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सरकारी निर्देश हवा में, निजी अस्पतालों में कोरोना की चिकित्सा नहीं

-सिर्फ वीआईपी मरीजों को ही मिल रही है एंट्री -दस प्रजिशत बेड रिजर्व रखने के निर्देश की

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 08:43 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 08:43 PM (IST)
सरकारी निर्देश हवा में, निजी अस्पतालों में कोरोना की चिकित्सा नहीं
सरकारी निर्देश हवा में, निजी अस्पतालों में कोरोना की चिकित्सा नहीं

-सिर्फ वीआईपी मरीजों को ही मिल रही है एंट्री

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-दस प्रजिशत बेड रिजर्व रखने के निर्देश की उड़ी धज्जियां

-सरकार को ढांचागत सुविधाओं तक की नहीं दी जानकारी 16

नर्सिग होम की सरकार ने की है पहचान

-एक निजी अस्पताल ने मरीज को भर्ती करने से किया इंकार

-शिकायत मिले तो स्वास्थ्य विभाग करेगी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिलीगुड़ी के 16 निजी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए 10 प्रतिशत बेड रिजर्व रखने का आदेश जारी किया है। यहां कोरोना मरीजों की भर्ती अनिवार्य है। जबकि अधिकांश नर्सिंग होम सरकार के इस निर्देश को हवा में उड़ा रहे हैं।

आलम यह है कि अधिकांश निजी अस्पतालों ने कोरोना इलाज के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाओं का विकास ही नहीं किया है। कुछ अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को भर्ती ले भी रहे हैं, तो वीआइपी होना जरूरी है। अगर मरीज वीआइपी नहीं है, तो किसी वीआइपी का अप्रोच होना जरूरी है। वह भरी तब जब आप इलाज के लिए मोटी रकम चुकाने के लिए तैयार रहते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया सिलीगुड़ी में देखने को मिल रहा है। सिलीगुड़ी के रहने वाले तथा पेशे से वकील मनोज अग्रवाल ने फेसबुक पर अपना दर्द बयां करते हुए लिखा है कि पिछले सप्ताह शुक्रवार को सिलीगुड़ी के उत्तरायण स्थित एक हेल्थ केयर सेंटर में कोरोना वायरस की जांच के लिए स्वैब का सैंपल दिया। सोमवार को उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। निजी नर्सिग होम ने उनको कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना दी। जब अस्पताल प्रबंधन से इलाज के लिए भर्ती करने के लिए कहा तो साफ मना कर दिया। वह भी तब जब मनोज अग्रवाल के भाई कमल अग्रवाल सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य हैं। इसका मतलब है कोरोना मरीजों को निजी अस्पताल में चिकित्सा कराने के लिए और बड़ा वीआईपी होना जरूरी है। जबकि राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ वीआइपी जो कोरोना पॉजिटिव थे, उनकी चिकित्सा यहीं चल रही है। उन्होंने कहा कि उक्त हेल्थ केयर सेंटर द्वारा भर्ती नहीं लेने के बाद परिजनों ने प्रधान नगर के एक नर्सिग होम में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज चल रहा है।

अग्रवाल ने राज्य सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जब वह संक्रमित हुए थे,तब क्या उस अस्पताल के दस प्रतिशत बेड कोरोना मरीजों से भर गए थे। यदि नहीं भरा था, फिर भर्ती लेने से इनकार क्यों किया गया। इस मामले में राज्य सरकार अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करे। अगर राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

मरीज के भाई व सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासक मंडली के सदस्य कमल अग्रवाल ने भी कहा कि उनके भाई के कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल देने के समय ही अस्पताल प्रबंधन से आग्रह भी किया था कि यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसी अस्पताल में भर्ती करेंगे। जबकि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा ढांचागत व्यवस्था नहीं होने की बात कर भर्ती नहीं लिया । जबकि उसी दिन शाम को दो प्रभावशाली कोराना मरीजों को वहां भर्ती किया गया। मरीजों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों।

इस बारे में उक्त हेल्थ केयर सेंटर के जीएम कौशिक हल्दर का कहना है कि जिस दिन मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी, उस दिन उनके अस्पताल में कोविड-19 के इलाज के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाएं नहीं थी। इसी वजह से मरीज को भर्ती नहीं किय। क्योंकि इससे अन्य मरीजों में संक्रमण फैलने का डर रहता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 10 प्रतिशत बेड कोविड-19 मरीज के लिए रिजर्व रखने का जो निर्देश है,उसका जवाब दे चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग को यहां के ढांचागत सुविधाओं कीं जानकारी दे दी गई।

इस बारे में दार्जिलिंग जिले के सीएमओएच डॉ प्रलय आचार्य का कहना कि आदेश के मुताबिक निजी अस्पतालों को कोरोना मरीज को इलाज के लिए भर्ती करना चाहिए। अगर किसी अस्पताल प्रबंधन ने कोविड-19 मरीज को भर्ती लेने से इनकार किया है तो गलत है। यदि इसकी शिकायत मिलती है तो कार्रवाई करेंगे। दूसरी ओर सिलीगुड़ी में बढ़ते मामलों को देखते हुए दार्जिजिंग जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से पिछले महीने 26 जून को एक निर्देश जारी किया गया था, जिसमें सिलीगुड़ी के चुनिंदा 16 नर्सिग होम को कोविड-19 के इलाज के लिए 10 प्रतिशत बेड रिजर्व रखने के लिए कहा गया था। अस्पताल प्रबंधन को ढांचागत सुविधाओं की स्टेटस रिपोर्ट 29 जून 2020 तक देने का कहा गया था। हालांकि जब गुरुवार को दैनिक जागरण ने शहर के इन नर्सिग होम से संपर्क करने की कोशिश की तो ज्यादातर नर्सिग होम प्रबंधन स्पष्ट रूप से कुछ भी बोलने से मना कर दिया। वहीं कुछ नर्सिग होम प्रबंधन ने ढांचागत व्यवस्था की जा रही है, जैसी बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिए। कोरोना चिकित्सा के लिए नर्सिग होम की सूची

1-पैरामाउंट नर्सिग होम

2-सनराजइ नर्सि होम

3-नवजीवन हॉस्पिटल

4- मेडिका कैंसर हॉस्पिटल

5-बासु क्लीनिक

6. डॉ मलय हॉस्पिटल

7-शांति स्वास्थालय

8-नॉर्थ बंगाल क्लीनिक

9-मित्रा क्लीनिक एंड नर्सिग होम

10-संजीवनी मल्टी स्पेशियलिटी न्यूरो हॉस्पिटल

11-नेवटिया गेटवेल हेल्थ केयर सेंटर

12-हेरिटेज हॉस्पिटल

13- आरोग्य निकेतन

14-निवेदिता नर्सिग होम

15-किन्स हॉस्पिटल

16-मुखर्जी नर्सिग होम स्वास्थ्य विभाग ने जिन अस्पतालों को चिन्हित किया है, उन्हें 10 प्रतिशत बेड रिजर्व रखना ही होगा। यदि मरीज कोभर्ती लेने से इंकार करते हैं तो शिकायत मिलने पर अवश्य कार्रवाई होगी। यदि किसी को परेशानी हुई है तो उनको शिकायत अवश्य करनी चाहिए।

-डॉ सुशांत कुमार राय,ओएसडी


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