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पानीटंकी में दस साल पहले से ही चल रहा है उगाही का काला धंघा

-जमीन की हेरा-फेरी में कई पार्टी के नेता भी शामिल -काली कमाई कर कमेटी के सदस्य हो

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 08:44 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 08:44 PM (IST)
पानीटंकी में दस साल पहले से ही चल रहा है उगाही का काला धंघा
पानीटंकी में दस साल पहले से ही चल रहा है उगाही का काला धंघा

-जमीन की हेरा-फेरी में कई पार्टी के नेता भी शामिल

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-काली कमाई कर कमेटी के सदस्य हो रहे हैं मालामाल

-राज्य सरकार के साथ केंद्र के राजस्व को भी लगाया चूना 200 करोड़ की उगाही का खेल-8

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : भारत-नेपाल सीमांत सिलीगुड़ी से सटे पानीटंकी इलाके में अवैध तरीके से मार्केट बसाकर करोड़ों की उगाही का खेल कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी वर्ष 2010 में इसी तरह एक पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी बनाकर मार्केट बसाया गया है। जिसमें करोड़ों की उगाही की गई और किराये के बहाने प्रति वर्ष करोड़ों का काला धन समेटा जा रहा है। करोड़ों की उगाही के इस खेल में चेहरा और तरीका पुराना ही है, सिर्फ उगाही के जरिए को नया नाम दिया गया है। इस खेल में राज्य व केंद्र सरकार को प्रति वर्ष करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

प्राप्त कागजात के अनुसार वर्ष 2004 में पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी बनाई गई। जिसका पश्चिम बंगाल सोसायटी एक्ट-1961 के तहत पंजीकरण 19 जुलाई वर्ष 2004 को कोलकाता में फर्म, सोसायटी व नॉन ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के रजिस्ट्रार के जरिए हुआ। पंजीकरण संख्या एस/आईएल/22972 के तहत पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी को बतौर एक गैर सरकारी संस्था पंजीकृत किया गया। इस संस्था के अध्यक्ष होमनाथ सिंघा, उपाध्यक्ष मृणाल कांति राय, राम कुमार छेत्री सचिव के पद पर, घनश्याम करवा उप सचिव के पद पर और मदन छेत्री कोषाध्यक्ष के पद पर आसीन हैं। वहीं असित राय, शंकर छेत्री, मोहन छेत्री और बम बहादुर निराला सदस्य बताये गए हैं। पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी के सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन में इन सभी का नाम दर्ज है। यहां बताते चलें कि होमनाथ सिंघा सिलीगुड़ी महकमा परिषद के बीते त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में माकपा के टिकट से पंचायत सदस्य चुने गए और वर्ष 2019 में उन्होंने माकपा छोड़कर तृणमूल का दामन थाम लिया। वहीं राम कुमार छेत्री माकपा के वर्षो से साथी हैं। पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी में उप सचिव घनश्याम करवा मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन में सचिव के पद पर आसीन हैं। नियमानुसार एक ही व्यक्ति दो गैर सरकारी संस्था के पद पर आसीन नहीं हो सकते हैं। पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी ने एक ही तर्ज पर खोरीबाड़ी ब्लॉक के भारत-नेपाल सीमांत से सटे गंडगोल मौजा के 6.66 एकड़ जमीन सरकार से लीज पर लेकर लोगों को मार्केट बसाने के लिए 10 से 15 लाख रुपए में दुकान की जमीन बेची। जिस पर आज करीब छह सौ दुकान का एक मार्केट बसा हुआ है। उक्त जमीन 18 लाख 44 हजार 900 रुपये सलामी और 1 लाख 84 हजार 490 रुपये वार्षिक किराये पर सरकार ने पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी को 30 वर्षो के लीज पर दिया। उक्त 6.66 एकड़ सरकारी भेस्ट जमीन गंडगोल मौजा के आरएस प्लॉट नंबर-5,10,15,16,17,18 और 19 में दर्ज है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि यही प्लॉट नंबर-10, मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन को लीज पर दी जाने वाली राज्य सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी द्वारा जारी निर्देशिका में भी दर्ज है। पश्चिम बंगाल भूमि व भूमि सुधार विभाग की ओर से दार्जिलिंग के तत्कालीन एडीएम (एलआर) व डीएलएलआरओ गोपाल लामा ने पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी को उक्त जमीन लीज दी थी। डीड ऑफ लीज पर अधिकारी गोपाल लामा का हस्ताक्षर अंकित है। जबकि पश्चिम बंगाल सोसायटी एक्ट-1961 के तहत कोई भी गैर सरकारी संस्था चल या अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री नहीं कर सकती।

कैसे हो रही है उगाही

अब जरा उगाही पर गौर करें तो छह सौ दुकान की जमीन बेचकर तो पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी ने करोड़ो की उगाही की ही। इसके अतिरिक्त करीब छह सौ दुकानदारों से औसतन पांच हजार के हिसाब से तीस लाख रुपया मासिक किराया वसूला जा रहा है। अर्थात प्रतिवर्ष तीन करोड़ साठ लाख रुपया सिर्फ किराया वसूला जा रहा है। जिसमें से राज्य सरकार के खाते में 6.66 एकड़ जमीन का वार्षिक किराया मात्र 1 लाख 84 हजार 490 रुपया जमा कराया जा रहा है। बांकी का 3 करोड़ 58 लाख रुपया पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी के पदाधिकारियों की जेब में जा रहा है। लेकिन केंद्र सरकार के आयकर विभाग को इसमें से फूटी कौड़ी भी राजस्व के नाम पर नहीं मिल रही है। क्योंकि पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी का पैन कार्ड ही मई 2019 को जारी हुआ है। अर्थात पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी आयकर विभाग के सभी मानदंडो को किनारे रखकर ऑडिट और आईटीआर जमा करना मुनासिब नहीं समझा। जिसकी वजह से प्रतिवर्ष करोड़ो का काला धन संस्था के पदाधिकारियों के जेब में जमा हो रहा है।

लाखों डकार कर दुकानदारों को भी दगा दिया

सिर्फ इतना ही नहीं पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी लाखों रुपये ऐंठने के बाद दुकानदारों से भी दगा कर चुकी है। दुकानदारों को सरकार से जमीन की लीज नहीं मिली है। सरकार से 6.66 एकड़ जमीन की 30 वर्षो की लीज पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी को मिला है। लेकिन कमेटी ने जमीन खरीदने वाले दुकानदारों को लीज ट्रांसफर नहीं किया है। बल्कि मात्र 10 रुपए के नॉन-जुडिशियल स्टाम्प पर लिखकर दिया है। इससे राज्य सरकार को भी स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के रुप में राजस्व का नुकसान हुआ है। वहीं पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी और दुकानदारों के बीच हुई खरीद-बिक्री कच्चा सौदा होने की वजह से आयकर विभाग को भी राजस्व का नुकसान हुआ है। पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी की इस गैर कानूनी हरकतों की वजह से मार्केट के व्यापारी मझधार की स्थिति में हैं। साथ ही वे लाखों रुपये में जमीन खरीदने व प्रति माह किराया देने के बाद भी खुद को असुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।

क्या कहते हैं कमेटी सचिव

इस संबंध में पानीटंकी मार्केट डेवलपमेंट कमेटी के सचिव राम कुमार छेत्री ने बताया कि सब कुछ कानूनी तरीके से हुआ है। सरकार को राजस्व का नुकसान नहीं कराया जा रहा है। बल्कि दुकानदारों से बराबर के अनुपात में किराया लिया भी जा रहा है और सरकारी खाते में जमा भी कराया जा रहा है।


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