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फॉरेस्ट राइट एक्ट लागू होने तक सेवक-रंगपो रेल परियोजना बंद करने की मांग

-फॉरेस्ट विलेजर्स ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच किया है मुकदमा हिमालयन फ

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 07:36 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 07:36 PM (IST)
फॉरेस्ट राइट एक्ट लागू होने तक सेवक-रंगपो रेल परियोजना बंद करने की मांग
फॉरेस्ट राइट एक्ट लागू होने तक सेवक-रंगपो रेल परियोजना बंद करने की मांग

-फॉरेस्ट विलेजर्स ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच किया है मुकदमा

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हिमालयन फॉरेस्ट विलेजर्स आर्गेनाइजेशन ने लगाया कानून के उल्लंघन करने का आरोप

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : वर्षो से लंबित सेवक-रंगपो रेल परियोजना मामले में लगातार अड़चने आ रही हैं। रेलवे द्वारा इस परियोजना पर कार्य शुरू किए जाने पर वन-गांव वासियों ने कड़ा रोष प्रकट किया है। हिमालयन फॉरेस्ट विलेज आर्गेनाइजेशन व उत्तर बंग वन-जन श्रमजीवी मंच का कहना है कि वन-गांव वासियों से चर्चा किए बिना इस परियोजना कार्य शुरू कर दिया गया है। आर्गेनाइजेशन के सचिव लीला गुरुंग व मंच के कनवेनर लाल सिंह भूजेल ने मंगलवार को संवाददाताओं को संबोधित करते कहा कि वर्ष 2009 में इस परियोजना का शिलान्यास हुआ था। दूर्भाग्य की बात है, आज तक इस मामले में वन-गांव वासियों से कोई बात नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए जो जमीन अधिग्रहण की जाएगी, उसके अंतर्गत 24 वन-गांव आते हैं। इनमें लगभग 40 हजार लोग रहते हैं। रहने वालों को आज तक जमीन का अधिकार नहीं दिया गया। सरकार मानती है कि वह वहां पर अवैध रूप से रह रहे हैं। जबकि वह लोग वनाधिकार कानून 2006 लागू करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नियम के तहत पहले वनाधिकार कानून लागू होना चाहिए, इसके बाद फॉरेस्ट विलेजर्स से चर्चा किया जाना चाहिए। जब फॉरेस्ट विलेजर्स एनओसी देते तब जाकर कार्य शुरू किया जाना चाहिए। हिमालयन फॉरेस्ट विलेज आर्गेनाइजेशन के सोमित्र घोष ने कहा कि फॉरेस्ट विलेजर्स के आंदोलन पर पिछले दो वर्ष से कार्य बंद था। इसी बीच देख गया कि पिछले वर्ष सितंबर में इस परियोजना पर अचानक कार्य शुरू कर दिया गया। बडे़-बड़े जेसीबी मशीन लगाकर सुरंग खोदने का काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय हित का मुद्दा बताकर पिछले दिनों दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के सांसद, डीएम व वन विभाग के अधिकारी परियोजना का जायजा भी लिए। उन्होंने कहा कि जब तक इस क्षेत्र में वन अधिकार कानून लागू नहीं हो जाता है, तब वन प पर्यावरण से अलग कोई भी कार्य करना गैर कानूनी है। इस परियोजना पर गैर कानूनी रूप से चल रहे कार्यो के विरोध में मल्ली, तारखोला, किरनी व भालुका गांव के लोगों ने इस महीने 18 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के जलपाईगुड़ी सर्किट बेंस में मुकदमा किया है। इस पर अगले महीने दो मार्च को सुनवाई होनी है। जब तक इस मामले का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक इस परियोजना पर काम बंद करना होगा। मल्ली फॉरेस्ट विलेज निवासी अमृत कुमार छेत्री ने कहा कि देखा जा रहा है कि गांव के कुछ लोगों को प्रशासन द्वारा जमीन के बदले जबरन क्षतिपूर्ण भी दिया जा रहा है, तथा उनसे घर तोड़ने को कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, केंद्र सरकार व गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों द्वारा कानून को तोड़ा जा रहा है।


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