारा 12 (ए) के तहत पंजीकरण अनिवार्य है। इस तरह के फर्जीवाड़े की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। इस फर्जीवाड़े मे शामिल लोगों को कानूनन सजा मिलनी चाहिए। अन्यथा सामाजिक संस्था के नाम पर उगाही के खेल को बढ़ावा मिलेगा।