भारत में अपनों से ही शोषित हुई है नारी: क्रामाकपा इकाई
डुक्पा ने बताया कि संगठन का मूल आवाज ही नारी हिंसा के खिलाफ संघर्ष कर महिला मुक्ति अधिकार के लिए लड़ना है
कालिम्पोंग, संवादसूत्र। विश्व नारी दिवस के उपलक्ष्य पर क्रामाकपा के संगठन गणतांत्रिक क्रांतिकारी नारी मोर्चा की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने संघर्ष के लिए अग्रसर होने की बात कही। जिले के गोदुनिस भवन में आयोजित नारी मोर्चा ने 108वां श्रमिजीवी महिला दिवस मनाया गया जिसमें संस्थापक राधिका सिन्हा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थीं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गक्रानामो केंद्रीय समिति अध्यक्ष विंद्या डुक्पा ने कहा कि महिला मुक्ति के प्रश्न को प्राथमिकता देते हुए परिवर्तन के लिए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा अपने स्थापना के समय से ही नारी मुक्ति संघर्ष को प्राथमिकता और प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि भारत में महिला संवैधानिक तौर पर स्वतंत्र होने के बावजूद पूर्ण स्वतंत्र नहीं हैं। देश में महिलाएं अपनों से ही पीड़ित और शोषित हैं। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को मान्यता अपेक्षाकृत नहीं मिली है। इस व्यवस्था के खिलाफ ही संगठन ने आवाज बुलंद करने का कार्य किया है।
डुक्पा ने बताया कि संगठन का मूल आवाज ही नारी हिंसा के खिलाफ संघर्ष कर महिला मुक्ति अधिकार के लिए लड़ना है। उन्होंने विश्व नारी दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दिन ही हम सभी महिलाएं एकत्रित होकर नारी अधिकारों के विषय पर जागरूकता फैला सकते हैं। इस दिन ही सभी नारियों को उनके अधिकारों और हितों के प्रति प्रेरित किया जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान महिला मुक्ति विषय पर कवि टीका भाई ने विमर्ष भी प्रस्तुत किया।
सामाजिक कार्य के लिए चर्चित संस्था बाल सुरक्षा अभियान की निदेशिका सिस्टर सुवेसना थापा, रेखा प्रधान तथा साहित्यिक योगदान के लिए कवि भीमा राई तोलाछा को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन की संस्थापक विंद्या गोता ने की तथा संपन्न कार्यक्रम में कवि उमेश परियार व भीमा राई ने कविता पाठ भी किया। कार्यक्रम में नीलम राई, तुलसी राई तथा फंफा राई भी उपस्थित थीं।