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धान खरीद घोटाला : कोर्ट जाने की तैयारी में विपक्ष

-मुख्यमंत्री से मिलना चाहते है अलीपुरद्वार के किसान कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी जा

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 09:53 PM (IST)
धान खरीद घोटाला : कोर्ट जाने की तैयारी में विपक्ष
धान खरीद घोटाला : कोर्ट जाने की तैयारी में विपक्ष

-मुख्यमंत्री से मिलना चाहते है अलीपुरद्वार के किसान

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कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पंचायत चुनाव संपन्न होते ही अब एक बार फिर से उत्तर बंगाल में धान खरीद घोटाला मामले ने जोर पकड़ लिया है। विपक्ष जहां एक ओर उत्तर बंगाल दौरे पर आने वाली ममता बनर्जी से इस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कराने की मांग कर सकात है वहीं दूसरी ओर इस मामले को लेकर वह कोर्ट जाने की तैयारी में है। कोर्ट में गर्मी की छुट्टी होने के कारण अबतक मामला दर्ज नहीं हो पाया है। भाजपा उत्तर बंगाल संयोजक रथींद्र बोस और कांग्रेस ट्रेड यूनियन के इंटक नेता अलोक चक्रवर्ती का कहना है कि राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने निर्देश जारी कर कहा था कि जिस जिले के किसान है उसकी धान उसी जिले के मिल मालिक का धान उसी जिला के मिल मालिक खरीदेगें। धान खरीद के लिए गोदाम की जांच भी होनी चाहिए। लेकिन मंत्री के निर्देश का पालन नहीं किया गया। इस मामले में सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली है। विपक्ष को पता चला है कि इस मामले में जांच के आदेश दिए गये है। अधिकारी आदेश के बाद भी अब तक खरीद धान का सत्यापन नहीं कर पाए है। मामले में अभी तक किसी भी अधिकारी को निलंबित तक नहीं किया जा सका है। अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो इसको लेकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इतना ही नहीं धान ख़रीद के साथ ही गोदाम की जाँच की जाती है। क्या सरकार या अधिकारी बता पाएंगे कि इन निर्देशों का पालन हुआ है या नहीं? अगर हुआ तो बताए कि किस गोदाम में दो लाख मैट्रक टन धान रखे गये। दो लाख मैट्रिक तन धान ख़रीदने बाले मील सूची ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के दो अलग अलग नाम है। यह भी संदेश जांच का विषय है। इसके साथ ही सूची समेत चांदतारा राइस मिल, गंगा ट्रेडिंग कंपनी आदि के बिजली बिल की जाच ही कला लिया जाए। इससे भी पता चल जायेगा की चावल बनाने में कितना बिजली खर्च हुआ। हद तो यह है कि इसी नाम से अलग अलग जिलों में धान की खरीददारी हुई है। किसानों से बातचीत करने के बाद यह पता चला है कि कागज में ही धान की खरीदारी की गयी और कागज में ही सरकार से इसका भुगतान लिया गया है।


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