जमा पूंजी जीरो और मात्र दो महीने में 12 करोड़ किया जमा
200 करोड़ कि उगाही का खेल- 21 -कुल सत्तर लोग लेनदेन हुए हैं शामिल -सौ करोड़ से अधिक क
200 करोड़ कि उगाही का खेल- 21
-कुल सत्तर लोग लेनदेन हुए हैं शामिल
-सौ करोड़ से अधिक की नगद राशि की वसूली
-नोटबंदी के समय ही तैयार हो गया था घपले का प्लान जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : भारत-नेपाल सीमात पानीटंकी मे मार्केट बसाकर करोड़ो की उगाही के लिए ही निजी एक्सिस बैंक के नक्सलबाड़ी शाखा मे फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के नाम खाता खुलवाया गया। इस बैंक खाते से करोड़ो का लेनदेन तो किया ही गया साथ ही फर्जी संस्था के पदाधिकारियों के पास भी करोड़ो रुपये नगद पड़े होने की संभावना जताई जा रही है। उगाही के इस खेल का परत दर परत खुलासे के बाद भी जिला प्रशासन मौन है। प्रशासन की यह नींद अब राज्य के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही तोड़ पाएंगी।
आज के दौर मे सरकारी भेस्ट जमीन पर मार्केट बसाकर करोड़ो की उगाही के लिए फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएसन को एक बैंक खाते ही आवश्यकता थी। बैंक खाते के बिना राजस्व की रकम जमा कराना संभव नहीं था। नियमानुसार राजस्व के 50 लाख तक की रकम एनईएफटी और उससे अधिक की राशि आरटीजीएस के माध्यम से ही सरकारी खजाने मे जमा करना होगा। फर्जी संस्था को सरकारी भेस्ट जमीन लीज पर देने का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट में पास होने के बाद डिप्टी सेक्रेटरी ने 12 मार्च 2020 से 45 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी कराने का निर्देश दाíजलिंग जिलाधिकारी को दिया। आरोप है कि इसके बाद 20 मार्च 2020 को एक्सिस बैंक में फर्जी संस्था के नाम पर बैंक अधिकारियों की मिली-भगत से खाता खुलवाया गया। फिर मई के दूसरे सप्ताह से जुलाई के दूसरे सप्ताह करीब दो महीने के बीच करीब 12 करोड़ का लेनदेन किया गया है। यह लेनदेन इस फर्जी संस्था के करीब 70 लोगों द्वारा ही किया गया है। सूत्रों की मानें तो लीज के लिए सरकार द्वारा निर्धारित राजस्व करीब 12 करोड़ की राशि सरकारी मियाद समाप्त होने के 35 दिन बाद इसी बैंक खाते से सरकारी खाते मे जमा कराया गया है।
फर्जी संस्था के सचिव घनश्याम करवा के बयान अनुसार मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन का गठन अगस्त 2013 को हुआ और गठन के समय संस्था की सदस्यों की संख्या 600 से अधिक थी। जबकि संस्था की पूंजी शून्य थी। अब जरा गौर से देखें तो 7.92 एकड़ सरकारी भेस्ट जमीन के आसपास की जमीन हड़प कर 1350 दुकानों का एक मार्केट बसाने की योजना है। 70 सदस्यों ने मिलकर कोरोना के इस आतंकित काल मे 12 करोड़ की राशि का लेनदेन बैंक खाते के मार्फत किया है। औसतन सभी की करीब 17 लाख की हिस्सेदारी रही। इसी क्रम मे करीब 530 सदस्यों की हिस्सदारी करीब एक सौ करोड़ का लेनदेन नगद मे किया गया है। 2013 मे गठन के बाद मार्च 2020 को बैंक खाता खोला ही गया है। अब सवाल यह उठता है कि वर्ष 2016 के 8 नवंबर को प्रधानमंत्री ने पूरे देश मे नोट बंदी जारी कर दी थी। जिसके तहत हजार और पांच सौ के नोट को रद्द कर दिया गया था। नागरिकों ने अपनी नगदी को बैंक मे जमा कर बदलवाया था। क्या करोड़ो रुपए नोटबंदी के समय बदलवा कर फर्जी संस्था के पदाधिकारियों ने अपने पास नगद में रखा लिया, या फिर इस फर्जी संस्था का सचिव व कारोबारी घनश्याम करवा अपने व्यापार में इस्तेमाल कर चुके हैं? सूत्रों कि माने तो घनश्याम करवा तीन फर्म के मालिक हैं। जबकि फर्म और उनको मिलाकर घनश्याम करवा के नाम पर कुल चार पैन कार्ड जारी है। कहीं कालाधन को सफेद करने में तो इन फर्मो का उपयोग नहीं किया गया। बड़े वित्तीय घोटाले का संकेत
मार्केट बसाकर करोड़ों की उगाही का खेल एक बड़े वित्तीय घोटाले कि ओर इशारा कर रहा है। जबकि वित्तीय घोटाले से जुड़े सवालों के जवाब के लिए व फर्जी संस्था के नाम पर बैंक खाता खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय से संपर्क साधा गया है।
फर्जी संस्था के पदाधिकारियों ने साधी चुप्पी
कई सवालों के जवाब फर्जी संस्था के पदाधिकारी भी नहीं दे रहे हैं। सवालों का जवाब जानने के लिए इस फर्जी संस्था के कथित अध्यक्ष हाद्रु उराव, उपाध्यक्ष बबलू उराव, सचिव घनश्याम करवा, उपसचिव फीटर उराव व कोषाध्यक्ष विनय बर्मन को फोन किया गया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। संबंधित निजी बैंक प्रबंधन का रवैया भी संदिग्ध है। इसलिए एक्सिस बैंक के उच्च अधिकारियों व प्रबंधन से भी संपर्क साधने कि कोशिश की जा रही है।