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विश्व धरोहर का दर्जा मिलने की 20 वीं वर्षगांठ मना रहा डीएचआर

-डीएचआर सेक्शन प्रत्येक दिन आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रम -पांच दिसंबर 1999 को डीएचआर क

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 07:31 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 06:39 AM (IST)
विश्व धरोहर का दर्जा मिलने की 20 वीं वर्षगांठ मना रहा डीएचआर
विश्व धरोहर का दर्जा मिलने की 20 वीं वर्षगांठ मना रहा डीएचआर

-डीएचआर सेक्शन प्रत्येक दिन आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रम

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-पांच दिसंबर, 1999 को डीएचआर को दिया गया था यूनेस्को व‌र्ल्ड हेरिटेज का दर्जा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) को यूनेस्को व‌र्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलने की 20 वीं वर्षगांठ पर प्रत्येक दिन कोई न कोई कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इस महीने छह नवंबर से 20 वीं वर्षगांठ समारोह शुरू हुआ है, जो अगले महीने पांच दिसंबर तक चलेगा। एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सुभानन चंदा ने बताया कि कर्सियांग से घूम व दार्जिलिंग से घूम तक डीएचआर ट्रैक के आस-पास सजावट के साथ पर्यटकों के लिए विभिन्न आकर्षक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्षगाठ यूनेस्को द्वारा पांच दिसंबर, 1999 को डीएचआर को विश्व विरासत स्थल घोषित किए जाने उपलक्ष में मनाई जा रही है। मालूम हो कि यूनेस्को द्वारा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के शिलालेख में उल्लेखित किया गया है कि '1881 में शुरु की गयी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे हिल पैसेंजर रेलवे के रूप में पहला पैसेंजर रेलवे का विशिष्ट उदाहरण है जो अभी भी बरकरार है। यहा पूरे पहाड़ी इलाके के सुंदर स्थलों में प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने के लिए साहासिक और सरल इंजीनियरिंग का उपयोग किया गया है। यह अभी भी पूर्णरूप से क्रियाशील है और इसकी मूल विशेषताएं कायम है'।

यूनेस्को के उपरोक्त वाक्यों को सही ठहराते हुए विश्व प्रसिद्ध डीएचआर अभी भी सिलीगुड़ी के समतल क्षेत्र से दार्जिलिंग हिलकार्ट रोड के बीच चलती है। इस हिल कार्ट रोड का निर्माण 1831 में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट नेपियर द्वारा कराया गया था। सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच की यात्रा काफी मनोहार है, जो प्रकृति प्रेमियों को भाता है। पूरे विश्व के पर्यटक मुख्य रूप से दार्जिलिंग की यात्रा डीएचआर की सवारी का आनंद उठाने के लिए करते हैं।

गौरतलब है कि, 2 फीट (610 मिमी) चौड़े नैरो गेज वाले डीएचआर का निर्माण 1879 में शुरू हुआ। यह मार्च, 1880 में तिनधरिया तक और अप्रैल, 1881 में घूम तक पहुंचा। प्रथम ट्रेन अंतत: जुलाई, 1881 को दार्जिलिंग पहुंची। शुरुआत में इसमें चार पूर्ण लूप और चार जेड -रिवर्स थे। लेकिन वर्तमान में डीएचआर में तीन लूप और छह जेड-रिवर्स हैं और उनके जरिए पहाड़ पर चढ़ना काफी लुभावना है। न्यू जलपाईगुड़ी से शुरू होकर दार्जिलिंग तक तेरह स्टेशन हैं। हालाकि डीएचआर की पुरानी नैरो गेज ट्रेनें केवल स्टीम इंजनों द्वारा संचालित किया जाता था, लेकिन अब इसे स्टीम और डीजल इंजनों द्वारा संचालित किया जा रहा है। एनएफ रेलवे ने पहले ही डीएचआर में विस्टाडोम कोच शुरू किए हैं, जिसके माध्यम से पर्यटक यात्रा के दौरान हिमालयी इलाके का बेहतर प्राकृतिक दृश्य देख सकते हैं। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे को उम्मीद है कि 'विश्व विरासत' घोषणा की 20वीं वर्षगाठ मनाने की योजना डीएचआर में पर्यटन को और बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगा।


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