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शहर से गांव तक दीपावली व काली पूजा की तैयारी तेज

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी और आसपास के सीमावर्ती गांवों में

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 12:25 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 12:25 PM (IST)
शहर से गांव तक दीपावली व काली पूजा की तैयारी तेज
शहर से गांव तक दीपावली व काली पूजा की तैयारी तेज

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी और आसपास के सीमावर्ती गांवों में दीपावली में शहर और उसके आसपास का वातावरण कुछ अन्य राज्यों से अलग होता है। यहां जगमग दीपावली तो मां कालीपूजा को लेकर भव्य पंडालों को निर्माण होता है। इन पूजा पंडाल को भी विभिन्न कमेटियों और प्रशासन द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। इस वर्ष धनतेरस पांच नवंबर को, कालीपूजा छह नवंबर की रात और दीपावली सात नवंबर को मनायी जाएगी। इसको ध्यान में रखते हुए

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घरों व प्रतिष्ठानों में दीपावली की तैयारियाँ शुरू हो गयीं हैं। लोगों ने अपने-अपने रहवास को अच्छे व आकर्षक कलर से सजाना-संवारना शुरू कर दिया है। उनका घर कहीं फीका न रह जाए, इसके लिए वह महंगे व ब्राण्डेड कलर का उपयोग कर रहे है। ऐसे में अब पुरानी व बदहाल दिखने वाली दीवारें कलर करने के बाद नए लुक में दिखना शुरू हो गयी है। दीपावली से ठीक पहले लोगों का पूरा जोर घर की सजावट और रगाई, पुताई, पेण्टिग पर है। कोई इस बात की कसर नहीं छोड़ना चाहता है कि वह अपने पड़ोसी से किसी बात पर कम दिखे। इसका असर पेण्ट मार्केट में दिख रहा हे। पेंट विक्रेता कमल अग्रवाल का कहना है कि मार्केट में आने वाले अधिकतर लोगों का आकर्षक दिखने वाले रगों पर ज्यादा फोकस है। डिस्टेम्पर और ऑयल ब्राण्ड पेण्ट के चाहने वालों की संख्या कम हुई है। प्लास्टिक पेण्ट की और अधिक रुझान देखा जा रहा है। इन पेण्टों की खासियत और खूबसूरती लोगों को लुभा रही है। जो इसका खर्च नहीं उठा पाते वो चाहते है कि कम से कम घर के गेस्ट रूम में इसकी पेण्टिग जरूर हो जाए। इसकी खासियत है कि दीवार पर किसी भी तरह का दाग लग जाए, उसे पानी से धोकर या कपड़े से रगड़कर साफ किया जा सकता है। घरों व प्रतिष्ठानों में दीपावली की तैयारियाँ शुरू हो गयीं हैं। लोगों ने अपने-अपने रहवास को अच्छे व आकर्षक कलर से सजाना-संवारना शुरू कर दिया है। उनका घर कहीं फीका न रह जाए, इसके लिए वह महगे व ब्राण्डेड कलर का उपयोग कर रहे है। ऐसे में अब पुरानी व बदहाल दिखने वाली दीवारें कलर करने के बाद नए लुक में दिखना शुरू हो गयी है। दीपावली से ठीक पहले लोगों का पूरा जोर घर की सजावट और रगाई, पुताई, पेण्टिग पर है। कोई इस बात की कसर नहीं छोड़ना चाहता है कि वह अपने पड़ोसी से किसी बात पर कम दिखे। इसका असर पेण्ट मार्केट में दिख रहा हे। मार्केट में आने वाले अधिकतर लोगों का आकर्षक दिखने वाले रगों पर ज्यादा फोकस है। डिस्टेम्पर और ऑयल ब्राण्ड पेण्ट के चाहने वालों की संख्या कम हुई है। प्लास्टिक पेण्ट की और अधिक रुझान देखा जा रहा है। इन पेण्टों की खासियत और खूबसूरती लोगों को लुभा रही है। जो इसका खर्च नहीं उठा पाते वो चाहते है कि कम से कम घर के गेस्ट रूम में इसकी पेण्टिग जरूर हो जाए। इसकी खासियत है कि दीवार पर किसी भी तरह का दाग लग जाए, उसे पानी से धोकर या कपड़े से रगड़कर साफ किया जा सकता है।

