मुस्ताफी परिवार के पास संरक्षित है राज घराने की पाण्डुलिपि
कूचबिहार राज परिवार के इतिहास की पाण्डुलिपी दिनहाटा के मुस्ताफि परिवार के पास संरक्षित है।
दिनहाटा, संवाद सूत्र। कूचबिहार राज परिवार के इतिहास की पाण्डुलिपी दिनहाटा के मुस्ताफि परिवार के पास संरक्षित है। करीब 200 साल प्राचीन राज शासनकाल की यह पाण्डुलिपि मुंसी जयनाथ घोष द्वारा लिखित राजोपख्यान ग्रंथ का अंश है।
इतिहास के अनुसार, राजोपख्यान ग्रंथ की रचना 1823 से 1833 ई. पू. के बीच हुआ था। वर्तमान समय में पुस्तक के आकार में मुद्रित पाण्डुलिपि को लेकर शोधकर्ताओं में कौतुहल है। दिनहाटा के गोधुली बाजार के रहनेवाले मोस्ताफी परिवार के सदस्य सितांशु शेखर मुस्ताफी ने कहा कि पाण्डुलिपि में कूचबिहार राजाओं के साथ उनके पूर्वजों की करीबी दास्ताओं के बारे में उल्लेख है। मुस्ताफी परिवार कैसे कूचबिहार आया, इसका विवरण भी पाण्डुलिपि में है। सितांशु शेखर ने कहा कि भाषा के क्षेत्र में ज्योति चिह्न के इस्तेमाल के अलावा बाकी सबकुछ एक है।
यह पाण्डुलिपि घर में तैयार स्याही से लिखा गया है। पाण्डुलिपि लिखने के लिए स्याही बनाने के उपकरण के तौर पर हरतकि, आंबला, नारियल की मलाई, राख का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि मोस्ताफी परिवार के पूर्वत तत्कालीन राज घराने के मुरीद थे।
सभी राज परिवार के कर्मचारी के तौर पर विभिन्न पदों पर आसीन थे। उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन यह पाण्डुलिपि कहां से आया, इस बारे में उनके परिवार के वर्तमान सदस्यों को नहीं मालुम। उन्होंने कहा कि बस यह पाण्डुलिपि किसी भी कीमत पर वे खोना नहीं चाहते हैं।