अंतिम दम तक लडूंगा श्रमिकों की लड़ाई : जॉन बारला
-प्रधानमंत्री से हुई महत्वपूर्ण बातचीत - श्रमिकों की समस्या से केंद्र भी चिंतित -श्रमिकों क
-प्रधानमंत्री से हुई महत्वपूर्ण बातचीत
- श्रमिकों की समस्या से केंद्र भी चिंतित
-श्रमिकों को मिले जमीन का पट्टा -दैनिक जागरण ने सांसद को सौंपा मांगपत्र
-मतदाताओं की मांग को पूरा करने का मिला भरोसा
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : जीवन के अंतिम समय पर चाय श्रमिकों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ाई करता रहूंगा। क्योंकि आदिवासी काम करना जानते हैं, भीख मांगना नहीं। इनकी ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में चाय बागान से लगातार हो रहे पलायन और मृत्यु को नहीं रोका जा सकता है। आने वाले दिनों में युवा पीढ़ी चाय बागान में मजदूरी से विमुख हो जाएगी। आवश्यक कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले 15 वर्षो में उत्तर बंगाल चाय में उद्योग पूरी तरह खत्म हो जाएगा। लगातार संघर्ष करते हुए हिदी में प्रश्न पत्र प्रारंभ कराने में कामयाब हुए हैं। उम्मीद करते हैं कि संघर्ष के बल पर ही चाय श्रमिकों को उनका हक दिलाने में सफल होंगे। यह कहना है उत्तर बंगाल के आदिवासियों के नेता व अलीपुरद्वार के भाजपा सांसद जॉन बारला का। वह शनिवार को विशेष चर्चा के लिए दैनिक जागरण सिलीगुड़ी कार्यालय पधारे थे। इसी मौके पर उनसे हमारे संवाददाताओं ने बातचीत की। बारला ने बताया कि वे सांसद बनने के बाद भी आज वे स्वयं को चाय श्रमिक ही मानते हैं। चाय श्रमिकों को अंग्रेजों ने यहां लाया था। दादा परदादा के इस काम को आज उसी परिवार से जुड़े पोता तक कर रहे हैं। अंग्रेज से देश को मुक्त करा लिया गया परंतु चाय बागान में काम करने वाले आदिवासी और गोरखाओं की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। जरा कल्पना करें कि एक की घर में दादा से लेकर पोते का परिवार कैसे सोता है? उन्होंने कहा कि इन सारी समस्याओं को लेकर उनकी काफी देर तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात हुई। वे हिल्स, तराई व डुवार्स की समस्या को लेकर काफी गंभीर हैं। राज्य सरकार आदिवासियों को ठगने का काम कर रही है। 2015 से आदिवासियों को जमीन का पट्टा देने की बात कह रही है। 2020 चल रहा है परंतु अबतक जमीन का पट्टा नहीं मिला। कल चाय बागान बंद हो जाएगा तो यहां के मजदूरों को यह जगह भी छोड़ना पड़ जाएगा। इन दिनों मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि चाय बागानों में 25 प्रतिशत भूमि को टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए दिया जाएगा। सरकार यह करे, परंतु इसके पहले उन्हें चाय श्रमिकों को उसी बागान में जमीन का पट्टा देना होगा। ऐसा करने के बाद ही प्रधानमंत्री आवास योजना से उन्हें पक्का घर तो मिलेगा। वीरपाड़ा के बांधापानी, जयगांव के खोखला,रायडंग ब्रिज के लिए केंद्र सरकार से स्वीकृति मिल गई है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है परंतु राज्य सरकार चुप है। इसी मौके पर सांसद को अलीपुरद्वार की जनता का एक मांगपत्र सौंपा गया। इस मांगपत्र को अलीपुरद्वार संसदीय क्षेत्र के लोगों से बातचीत कर दैनिक जागरण ने बनाया है। दैनिक जागरण के वरिष्ठ समाचार संपादक गोपाल ओझा तथा महाप्रबंधक शुभाशीष जय हालदार ने सांसद को मांगपत्र सौंपा। सांसद जॉन बारला ने कहा कि वे मांगपत्र के अनुसार जनता की इच्छा एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कृत संकल्पित है।