नेपाली समुदाय पर अप्रवासी का कलंक समाज के नेताओं ने ही लगाया: केबी राई
सिक्किम रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष केबी राई ने कहा कि सिक्किम में नेपाली समुदाय पर अप्रवासी होने का कलंक समाज के ही नेताओं ने लगाया है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 12:40 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 12:40 PM (IST)
गंगटोक [जागरण संवाददाता]। सिक्किम के नेपाली समुदाय पर अप्रवासी का कलंक नेपाली नेताओं ने ही लगाया है। यह आरोप सिक्किम रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष केबी राई ने लगाया है।
उन्होंने पत्रकारों को बताया कि 1979 में आरसी पौड्याल ने राज्य में नेपाली समुदाय को समान अधिकार देने का तर्क देकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। इसका 1993 में फैसला हुआ। इसके आधार पर भूटिया-लेप्चा समुदाय को विधानसभा में जाति के आधार पर 32 में से 12 सींटे आरक्षित हुई हैं, लेकिन इसके फैसले के साथ नेपाली को प्राप्त राज शासन के समय के सीट आरक्षण के राजनैतिक अधिकार को गंवाना पड़ा। यह मुकदमा आरसी पौड्याल बनान यूनियन ऑफ इंडिया चला। इस मुकदमा हराने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी के सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न तर्क दिए थे। इसमें नेपाली को नेपाल से आने का तथा अप्रवासी की संज्ञा दी थी। इस तर्क के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने भी हस्ताक्षर किया था। इस तरह नेपाली समुदाय को अप्रवासी की संज्ञा देने के लिए हमारे समुदाय के नेता ही दोषी हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने भी एक सरकारी पुस्तक में ऐतिहासिक पुष्टभूमि के जरिए सिक्किम के नेपाली को अप्रवासी कहा है। फिलहाल वाईचुंग भूटिया व उनके दल ने सुप्रीम कोर्ट में नेपाली समुदाय पर अप्रवासी के लगे ठप्पे को हटाने के लिए याचिका दायर की है, लेकिन यह केवल चुनाव पूर्व राजनैतिक तिकड़मबाजी है। उन्होंने सिक्किम के नेपाली समुदाय पर लगे अप्रवासी के कलंक को मिटाने के लिए नई ऐतिहासिक पुष्टभूमि के साथ रिपोर्ट तैयार करने तथा राज्य सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की मांग की। इसमें सिक्किम में नेपाली समुदाय के आदिम काल के ऐतिहासिक तथ्यों को शामिल किया जाए।
उन्होंने पत्रकारों को बताया कि 1979 में आरसी पौड्याल ने राज्य में नेपाली समुदाय को समान अधिकार देने का तर्क देकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। इसका 1993 में फैसला हुआ। इसके आधार पर भूटिया-लेप्चा समुदाय को विधानसभा में जाति के आधार पर 32 में से 12 सींटे आरक्षित हुई हैं, लेकिन इसके फैसले के साथ नेपाली को प्राप्त राज शासन के समय के सीट आरक्षण के राजनैतिक अधिकार को गंवाना पड़ा। यह मुकदमा आरसी पौड्याल बनान यूनियन ऑफ इंडिया चला। इस मुकदमा हराने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी के सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न तर्क दिए थे। इसमें नेपाली को नेपाल से आने का तथा अप्रवासी की संज्ञा दी थी। इस तर्क के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने भी हस्ताक्षर किया था। इस तरह नेपाली समुदाय को अप्रवासी की संज्ञा देने के लिए हमारे समुदाय के नेता ही दोषी हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने भी एक सरकारी पुस्तक में ऐतिहासिक पुष्टभूमि के जरिए सिक्किम के नेपाली को अप्रवासी कहा है। फिलहाल वाईचुंग भूटिया व उनके दल ने सुप्रीम कोर्ट में नेपाली समुदाय पर अप्रवासी के लगे ठप्पे को हटाने के लिए याचिका दायर की है, लेकिन यह केवल चुनाव पूर्व राजनैतिक तिकड़मबाजी है। उन्होंने सिक्किम के नेपाली समुदाय पर लगे अप्रवासी के कलंक को मिटाने के लिए नई ऐतिहासिक पुष्टभूमि के साथ रिपोर्ट तैयार करने तथा राज्य सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की मांग की। इसमें सिक्किम में नेपाली समुदाय के आदिम काल के ऐतिहासिक तथ्यों को शामिल किया जाए।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें