सीमावर्ती क्षेत्रों में जाली नोटों का प्रचलन बढ़ा
-महिलाओं और बच्चों को धंधे में लगाया -बांग्लादेश और नेपाल सीमा पर ज्यादा परेशानी - सुरक्ष्
-महिलाओं और बच्चों को धंधे में लगाया
-बांग्लादेश और नेपाल सीमा पर ज्यादा परेशानी
- सुरक्षा एजेंसियों को सता रही है चिंता
अशोक झा, सिलीगुड़ी : जाली नोट को रोकने के लिए लगातार सुरक्षा एजेंसियां प्रयास कर रही है। उसके बाद भी बांग्लादेश और नेपाल से उत्तर बंगाल के रास्ते पूरे देश में जाली नोटों का प्रचलन लगातार बढ़ा है। सीमा पर एसएसबी और बीएसएफ की तैनाती के बावजूद नकली नोटों को भारतीय सीमा क्षेत्र में भेजा जा रहा है। विश्वकर्मा पूजा, मोर्हरम और दशहरे की चहल-पहल के बीच नकली नोटों के सौदागर 500 के नकली नोट खपाने की तैयारी में हैं। ऐसा पिछले दिनों जाली नोट के साथ पकड़े गए एक आरोपित से सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ से पता चला है। इसे खपाने के लिए महिलाओं और बच्चों के इस्तेमाल की साजिश भी रची गई है। जाली नोट के प्रचलन से बाजारों में लेनदेन करने वाले व्यापारी और आम लोग काफी सहमे हुए हैं। इन्हें इस बात की चिंता सताती है कि कब पहचान के अभाव में बड़ी रकम की चपत लग जाए।
त्योहारों की खरीदारी को लेकर बाजारों में काफी भीड़ भाड़ और चहल-पहल रहती है। शाम के वक्त दुकानों में खासकर महिलाओं और बच्चों की खासी उपस्थिति होती है। इसी समय का फायदा नकली नोटों के सौदागर उठाने में लगे हैं। त्योहार में ही नकली नोट खपाने की योजना में ये लोग काम कर रहे हैं। इस सीमा क्षेत्र में 500 के नकली नोट का प्रचलन काफी बढ़ चुका है। नकली भारतीय नोट की खपत ग्रामीण इलाकों के बाजार में विशेष रूप से की जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि आमलोग असली-नकली का फर्क आसानी से नहीं समझ पाते हैं। दुकानदार अधिकाधिक बिक्री और जल्दबाजी में धोखा खा रहे हैं। ग्रामीण लोग फसल एवं पशुधन तथा दूध की बिक्री से मिलने वाले नकदी में नकली रुपये के शिकार हो रहे हैं। आज कल शहर हो या गांव 500 के नोट आम प्रचलन में है। इसी आम प्रचलन का फायदा नकली नोटों के सौदागर उठा रहे हैं। आम लोग व आम व्यापारी को नकली नोट का पता तब चलता है जब वह या तो बैंक में नकदी जमा करने जाता है या व्यापारी अपने अगले व्यापारी को नकदी देता है। तब तक उसे चूना लग चुका होता है। खुफिया सूत्रों के अनुसार नकली नोट नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते लाकर भारतीय अर्थव्यवस्था पर चोट करने की कोशिश हो रही है। 2000 और 500 के नकली नोट बाजार में खपाए जा रहे हैं। उसे आमतौर पर आम लोग काफी हद तक असली नकली की पहचान करने में सफल नहीं हो पाते हैं। यही कारण है कि नकली नोट का अभी चलन काफी बढ़ गया। दुकानदार हो या लोगबाग सभी नकली रूपये को लेकर रोज शिकार हो रहे है।ं शिकार होने का नमूना यह है कि लोग अपने नोटों की पहचान एक दूसरे से करवाते फिरते हैं। इस कारण अब बड़े संदेह के साथ 500 के नोटों की लेन देन कर रहे हैं। क्या कहते है अधिकारी
यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा क्षेत्र है। किसी भी आशंका से इंकार नहीं कर सकते। सभी थाना क्षेत्रों को सतर्क किया गया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात अन्य सुरक्षा एजेंसियों से लगातार संपर्क बनाकर जानकारी एकत्र की जा रही है।
आनंद कुमार, एडीजी उत्तर बंगाल