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शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक है महाशिवरात्रि

जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी महाशिवरात्रि का शुभ काल शिव तत्व को जगाने के लिए है जो चेतना

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 12:43 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 12:43 PM (IST)
शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक है महाशिवरात्रि
शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक है महाशिवरात्रि

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : महाशिवरात्रि का शुभ काल शिव तत्व को जगाने के लिए है, जो चेतना का सबसे सुंदर पहलू है। इस वर्ष महाशिवरात्रि इस वर्ष 11 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिवस को शिव और शक्ति के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। आचार्य पंडित यशोधर झा ने बताया कि महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त की बात करे तो चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ गुरुवार दिन के 2 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगा। यह 12 मार्च शुक्रवार शाम 3 बजकर 02 मिनट पर संपन्न होगा। 11 मार्च को प्रथम प्रहर 6:27 मिनट से लेकर 9:29 मिनट तक, द्वितीय प्रहर 11 मार्च को 9:29 मिनट से लेकर रात्रि के 12:31 मिनट तक, त्रितीय प्रहर रात्रि 12:31 मिनट से सुबह के 03:32 मिनट तक तथा रात्रि का चतुर्थ प्रहर सुबह के 3बजकर 32 मिनट से सुबह के 6:34 मिनट तक है।

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महाशिवरात्रि का महत्व

इन दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि शिव शक्ति के मिलन के दस पावन पर्व और पूजन करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याओं का निदान होता है। इसके लिए पति पत्‍‌नी दोनो को व्रत करके शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।

महाशिवरात्रि को शिव-पार्वती के महामिलन के साथ द्वादश ज्योतिर्लिगों के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है।

पूर्वोत्तर भारत के इस क्षेत्र में देश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी भगवान शिव का विवाहोत्सव मनाया जाता है। शिव विवाह में लोग इस मनोभाव से सम्मिलित होते हैं जैसे यह उत्सव उनके अपने घर का हो। अधिष्ठाता के साथ यह उत्सव जुड़ा होने के कारण यहा के नागरिकों के लिए इस पर्व से बड़ा दूसरा कोई पर्व नहीं है। सभी ठंडई व भंग की तरंग में मगन होकर झूमते-नाचते नजर आते हैं। महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ता है। मंदिरों के इर्द-गिर्द शिवभक्तों का मेला रहता है। चारों ओर हर-हर महादेव व ओम नम:शिवाय की अनुगूंज रहती है। मेला शब्द का अर्थ ही है मिलना और लोगों में एक दूसरे से मिलने की उत्कंठा हमेशा प्रबल रही है। दूसरे नगरों की तुलना में यहा मेले, त्योहारों, पर्वो व उत्सवों का महत्व अधिक रहता है। पुराणों के अनुसार अपने विवाह के पश्चात भगवान शिव अपने गणों, नंदी तथा माता पार्वती के साथ इसी दिव्य मंदिर में निवास किया करते है। शहर के चांदमुनी मंदिर में चार दिनों का बड़ा मेला लगता है। इसमें बड़ी संख्या में देश विदेश के श्रद्धालु आते है। इसको लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाते है।


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