इनसे सीखें हंसना- देखने को आंख नहीं, लिखने को हाथ नहीं पर दे रहे परीक्षा
ये दोनों उन सभी के लिए मिसाल हैं, आईना हैं, जो रोते रहते हैं गरीबी का रोना, लाचारी का रोना।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 10:42 AM (IST)
सिलीगुड़ी [इरफान-ए-आजम]। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है... पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। ऐसे ही जज्बे से लबालब हैं सुष्मिता मंडल व बिमल महतो। सुष्मिता लिख सके, इसके लिए हाथ ही नहीं है औैर बिमल देख-पढ़ सके, उसके लिए आंखें नहीं हैं।
आंखों से लाचार होने के बावजूद परीक्षा देता विमल महतो।
ऊपर से गरीबी की मार जो है, सो अलग। मतलब, उडऩे के लिए इन दोनों के पास पर नहीं है लेकिन फिर भी हौसला इतना है कि ये उड़ रहे हैं। माध्यमिक परीक्षा दे रहे हैं। ये दोनों उन सभी के लिए मिसाल हैं, आईना हैं, जो रोते रहते हैं गरीबी का रोना, लाचारी का रोना। ऐसे रोने वालों को सुष्मिता और बिमल से हंसना सीखना चाहिए।
ये दोनों सिलीगुड़ी महकमा के फांसीदेवा प्रखंड अंतर्गत संतोषिणी विद्याचक्र उच्च विद्यालय के विद्यार्थी हैं। वहीं, बिधान नगर के ही मुरलीगंज हाईस्कूल परीक्षा केंद्र पर माध्यमिक परीक्षा दे रहे हैं। इन्हें लेकर अन्य सभी में कौतूहल है। चूंकि सुष्मिता के पास दाहिना हाथ है ही नहीं और बायां हाथ बहुत ही छोटा है इसलिए वह अपने पांव से लिख कर परीक्षा देना चाह रही थी। मगर, माध्यमिक शिक्षा परिषद ने उसे सहायक लेखक मुहैया करा दिया है। उससे जूनियर छात्रा नेहा मंडल उसकी राइटर बनी है। उसी की सहायता से सुष्मिता माध्यमिक की परीक्षा दे रही है।
मुरलीगंज हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक और इस परीक्षा केंद्र व इसके अधीनस्थ परीक्षा केंद्रों के सचिव शम्शुल आलम कहते हैं कि सुष्मिता व बिमल केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि हम शिक्षकों व सभी के लिए बड़े प्रेरणा श्रोत हैं। सुष्मिता ने अपने पांव से जो अपनी उत्तर पुस्तिका पर अपना इतना सुंदर साईन किया और पांव से ही वह जो सुंदर चित्रकारी करती है वह देख उसकी प्रतिभा से हम सब हतप्रभ हैं।
वह बताते हैं कि सुष्मिता बिधान नगर के ही मिलन पल्ली की रहने वाली है। उसके पिता सुभाष मंडल नशे की लत के शिकार हैं और परिवार से लेना-देना नाम मात्र है। मां अंजलि मंडल एक चाय फैक्टरी में दैनिक मजदूर है जो बमुश्किल घर चला पाती है। सुष्मिता से बड़ी दो बहन व एक भाई है मगर वे लोग अभी खुद ही कम उम्र हैं। परिवार में गरीबी चरम पर है। उसके परिवार की दयनीय दशा व पिता की लापरवाही को देखते हुए बिधान नगर व्यवसायी समिति के शिवेश भौमिक ने खुद पहल करते हुए व औरों से कुछ सहयोग जुटा कर सुष्मिता के नाम से 33000 रुपये फिक्स डिपॉजिट करवा कर उसकी मदद की है कि ताकि भविष्य में यह राशि उसके कुछ काम आ सके।
इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सुष्मिता ने हार नहीं मानी और चित्रांकन व पढ़ाई में रमी रही। उसी का नतीजा है कि वह अब माध्यमिक परीक्षा दे रही है। इसी प्रकार बिधान नगर में ही भीमभार दृष्टिहीन विद्यालय में रहने वाला दृष्टिहीन बिमल महतो भी औरों के लिए बड़ी प्रेरणा है। उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज अंतर्गत जगदीशपुर का निवासी बिमल भी बहुत गरीब है। उसकी मां गृहिणी व पिता राज मिस्त्री हैं। बिमल भी विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहा है। इसके बावजूद उसने पढ़ाई नहीं छोड़ी। अब एक राइटर आर्यन सिंह की मदद से माध्यमिक परीक्षा दे रहा है। इन दोनों परीक्षार्थियों ने बताया कि पहले दिन प्रथम भाषा पत्र बांग्ला की परीक्षा बेहतर गुजरी। उम्मीद है कि अन्य परीक्षाएं भी बेहतर गुजरेंगी व माध्यमिक में अच्छी सफलता मिलेगी। इनकी सफलता के लिए सब दुआएं कर रहे हैं। हम-आप भी करें...आमीन।
