याद किए गए ईश्वर चंद्र विद्यासागर
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी महिलाओं के लिए प्रेरणा के श्रोत थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर। उनके ब
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : महिलाओं के लिए प्रेरणा के श्रोत थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर। उनके बताए मार्ग पर चलकर महिलाओं को सम्मान मिलना तय है। यह कहना है मंजुला बेरा का। वे ईश्वर चंद्र विद्यासागर के 200 वीं जयंती पर अखिल भारतीय गणतांत्रिक महिला समिति द्वारा अनिल विश्वास भवन में आयोजित आलोचना सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में वे महिलाओं की हक की लड़ाई लड़ते रहे थे। माता पिता के ऋण की तरह आधुनिक बंगाली समाज पर ईश्वर चंद्र विद्यासागर का भी कर्ज है। वे संस्कृत के विद्वान और महान समाज सुधारक थे। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस मौके पर मणी थापा व अंजलि बागची ने कहा कि उनका सामाजिक कार्यो में हमेशा रूझान रहा था। वे शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार में लगे रहे। साहित्यिक अवदान के लिए वे हमेशा जाने जाते रहेंगे। वे साहित्य के क्षेत्र में बांग्ला गद्य के प्रथम प्रवर्तकों में एक थे। उनकी पुस्तक शकुंतला तथा सीता वनवास आज भी लोगों के बीच प्रिय है। आलोचना सभा में एक नंबर बोरो चेयरमैन सह समिति की अध्यक्ष स्निग्धा हाजरा ने भी अपने विचार प्रगट किया।