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फिर बोतल से निकला अलग कामतापुर राज्य का जिन्न

जागरण पड़ताल -अब उलफा कमांडर के साथ केएलओ चीफ की तस्वीर वायल -नेपाल में बन रही है सशस्त्र

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 07:29 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 07:29 PM (IST)
फिर बोतल से निकला अलग कामतापुर राज्य का जिन्न
फिर बोतल से निकला अलग कामतापुर राज्य का जिन्न

जागरण पड़ताल

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-अब उलफा कमांडर के साथ केएलओ चीफ की तस्वीर वायल

-नेपाल में बन रही है सशस्त्र आदोलन की रणनीति

-हथियार और धन जुटाने का हो रहा है काम

- पहले से परेशान जांच एजेंसियों की फिर उड़ी नींद

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वर्षो बाद फिर से बढ़ी सक्रियता

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साल में भूटाने से खदेड़े गए थे अशोक झा, सिलीगुड़ी: पिछले कई सालों से बोतल में बंद कामतापुर का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ निकला है। अलग कामतापुर राज्य की मांग को लेकर राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सशस्त्र आदोलन की तैयारी में कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन यानि केएलओ प्रमुख जीवन सिंह जुट गया है। वह इन दिनों नेपाल में रहकर 16 वर्षो बाद फिर से संगठन को मजबूत करने की तैयारी में लगा है। दो दिन पूर्व ही जीवन सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसकी सुरक्षा एजेंसियों ने अपने-अपने तरीके से जाच शुरू कर दी है। इसी जाच के दौरान केएलओ चीफ की एक तस्वीर 1990 से प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा के कमाडर इन चीफ परेश बरुआ के साथ मिली है। इसके बाद तो सुरक्षा एजेंसियों की दिन का चैन और रात की नींद खो गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परेश बरुआ का संपर्क प्रारंभ से ही गुरिल्ला युद्ध में सक्षम सीपीआई माओवादी मिलिट्री विंग्स के साथ है। 2004 से बाग्लादेश से भूमिगत हुए दोनों उग्रवादी संगठनों के ये प्रमुख म्यामार के उग्रवादी संगठन काछिन रेवेल्स व नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के सहयोग से आराम की जिंदगी बिता रहे थे। म्यामार में उग्रवादियों के खिलाफ अभियान के बाद अब ये नेपाल के इलाम, ईटभट्टा, दमक और चितवन इलाके में माओवादियो के संपर्क व संरक्षण में रह रहे हैं। यह दोनों नेपाल में हथियार और धन जमा करने में लगे हैं।

सुरक्षा एजेंसिया व पुलिस के अधिकारी आदोलन के समय एक्टिव रहे आदोलनकारी व सहयोगियों और उस समय की फाइल से जानकारी जुटाने में लगी है। नेपाल सीमात में भी खुफिया तंत्र से जानकारी जुटाई जा रही है। यह सब गुप्त तरीके से किया जा रहा है। खुफिया एजेंसी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2003 के 14 दिसम्बर से 14 जनवरी 2004 तक केएलओ ने भूटान में अपना कैंप लगाया था। बाद में वहां चले सैन्य ऑपरेशन ऑलआउट के बाद सब वहा से भाग गए थे। वहा से म्यामार चले गए थे। चीन के साथ नेपाल के अच्छे संबंध के कारण इन दिनों यह सभी नेपाल में शरणागत हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि नेपाल में म्यामार और बाग्लादेश से आने वाले रोहिग्या मुसलमानों और घुसपैठियों को ठिकाना दिलवाने में लगे हैं। नेपाल के साथ पारगमन संधि के कारण भारत-नेपाल के बीच लोगों का आना जाना लगा रहता है। सूत्रों ने बताया कि इसी का फायदा उठाकर जीवन सिंह उत्तर बंगाल में अपने संपर्क में रहने वालों को नेपाल बुलाकर मिल रहा है और साजिश को अंजाम देने में लगा है। कोरोना संकट के बाद होगा राजनीतिक आंदोलन- अतुल राय अलग राज्य कामतापुर के लिए राजनीतिक आदोलन करने वाले केपीपी कामतापुर पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल राय से दैनिक जागरण ने बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अलग राज्य के लिए कोरोना काल के बाद आदोलन होगा। वे अलग राज्य की माग से पीछे नहीं हटे हैं। जब यह पूछा गया कि आप तो टीएमसी को समर्थन करते हैं तो क्या राज्य सरकार इस बात करेगी, राय ने कहा कि वे टीएमसी को समर्थक करते हैं, वह भी मुद्दों पर । उनकी पार्टी टीएमसी की सहयोगी नहीं है। जहा तक सशस्त्र आदोलन की बात है तो वे इसका समर्थन नही करते हैं। गणतात्रिक तरीके से आदोलन होगा। कैसे समीर बन गया जीवन सिंह

सशस्त्र आदोलन के लिए चíचत रहे केएलओ चीफ जीवन सिंह का असली नाम समीर है। जब उसने अलग कामतापुर राज्य के लिए आन्दोलन का मन बनाया तो उल्फा चीफ परेश बरुआ से मिलने पहुंच गया। उसे पुलिस का मुखबिर समझकर जब जान से मारने की तैयारी हो रही तो वह सिर्फ एक बार परेश बरुआ से मिल सच्चाई बताने की जिद करने लगा। जब उसे परेश बरुआ से मिलाया गया तो बात बनी। उसने अलग राज्य की मांग के लिए आदोलन में सहयोग मांगा। यहीं परेश बरूआ ने पुलिस से बचने के लिए उसका नाम समीर से जीवन सिंह रख दिया।

किसी भी राष्ट्र विरोधी तत्वों को सिर उठाने नहीं दिया जाएगा। राज्य में किसी को भी कानून व्यवस्था हाथ मे नहीं लेने दिया जाएगा। जो भी कानून को हाथ में लेगा पुलिस उसे नहीं छोड़ेगी। पुलिस ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए पूरी तरह से सक्षम है।

ज्ञानवंत सिंह, एडीजी,कानून व्यवस्था


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