आंखों से लाचार होने के बावजूद परीक्षा देता विमल महतो।
ऊपर से गरीबी की मार जो है, सो अलग। मतलब, उडऩे के लिए इन दोनों के पास पर नहीं है लेकिन फिर भी हौसला इतना है कि ये उड़ रहे हैं। माध्यमिक परीक्षा दे रहे हैं। ये दोनों उन सभी के लिए मिसाल हैं, आईना हैं, जो रोते रहते हैं गरीबी का रोना, लाचारी का रोना। ऐसे रोने वालों को सुष्मिता और बिमल से हंसना सीखना चाहिए।
ये दोनों सिलीगुड़ी महकमा के फांसीदेवा प्रखंड अंतर्गत संतोषिणी विद्याचक्र उच्च विद्यालय के विद्यार्थी हैं। वहीं, बिधान नगर के ही मुरलीगंज हाईस्कूल परीक्षा केंद्र पर माध्यमिक परीक्षा दे रहे हैं। इन्हें लेकर अन्य सभी में कौतूहल है। चूंकि सुष्मिता के पास दाहिना हाथ है ही नहीं और बायां हाथ बहुत ही छोटा है इसलिए वह अपने पांव से लिख कर परीक्षा देना चाह रही थी। मगर, माध्यमिक शिक्षा परिषद ने उसे सहायक लेखक मुहैया करा दिया है। उससे जूनियर छात्रा नेहा मंडल उसकी राइटर बनी है। उसी की सहायता से सुष्मिता माध्यमिक की परीक्षा दे रही है।
मुरलीगंज हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक और इस परीक्षा केंद्र व इसके अधीनस्थ परीक्षा केंद्रों के सचिव शम्शुल आलम कहते हैं कि सुष्मिता व बिमल केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि हम शिक्षकों व सभी के लिए बड़े प्रेरणा श्रोत हैं। सुष्मिता ने अपने पांव से जो अपनी उत्तर पुस्तिका पर अपना इतना सुंदर साईन किया और पांव से ही वह जो सुंदर चित्रकारी करती है वह देख उसकी प्रतिभा से हम सब हतप्रभ हैं।
वह बताते हैं कि सुष्मिता बिधान नगर के ही मिलन पल्ली की रहने वाली है। उसके पिता सुभाष मंडल नशे की लत के शिकार हैं और परिवार से लेना-देना नाम मात्र है। मां अंजलि मंडल एक चाय फैक्टरी में दैनिक मजदूर है जो बमुश्किल घर चला पाती है। सुष्मिता से बड़ी दो बहन व एक भाई है मगर वे लोग अभी खुद ही कम उम्र हैं। परिवार में गरीबी चरम पर है। उसके परिवार की दयनीय दशा व पिता की लापरवाही को देखते हुए बिधान नगर व्यवसायी समिति के शिवेश भौमिक ने खुद पहल करते हुए व औरों से कुछ सहयोग जुटा कर सुष्मिता के नाम से 33000 रुपये फिक्स डिपॉजिट करवा कर उसकी मदद की है कि ताकि भविष्य में यह राशि उसके कुछ काम आ सके।
इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सुष्मिता ने हार नहीं मानी और चित्रांकन व पढ़ाई में रमी रही। उसी का नतीजा है कि वह अब माध्यमिक परीक्षा दे रही है। इसी प्रकार बिधान नगर में ही भीमभार दृष्टिहीन विद्यालय में रहने वाला दृष्टिहीन बिमल महतो भी औरों के लिए बड़ी प्रेरणा है। उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज अंतर्गत जगदीशपुर का निवासी बिमल भी बहुत गरीब है। उसकी मां गृहिणी व पिता राज मिस्त्री हैं। बिमल भी विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहा है। इसके बावजूद उसने पढ़ाई नहीं छोड़ी। अब एक राइटर आर्यन सिंह की मदद से माध्यमिक परीक्षा दे रहा है। इन दोनों परीक्षार्थियों ने बताया कि पहले दिन प्रथम भाषा पत्र बांग्ला की परीक्षा बेहतर गुजरी। उम्मीद है कि अन्य परीक्षाएं भी बेहतर गुजरेंगी व माध्यमिक में अच्छी सफलता मिलेगी। इनकी सफलता के लिए सब दुआएं कर रहे हैं। हम-आप भी करें...आमीन।
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