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मछली के लिए हाहाकार में भी मालामाल हो रहे हैं राजदार

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट -दक्षिण से आवक में 80 प्रतिशत की कमी -सिक्किम असम के साथ ने

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 08:03 PM (IST)
मछली के लिए हाहाकार में भी मालामाल हो रहे हैं राजदार
मछली के लिए हाहाकार में भी मालामाल हो रहे हैं राजदार

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट

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-दक्षिण से आवक में 80 प्रतिशत की कमी

-सिक्किम, असम के साथ नेपाल व भूटान पर भी असर

-बांग्लादेशी पाब्दा और इलिश से थोड़ी राहत

-कमी का फायदा उठाने में लगे बडे़ कारोबारी

-कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी,आम लोग परेशान मोहन झा, सिलीगुड़ी : उत्सव के इस मौसम में सिलीगुड़ी सहित पूरा उत्तर बंगाल मछली के लिए तरस रहा है। उत्तर बंगाल में कच्चे माल की सबसे बड़ी थोक मंडी सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में मछली का सूखा पड़ा है। दूसरे राज्यों से मछली के आवक में 80 प्रतिशत की कमी आई है। इसी का फायदा मछली कारोबारी उठाने में लगे हैं।

आरोप है के मछली मंडी के राजदार तीन गुना मुनाफा कमा रहे हैं। यहां के बोलचाल की भाषा में दूसरे राज्यों से मछली मंगाने वाले थोक कारोबारी को राजदार कहते हैं।

मछली के लिए सिलीगुड़ी व आस-पास के साथ उत्तर बंगाल व पड़ोसी राज्य असम, सिक्किम के साथ पड़ोसी देश नेपाल व भूटान भी सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट पर आश्रित है। लेकिन पूजा के इस मौसम में मछली की मांग पूरी करने में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी पूरी तरह से विफल हुआ है। मछली मंडी के गद्दीदार और खुदरा कारोबारियों के भी पसीने छूट रहे हैं। हालांकि रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी के कुछ दिगज्ज राजदार इस संकट में भी मालामाल हो रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी में कोलकाता, आंध्र प्रदेश, तेलंगना, ओडिसा, बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश से बड़ी मछलियां मंगाई जाती है। पहले रोजाना बड़ी मछलियों की 30 से 35 ट्रकें सिलीगुड़ी पहुंचती थी। वहीं कोलकाता के डायमंड हार्बर व ओडिसा से इलिश मछली लदे दो से तीन ट्रक रोजाना पहुंचते थे। इसके अतिरिक्त बंगाल-बिहार सीमा व उत्तर बंगाल के विभिन्न हिस्सों से छोटी व जिंदा मछलियों की 10 से 12 छोटी गाड़िया आती थी। लेकिन इस बार पूजा के मौसम में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी संकट से जूझ रहा है। मछलियों की आवक में 80 प्रतिशत तक की कमी आई है। जिसकी वजह से कीमत में दो से तीन गुना का इजाफा हुआ है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश,तेलंगना, ओडिसा, बिहार, उत्तर व मध्य प्रदेश से बड़ी मछलियों की कुल 5 से 7 गाड़ियां पहुंच रही है। उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों से आने वाली छोटी मछलियों में भी कमी आई है।

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के व्यापारियों का कहना है कि इस बार की तरह मछली का संकट पहले कभी नहीं हुआ था। व्यापारियों के अनुसार इस समय अरिया टेंगरा, बिहार का कतला, कोलकाता का इलिश, मांगूर, सिंघी व पाब्दा मछली की काफी मांग रहती है। लेकिन इस वर्ष ये मछलियां मांग के अनुसार उपलब्ध नहीं है। बल्कि अधिक कीमत देने पर भी मांग पूरी नहीं हो रही है। अन्य छोटी मछलियां की मांग भी पूरी नहीं हो रही है। बल्कि संकट की इस घड़ी में पाब्दा और इलिश मछली बांग्लादेश से आयात किया जा रहा है। जो कि सीधे नहीं बल्कि कोलकाता या मालदा के व्यापारियों के जरिए मंगाया जाता है।

दूसरी ओर संकट के इस दौर में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी के राजदार भरपूर लाभ उठा रहे हैं। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में करीब 70 स्टॉल हैं। इनमें से अधिकांश कमिशन एजेंट के तौर पर व्यापार करते हैं। जबकि राजदारों की संख्या आठ से दस है। ये लोग आंध्र प्रदेश, तेलंगना, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिसा, कोलकाता यहां तक की बांग्लादेश से मछलियों की गाड़ी मंगवाते हैं। इसके बाद मंछली मंडी के अन्य व्यापारियों को नीलामी या डील के मुताबिक बेचते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कमिशन एजेंट के तौर पर व्यापार करने वाले 8 प्रतिशत से उपर ही काम करते हैं। इसलिए संकट के इस दौर में भी इनकी आमदनी अच्छी हो जाती है। जबकि व्यापार बचाने में गद्दीदार व खुदरा बाजार के व्यापारियों का पसीना छूट रहा है। राजदार बड़ी मछलियों की गाड़ी मंगाकर अपनी कीमत पर बेच रहे हैं। नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर मछली मंडी के एक व्यापारी ने बताया कि राजदार विभिन्न राज्यों के मछली व्यापारी व किसान से संपर्क कर मछली मंगाते हैं। फिर मांग के अनुसार रेट कमेटी में कीमत तय कर मछली मंडी के गद्दीदारों को बेचते हैं। इसमें कमिशन अलग से रखा जाता है।

इधर,एक ओर तो मछली की आवक कम है,वहीं दूसरी ओर संकट को और बढ़ाया भी जा रहा है। मछली मंगाकर भी उसे दो से तीन दिन तक डंप कर रखा जाता है। जिससे कि बाजार में मछली और कम हो जाए। फलस्वरुप मांग बढ़ने के साथ कीमत भी अपने आप बढ़ जाती है। संकट को और बढ़ाकर राजदार नोट छाप रहे हैं।

कितनी बढ़ी मछलियों की कीमत

जानकारी के मुताबिक जिंदा मछलियों की कीमत में 20 से 30 रुपया प्रति किलो का इजाफा हुआ है। वहीं कतला मछली की कीमत 100 रुपए प्रति किलो बढ़ी है। सिंघी व मांगूर की कीमत में प्रति किलो 400 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। अरिया टेंगरा की कीमत भी करीब 200 रुपए प्रति किलो बढ़ी है। बंगाल की प्रिय मछली पाब्दा व इलिश की कीमत में करीब 500 रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है।

क्या कहना है एसोसिएशन के सचिव का

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी कमिशन एजेंट एसोसिएशन के सचिव बापी चौधरी ने बताया कि बिहार व उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा बाढ़ की चपेट में है तो कहीं सुखा है। अनुकुल वातावरण नहीं मिलने से समुद्र से मछली निकालना मुश्किल हो रहा है। जिसकी वजह से मछली बाजार में संकट पैदा हुआ है। मांग के अनुपात में मछली उपलब्ध नहीं होने की वजह से कीमत भी बढ़ी है। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, तेलंगना, कोलकाता के व्यापारियों को यहां से अच्छी कीमत वहीं मिल रही है। जिसकी वजह से वहां के व्यापारी भी सिलीगुड़ी मछली भेजने से कतराते हैं। मछली की कमी की वजह से सिक्किम, असम सहित पड़ोसी देश नेपाल व भूटान को मांग के अनुसार मछली निर्यात संभव नहीं हो पा रहा है।


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