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जीवन संवारने की बात थी लेकिन जिंदगी जाने की आई नौबत

-खोरीबाड़ी में पैदल आए प्रवासी मजदूरों का लगा जमावड़ा -हालत और दर्द देख किसी की भी नम

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 08:15 PM (IST)
जीवन संवारने की बात थी लेकिन जिंदगी जाने की आई नौबत
जीवन संवारने की बात थी लेकिन जिंदगी जाने की आई नौबत

-खोरीबाड़ी में पैदल आए प्रवासी मजदूरों का लगा जमावड़ा

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-हालत और दर्द देख किसी की भी नम हो जाएगी आंखें

-नाम लिखाने और स्क्रीनिंग की लग रही है लंबी लाइन

-अधिकांश मजदूर कूचबिहार जिले के रहने वाले

-बिहार में ईट भट्टे पर काम करते थी सभी मजदूर

-कोरोना संकट की घड़ी में मालिक ने भी साथ छोड़ा

चंदन मंडल,खोरीबाड़ी : जीवन संवारने की बात थी तो आए घर छोड़कर, जीवन बचाने की नौबत आई तो पैदल ही चल दिए घर, लंबी सड़को का गुमान था खुद पर, लेकिन मजदूरों ने पैदल चलकर ही नाप ली सड़को की लंबाई। जी हा जब परिवार पालने और जीवन-यापन करने की बात थी तो मजदूर अपने घरों और राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य में चले गये। लेकिन आज वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण प्रवासी मजदूरों में अपने-अपने घर लौटने की होड़ लगी है। हजारों की संख्या में मजदूर पैदल,साईकिल, वैन आदि के सहारे गठरी-माटरी लेकर घर की ओर निकल पड़े है। विशेषकर ईंट भट्ठों में काम करने गए मजदूर अपने परिवार के साथ न चाहते हुए भी पैदल निकल पड़े हैं। हम बात कर रहे हैं खोरीबाड़ी प्रखंड के देवीगंज विवेकानंद हाई स्कूल में पैदल प्रवासी मजदूरों की। बिहार के विभिन्न जगहों पर ईंट भट्टा में काम करने वाले प्रवासी मजदूर पैदल ही देवीगंज पहुंचे। सैकड़ों की तादाद में कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार कर सूची बनवा रहे हैं। इसी तरह से स्वास्थ्य जाच भी करवा रहे हैं। जाच के बाद प्रशासन के सहयोग से सभी मजदूरों को अपने - अपने घर भेजा जा रहा है। यह सिलसिला बीते कई दिनों से चल रहा है। बिहार के विभिन्न जगहों पर र्इंट भट्टा में काम करने वाले कूचबिहार के प्रवासी मजदूर पैदल ही खोरीबाड़ी क्षेत्र में पहुंचते हैं। पैदल न चल पाने वाले मजदूर की बूढ़ी मां भी है, तो गोद मे छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। उनके चेहरे पर दर्द और डर दोनों महसूस किया। प्रवासी मजदूरों के बंगाल सीमा में प्रवेश करते ही खोरीबाड़ी थाना पुलिस की टीम और स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनकी सघन जाच की जाती है। स्वास्थ्य जाच के बाद पूर्ण दस्तावेज पेश करने के उपरात मजदूरों को स्कूल में शरण दी जाती है। फिर गाड़ी की व्यवस्था कर उनको घर तक भेजा जा रहा है। साफ-साफ देखी जा सकती है बेबसी और लाचारी

हाईवे के किनारे सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम तक इनलोगों के लिए खिचड़ी की व्यवस्था की जा रही है। इन मजदूरों के मालिक संकट की घड़ी में इनके साथ खड़े नहीं रहे। देवीगंज हाई स्कूल में बेबस और लाचार भीड़ देखकर लगता हैं कि मानवता आज भी खतरे में हैं। अपने - अपने घर जाने के लिए निकले मजदूरों के बच्चों के बिलखते आसू और पेट की भूख की चिंता देख किसी भी आंखें नम हो सकती है। शुक्रवार को देवीगंज पहुंचने पर पता चला कि 428 प्रवासी मजदूर अपनी- अपनी बारी से थर्मल स्क्रीनिंग करवा रहे थे। इनलोगों को प्रशासन के सहयोग से शनिवार को एनबीएसटीसी व लोकल बस द्वारा अपने-अपने घर भेज दिया जायेगा। सभी को कूचबिहार के लिए रवाना किया जायेगा। शुक्रवार दोपहर भी करीब 30 प्रवासी मजदूर बिहार से पैदल देवीगंज विवेकानंद हाई स्कूल पहुंचे।


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