कौन कहता है समय मानो थम सा गया है
-अपने विद्यार्थियों को मिस कर रही हैं प्रो मनीषा झा -योगा करने में समय बिता रहे हैं मुख्य
-अपने विद्यार्थियों को मिस कर रही हैं प्रो मनीषा झा
-योगा करने में समय बिता रहे हैं मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक
जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो मनीषा झा ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि बहुत लंबी प्रतीत हो रही है, समय की गति भी चल रही है। कौन कहता है कि समय मानो थम सा गया है। सुबह होते ही कानों में चिड़ियों की मिठी आवाज कितनी प्यारी लगती है। इसे अनुभव करने का कभी वक्त नहीं था तो कभी वातावरण के शोरगुल के कारण पता नहीं चलता था। इसके अलावा सुबह की दिनचर्या पूर्ववत है। अपने हाथ से सब काम करना, क्योंकि सहायिका की भी छुट्टी है। ऐसा महसूस होता है कि परिवार के साथ सादा -सरल ग्रामीण जीवन व्यतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक मिलने -जुलने की पाबंदी बहुत अखड़ती है। दोपहर में थोड़ा आराम और टेलीविजन पर कोई फिल्म देखना। शाम के समय पूरी तरह से देश-दुनिया का समाचार देखना -जानना हो रहा है। बीच-बीच में मोबाइल -इंटरनेट का काम जारी रहता है।
बाहर निकलने वालों के लिए कैदी जीवन जैसा जरूर लगता है, किंतु वृहत्तर समाज का ख्याल आते ही अपनी तकलीफ छोटी लगती है। पढ़ाई -लिखाई की दिनचर्या थोड़ी बाधित अवश्य लगती है। इन दिनों कक्षा का परिवेश और विद्यार्थियों के चेहरे को मिस कर रही हूं। ईश्वर करे, सभी स्वस्थ रहें। सभी अपना ध्यान रखें। दूसरी ओर इस संबंध में एनएफ रेलवे के मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक देशबंधु कुमारउ ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जिंदगी ठहर सी गई है। पहले बहुत छोटे-छोटे काम जो करना चाहते थे पर वक्त की कमी से नहीं कर पाते थे,अब करके अच्छा लग रहा है। योगा करना अपने बेटे के साथ खेलना, उसे पढ़ाना, बागवानी करना और घर में रहना अच्छा ही लग रहा है। बुरा वक्त है पर लगता है अच्छे से ही गुजर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि घर पर रहें और करोना से लड़ें। अपने साथ समाज की भी सुरक्षा करें। गुरूंग नगर रहने वाली एक एक छात्रा स्वाति सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश में लॉकडाउन चल रहा है। लोग अपने घरों में कैद हैं। कोरोना वायरस से बचने के दृष्टिकोण से यह एक अच्छा कदम भी है। मैं भी घर पर ही हूं। परीक्षा के बाद एक अप्रैल से नया सेशन शुरू हो जाता है। कोरोना वायरस के चलते स्कूल तो बंद है। ऐसी स्थिति में घर पर ही पढ़ाई करती हूं। हांलाकि दिन भर पढ़ाई भी नहीं जा सकती है। ऐसे में मन बहलाने के लिए घर में ही थोड़ा खेल लेती हूं। मनोरंजन के लिए सुबह शाम दूरदर्शन पर रामायण देखती हूं। घर पर रहने की वजह से घर के काम में भी मा के साथ हाथ बटा देती हूं।