इण्टरनेट से चुन रहे कलर

आधुनिक युग में इन दिनों रंगों के चयन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है। संयोग ही है कि एक कंपनी के मुफ्त के इंटरनेट का इन दिनों युवाओं के साथ महिलाएं भी जमकर इस्तेमाल कर रही है। किसी दौर में रगाई-पुताई के लिए गिने-चुने ही कलर हुआ करते थे, लेकिन अब रगों की भरमार है। बाजार में इन दिनों विभिन्न कम्पनियों के कलर भारी संख्या में मौजूद है। सामने इतने सारे कलर देखकर तो ग्राहक भी कन्फ्यूज हो जाए, इसलिए कम्पनी की साइट्स पर ये सारे कलर उपलब्ध है। च्यादातर ग्राहक भी इन दिनों इण्टरनेट से ही अपना कलर पसन्द कर दुकान पर पहुंच रहे है।

इस वर्ष 30 से 35 फीसदी महँगाई

जीएसटी लगने के कारण इन दिनों रगों के दामों में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस दफा 30 से 35 फीसदी महगाई बताई जा रही है। रगों के दामों से लेकर डिस्टेम्पर, इमलशन, प्लास्टिक पेण्ट सभी प्रकार के कलर में महंगाई देखी जा रही है। इस महगाई के बावजूद भी लोग अपने घर-दुकान सजाने-संवारने में संकोच नहीं कर रहे है। उनका कहना है कि साल में एक बार घर को संवारने को मौका मिलता है, यदि उसमें भी कंजूसी की जाए, तो कहाँ की बात है। जिसके चलते वह महगे व आकर्षक कलरों का चयन कर अपने घरों को आकर्षक बनाने में जुटे हुए है।

मजदूरों ने बदला ट्रेण्ड

इस त्योहारी मौसम में पेण्ट्स की कीमतों में तो उछाल आया ही है, साथ ही पुताई वाले भी इस बार अपनी मजदूरी का ट्रेण्ड बदल रहे है। वह मजदूरी दीवारों की फीट के हिसाब से ले रहे है। कोई विशेष पुताई कराने या खास तकनीकि पर पुतइया महगा रेट वसूल रहे है। वहीं रोजाना के आधार पर पोतने वाले मजदूर एक दिन की 500 से 700 रुपये तक की कीमत वसूल रहे है। जबकि पिछले वर्ष यही मजदूरी 300-350 रुपए थी।

किसी दौर में रंगाई-पुताई के लिए गिने-चुने ही कलर हुआ करते थे, लेकिन अब रगों की भरमार है। बाजार में इन दिनों विभिन्न कम्पनियों के कलर भारी संख्या में मौजूद है। सामने इतने सारे कलर देखकर तो ग्राहक भी कन्फ्यूज हो जाए, इसलिए कम्पनी की साइट्स पर ये सारे कलर उपलब्ध है। च्यादातर ग्राहक भी इन दिनों इण्टरनेट से ही अपना कलर पसन्द कर दुकान पर पहुच रहे है।

मूर्ति के निर्माण में कारीगर

दीपावली के मद्देनजर एक तरफ माटीगाड़ा पालपाड़ा, एनजेपी, सिलीगुड़ी, बागडोगरा, खोरीबाड़ी, फांसीदेवा समेत अन्य स्थानों पर जहा घरों, प्रतिष्ठानों में साफ-सफाई तेज हो गई है वहीं बाजारों में भी इसकी झलक दिखाई पड़ रही है। कारीगर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को बनाने में तेजी से जुट गए है। मूर्तियों का मूल्य 40 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक है। रंग-बिरंगे रंगों में यह देखने में काफी आकर्षक दिखाई पड़ रहे है।

पूजन पंडालों के लिए प्रतिमाओं के बनाने का कार्य भी प्रारंभ हो गया है। इस साल चीनी सामग्रियों के बहिष्कार की आस में कुम्हारों को उम्मीद है कि व्यवसाय अच्छा होगा। बर्तनों व अन्य सामानों का जहा स्टाक किया जा रहा है वहीं वाहनों, इलेक्ट्रानिक सामानों, आभूषण आदि के व्यवसायी आकर्षक स्कीम के माध्यम से लोगों को आकर्षित करने में जुटे हैं।


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