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खाता ना बही, दलाल राज जो कहे वही सही

आश्वासन के बाद भी 28 वर्षो से स्टॉल कि आस मे 13 खुदरा व्यापारी लगा रहे चक्कर -स्टेट मार्केटिंग बो

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 11:41 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 11:41 PM (IST)
खाता ना बही, दलाल राज जो कहे वही सही
खाता ना बही, दलाल राज जो कहे वही सही

आश्वासन के बाद भी 28 वर्षो से स्टॉल कि आस मे 13 खुदरा व्यापारी लगा रहे चक्कर -स्टेट मार्केटिंग बोर्ड के नियमो को ताख पर रख कर स्टालों कि खरीद-बिक्री से दलाल कट रहे चांदी मोहन झा, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर भारत मे कच्चे माल की सबसे बड़ी मंडी सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट प्रबंधन की मिलीभगत से दलाल राज इतना हावी हो चला है कि इनके सामने खाता-बही और पुराने रिकॉर्ड सब कुछ फेल है। रिकॉर्डेड आश्वासन के आधार पर उजारे खुदरा व्यापारी बीते 28 वर्षो से स्टॉल मिलने के इंतजार मे हैं। जबकि दूसरी ओर स्टेट मार्केटिंग बोर्ड कॉ नजर अंदाज कर स्टालों को बेच दिया गया है। और आज पहली बार गुप्त टेंडर प्रक्रिया अपना कर स्टॉल आवंटन किया जा रहा है। कहने को तो सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट किसानों की मंडी है। लेकिन यहां गरीबों और रोज कमाने-खाने वालों कि सुनने वाला कोई नहीं। बल्कि बाजार प्रबंधन कि मिली-भगत से इस मंडी मे दलालो का एकछत्र राज हो गया है। इनकी नजर मे न्यायपालिका से लेकर पुराने रिकॉर्ड, स्टेट मार्केटिंग बोर्ड और खाता-बही का कोई मूल्य ही नहीं है। मंडी मे नालो के ऊपर, सड़क किनारे और ठेला लगाकर जीविका चलाने वालों को सलामी लेकर मार्केट प्रबंधन ने वर्ष 1993 मे एक सौ और डेढ़ सौ वर्ग फीट का 54 इनमे वितरित किया। जिसमे ब्लॉक ए के बीस खुदरा व्यापारियों को हाइ कोर्ट के नाम का दुरुपयोग कर आज तक पेंच मे फसाए रखा है। इसके अतिरिक्त 13 खुदरा व्यापारी स्टॉल से वंचित रह गए। जिनमे से नौ को वर्ष 1998 मे मार्केट प्रबंधन ने सलामी के एवज मे स्टॉल मुहैया कराने का आश्वासन दिया। स्टॉल के लिए लगातार दबाव बनाने पर वर्ष 2011 के नौ फरवरी को तत्कालीन सचिव एम के रिजाल ने इन्हे आश्वासन दिया कि स्टेट मार्केटिंग बोर्ड के निर्देशानुसार आरआईडीएफ योजना के तहत 50 स्टॉल बनाए जाएंगे, जिसमे 2001 मे बनाई तालिका मे दर्ज खुदरा व्यापारियों को स्थान दिया जाएगा। जबकि इस निर्देशिका के मात्र एक सप्ताह पहले एक फरवरी 2011 को 400 वर्गफीट का एक स्टॉल एमएस-4 सत्यब्रत दास नमक एक व्यक्ति को एक लाख एक हजार सलामी के एवज मे 30 वर्षो के लिए लीज पर आवंटित कर दिया गया। जबकि इस लीज ऑफ डीड मे स्टेट मार्केट बोर्ड कि अनुमति का कहीं कोई जिक्र तक नहीं। अर्थात बोर्ड कि अनुमति के बिना ही स्टॉल आवंटित कर दिया गया। उन 13 खुदरा व्यापारियों को आज तक स्टॉल मुहैया कराये बिना ही सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के प्रिंसिपल यार्ड मे 64, सालबाड़ी किसान मंडी मे 7 और फासीदेवा किसान मंडी मे 20 स्टॉल आवंटन कि प्रक्रिया शुरु की गई है। राज्य के कृषि-विपणन मंत्री बिप्लब मित्रा ने विभाग के मुख्य सचिव और स्टेट मार्केटिंग बोर्ड के सीईओ की उपस्थिती मे बीते 18 सितंबर को हुई बैठक के बाद बताया था कि स्टाल आवंटन खुली नीलामी प्रक्रिया के तहत होगी। जबकि मार्केट के सचिव अधिक आमदनी का दावा करते हुए गुप्त नीलामी की प्रक्रिया को अपनाया है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से संदिग्ध बताई जा रही है। व्यापारियों की माने तो मंडी के दाहिने सर्कुलर रोड पर एमएस-1 से 29 स्टॉल बने हुए है। जबकि गुप्त नीलामी प्रक्रिया मे यहां एमएस-5 से 29 तक कुल 25 स्टॉल बताया गया है। स्पष्ट है कि एमएस-1 से 4 तक पहले ही बेच दिया गया है। सत्यब्रत दास को बेचा गया एमएस-4 इसका प्रमाण भी है। इसके अतिरिक्त बाएं सर्कुलर सड़क किनारे एमएस-30 से 50 तक कुल 20 स्टॉल हैं। जबकि नीलामी मे मात्र 19 को शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार गुप्त नीलामी प्रक्रिया मे अलग-अलग स्थानो पर बने स्टॉल के लिए आवेदन फॉर्म पर अलग-अलग क्रम संख्या का इस्तेमाल, जेरोक्स फॉर्म पर हाथ से लिखा क्रम संख्या, आवेदनो को सील्ड ड्रॉप बॉक्स के बजाए खुले ट्रे मे बिना सीसीटीवी वाले कमरे मे रखा जाना घोटाले कि ओर इशारा करता है। बीते 24 सितंबर को आवेदन जमा करने कि अंतिम तिथि थी। इस रात को रात के नौ बजे टीके सचिव अपने कार्यालय मे कार्य कर रहे थे। और कार्यालय के सभी कर्मचारियों के जाने के बाद शाम छह बजे दलाल गिरोह के तीन मुख्य सरगना सचिव से मुलाक़ात को पहुंचे थे। जिनमे से दो आपस मे चाचा-भतीजा हैं। और तीसरा शहर के विधान रोड निवासी व्यापारी शामिल थे। वर्ष 2018 मे सामने आए स्टॉल घोटाला मे इन तीनों का नाम भी उजागर हुआ था। इन तीनों कि रुचि 64 स्टालों कि आवंटन प्रक्रिया मे अधिक है। बल्कि शुभाष पल्ली निवासी एक और दलाल को सचिव कार्यालय मे बराबर देखा जा रहा है। और इनकी रुचि पाìकग एरिया मे बनाए जा रहे स्टालों मे अधिक है।

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