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कहीं मास्क ही ना बन जाए मुसीबत,लोग सचेत नहीं

-कोरोना जांच लैब के बाहर ही बिखरे पड़े हैं इस्तेमाल मास्क -बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर भारी लापरवा

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:31 PM (IST)
कहीं मास्क ही ना बन जाए मुसीबत,लोग सचेत नहीं
कहीं मास्क ही ना बन जाए मुसीबत,लोग सचेत नहीं

-कोरोना जांच लैब के बाहर ही बिखरे पड़े हैं इस्तेमाल मास्क

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-बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर भारी लापरवाही

-वायरस के संक्रमण का और बढ़ा खतरा

-जहां-तहां इस्तेमाल मास्क फेंकना बेहद खतरनाक

बड़ा खतरा

-नये मास्क की बिक्री में भी नियमों की उड़ रही है धज्जियां

-खुले में लटके मास्क को छूकर देख रहे हैं ग्राहक

-पसंद नहीं आया तो बगैर खरीदे ही बढ़ जाते हैं आगे

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जागरण एक्सक्लुसिव

शिवानंद पांडेय, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस महामारी से भारत समेत पूरी दुनिया त्रस्त है। इसका प्रकोप सिलीगुड़ी समेत पूरे राज्य में भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए लोगों को शारीरिक दूरी बनाए रखने, मास्क लगाकार रहने, हाथ धोने के लिए हैंड सैनिटाइजर तथा हैंडवास का उपयोग करने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों पर इसका असर भी हुआ है। कोरोना से बचाव के लिए आमलोग इन सबका उपयोग भी कर रहे हैं। कोरोनावायरस महामारी के इस दौर में मास्क के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है जो अच्छी बात है। लेकिन मास्क के उपयोग के बाद इसे किस तरह से नष्ट करें,इसको लेकर लोग सचेत नहीं हैं। मास्क खराब होने के बाद इसे लोग जहां-तहां फेंक दे रहे हैं। जो ठीक नहीं है। यूं कहें तो जहां-तहां उपयोग किए गए मास्क को फेंक देना खतरे को दावत देने जैसा है। इसलिए जिस कोरोना वायरस के बचाव के लिए हम मास्क का उपयोग कर रहे हैं,कहीं वही एक दिन मुसीबत ना बन जाए। जहां-तहां उपयोग किए गए मास्क व ग्लव्स उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल हो अथवा शहर को मेन रोड या सार्वजनिक स्थल हर जगह फेंके हुए मिल जाएंगे। इस तरह के फेंके जाने से वायरस का संक्रमण बढ़ने का खतरा बना रहता है। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग के आस-पास ही इस तरह के मास्क व ग्लव्स फेंक दिए जा रहे हैं। जिस जगह पर कोरोना वायरस के सैंपल की जांच होती है,वहीं आप जहां-तहां मास्क को फेंका देख सकते हैं। शहर में भी आप जहां-तहां मास्क फेंका हुआ देख सकते हैं। आमलोग इस मामले में काफी लापरवाह हैं। इस दिशा में सचेत होने की जरूरत है।

दूसरी ओर मास्क खरीदने के प्रति लोग भी सजग नहीं हैं। कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद मेडिकल स्टोरों से लेकर जनरल स्टोर, यहा तक की चौक चौराहे पर मास्क की बिक्री होने लगी।

इनमें सबके बीच सबसे चिंताजनक बात यह है कि फुटपाथ पर जो मास्क बेचे जा रहे हैं इनमें सुरक्षात्मक मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। मास्क बिना पैकेट में रखे हुए खुले तौर पर दुकान के सामने लटका कर रखा रहता है। कहीं-कहीं जमीन पर भी रखकर मास्क की विक्री हो रही है। इस तरह की स्थिति सिलीगुड़ी के विधान मार्केट , हिल कार्ट रोड, महावीर स्थान, सिलीगुड़ी जंक्शन समेत विभिन्न इलाकों में देखने को मिल रही है। ग्राहक आते हैं तथा खुले में रखे हुए कई मास्क को हाथ छू कर देखते हैं। पसंद पड़ा तो मास्क लेते हैं। यदि पसंद नही पड़ा तो छोड़ कर चले जाते हैं। कभी-कभी यह भी देखने को मिलता है कि ग्राहक चेहरे पर मास्क लगाकर देखते हैं कि मास्क ठीक से कवर कर रहा है कि नहीं कर रहा है। ठीक नहीं लगा तो ग्राहक उसे छोड़कर दूसरा मास्क ले लेते हैं। दुकानदार भी मास्क बेचने के चक्कर में ग्राहकों को मना नहीं करते हैं। उक्त ग्राहकों द्वारा छुए हुए तथा चेहरे पर लगाकर छोड़े हुए मास्कों को अन्य ग्राहक जानकारी नहीें होने के कारण खरीद कर ले जाते हैं। इस तरह से देखा जाए तो फुटपाथों अथवा दुकानों के सामने बिना पैकेट के खुले में लटका कर बेचे जा रहे मास्क स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं।

मास्क बेचने में क्या हो सावधानी

इस बारे में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पैथोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ कल्याण खान ने बताया कि शहर में जो मास्क बेचे जा रहे हैं इसे पैकेट में पैक रहना चाहिए। बिना पैक किए हुए खुले में लटका कर मास्क बेचना ठीक नहीं है। खुले में बेचे जा रहे मास्क को बार बार हाथ से छूना नहीं चाहिए। अगर एक ही मास्क को कई लोग छूते हैं अथवा मुंह पर लगाते हैं, इससे सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं बल्कि अन्य तरह के वायरस के भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके लिए दुकानदार और ग्राहक दोनों लोगों को जागरूक होना चाहिए। मास्कों को पैकेट में पैक किए बिना नहीं रखना चाहिए। पैकेट में पैक किए गए मास्क को भी अगर कोई ग्राहक छूता है तो दुकानदार को साफ मना कर देना चाहिए। अथवा उसे इस शर्त पर छूने देना चाहिए कि वापस नहीं करेंगे। मास्क का उपयोग चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी समेत स्वास्थ्य सेवाओं में जुड़े हुए लोगों से लेकर आम लोग तक रहे हैं। सर्जिकल मास्क की अवधि ही काफी कम समय के लिए होती है। उपयोग किए जा रहे मास्क यदि खराब हो जाते हैं तो वह बायो मेडिकल वेस्ट हो जाता है। ऐसी स्थित में सरकारी अथवा गैर सरकारी अस्पतालों में जहां बायो मेडिकल वेस्ट रखे जाते हैं, वहां पर उसे रखना चाहिए। अन्य मेडिकल वेस्ट की तरह मास्क तथा ग्लव्स भी वैज्ञानिक तकनीकी से डिस्पोज करने की जरूरत है। आम नागरिकों को भी जहां-तहां खुले में मास्क व ग्लव्स नहीं फेंकना चाहिए। खराब होने की स्थिति में पूरी तरह से कवर्ड यानी ढककर फेंकना चाहिए। जिससे यह किसी तरह का संक्रमण फैलाए बगैर सुरक्षित तरीके से नष्ट हो जाए।

-डॉ कल्याण खान, एसोसिएट प्रोफेसर ,पैथोलॉजी विभाग,एनबीएमसीएच


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