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कैब के विरोध में हाथ सेंकने की तैयारी में राष्ट्रविरोधी ताकतें

-उल्फा पर पांच वर्षो के लिए बढ़ाया प्रतिबंध -बंगाल बिहार सीमांत में जेएमबी आतंकी संगठन की

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 08:47 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 08:47 PM (IST)
कैब के विरोध में हाथ सेंकने की तैयारी में राष्ट्रविरोधी ताकतें
कैब के विरोध में हाथ सेंकने की तैयारी में राष्ट्रविरोधी ताकतें

-उल्फा पर पांच वर्षो के लिए बढ़ाया प्रतिबंध

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-बंगाल बिहार सीमांत में जेएमबी आतंकी संगठन की बढ़ सकती है सक्रियता

-नेपाल, बांग्लादेश,भूटान, म्यांमार सीमा पर बढ़ायी गयी सुरक्षा

अशोक झा, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर व बंगाल समेत बिहार सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे आदोलन का फायदा उग्रवादी गुट न उठा पाएं, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को खासतौर पर आगाह किया गया है। पूर्वोत्तर के बाद बंगाल और बिहार में इसका हिंसक विरोध प्रारंभ हो गया है। विधेयक पारित होने से पहले ही सरकार ने उल्फा पर लगा प्रतिबंध पाच आल के लिए बढ़ा दिया था। बांग्लादेश, असम, नेपाल, भूटान व म्यामार सीमा पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आदोलन की आड़ में उग्रवादी गुट सिर उठाने की कोशिश कर सकते हैं। इस तरह का फीडबैक मिलने के बाद सुरक्षाबलों को अलर्ट किया गया है। बंगाल की बात करें तो केंद्र सरकार की ओर से त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल को मुस्लिम आतंकवादी समूह आइएस की घुसपैठ और सीमावर्ती इलाकों में आतंकी हरकतों को तेज कर दिया है। दो दशकों से बांग्लादेश सीमांत क्षेत्रों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश अपनी गतिविधियों को तेज कर सकता है। विरोधी हिंसा के आड़ में वह क्षेत्र को अशांत बनाने की कोशिश कर सकता है। धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश हो सकती है। इस बात का खुलासा बोधगया में विस्फोट के में पकड़े गये आतंकियों से यह भी पता चला था कि जमात उल मुजाहिदीन (इंडिया) जेएमआई के नाम से अपने स्लीपर सेल तैयार किया है। इस बात का खुलासा इसी वर्ष मुर्शिदाबाद में सागरदिधी जमात उल मुजाहिदीन के उग्रवादियों को पकड़ा गया था। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की ज्यादा चिंता है कि कैब और एनआरसी को लेकर चल रहे विरोध के आड़ में ऐसे संगठन कोई बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे। क्षेत्र को अशांत ना करें। पूर्वोत्तर की संवेदनशील सीमाओं को ध्यान में रखते हुए आदोलन को समाप्त करने की कोशिशों के साथ-साथ सीमावर्ती गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। भारत की 5800 किलोमीटर लंबी सीमा म्यामार और बाग्लादेश से लगी हुई है। यह सीमा असम के अलावा, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय,पश्चिम बंगाल, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश से गुजरती है। खुफिया एजेंसियों से मिल रही जानकारी के अनुसार मुताबिक पिछले कुछ समय में इन इलाकों में एक सशस्त्र समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ एशिया के नाम से लामबंद हुआ है। सूत्रों ने बताया कि सशस्त्र समूहों की हाल-फिलहाल में कोई बड़ी गतिविधि सामने नहीं आई है, लेकिन एजेंसिया उन्हें लेकर सतर्क हैं। इस बात की आशंका इसलिए जोर पकड़ रही है कि इन सभी उग्रवादी संगठनों का सीधा लिंक घुसपैठियों से है। इसके आड़ में वे कई प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते रहते है। सशस्त्र समूह में प्रतिबंधित संगठन उल्फा, नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-के), उत्तर बंगाल के कामतापुर लिबरेशन आर्गेनाइजेशन और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ नगालैंड शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि चुनी हुई सरकारों को लोगों का ेभरोसा जीतने के लिए सही तथ्य उनक सामने रखने होंगे, जिससे पिछले कुछ वषरें में अप्रासंगिक हो चुके उग्रवादी गुटों को पैठ बनाने का मौका न मिले। सूत्रों का कहना है कि ्रम्यामार और बाग्लादेश से अच्छे संबंधों की वजह से पिछले कुछ वषरें में उग्रवादी गुटों को सीमापार शरण लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इन दिनों म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर घुसपैठिया नेपाल में लगातार प्रवेश कर रहा है। इसलिए भारत को नागरिकता कानून पर इन मित्र देशों को भी भरोसे में लेना पड़ेगा।


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