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पति के सरकारी आवास के सामने माता-पिता के साथ दस दिन से धरने पर है महिला, जानें क्यों

यूपी से अपने मां-पिता के साथ सिलीगुड़ी आकर पति के सरकारी आवास में घुसने के लिए एक महिला दस दिनों से घर के सामने धरने पर है। अंदर सास-ससुर हैं, लेकिन उनका भी दिल नहीं पसीज रहा है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 01:54 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 01:54 PM (IST)
पति के सरकारी आवास के सामने माता-पिता के साथ दस दिन से धरने पर है महिला, जानें क्यों
पति के सरकारी आवास के सामने माता-पिता के साथ दस दिन से धरने पर है महिला, जानें क्यों

 सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। सिलीगुड़ी के सेवक रोड पर इंडियन डिफेंस इस्टेट ऑफिस परिसर स्थित पति के सरकारी आवास में घुसने के लिए प्रियंका देवी अपने पिता व माता के साथ करीब दस दिन से घर के सामने ही धरने पर बैठी हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। घर में प्रियंका के सास-ससुर हैं, लेकिन वे घुसने नहीं दे रहे हैं। प्रियंका के अनुसार उनके पति दीपक मोहन ने तलाक का केस कर रखा है। लेकिन जब तक कोई निर्णय नहीं हो जाता, वे घर में घुसने से कैसे रोक सकते हैं। 
प्रियंका ने बताया कि उनके पिता जयप्रकाश सिंह इंडियन डिफेंस इस्टेस सर्विस से रिटायर्ड हैं। मां बीना देवी भी बीएसएनएल से रिटायर्ड हैं। हम लोग मेरठ के रहने वाले हैं। 28 दिसंबर 2015 को हापुड़ निवासी दीपक मोहन के साथ शादी हुई। वे इंडियन डिफेंस इस्टेट सर्विसेज में क्लास वन के ऑफिसर हैं। इस समय वे सिलीगुड़ी में पोस्टेड हैं।
इनका आरोप है कि मैं पत्नी का धर्म नहीं निभाती हूं। घर में बिना वजह कलह पैदा करती हूं। कुछ कहने पर दहेज के झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती हूं। सरकारी नौकरी छोड़कर मेरठ में बिजनेस करने को कहती हूं। इसी को आधार बनाकर उन्होंने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दी है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। 
प्रियंका के अनुसार दीपक मुझे पिछले वर्ष अक्टूबर में दिल्ली लेकर गए। वहां विभाग के गेस्ट हाउस में हम रुके। अगले दिन यह कहकर मेरठ भेज दिया कि आप जाओ, मैं काम निपटाकर आऊंगा तो फिर वहीं से दोनों सिलीगुड़ी चलेंगे। मैं घर चली गई। फिर फोन किया कि 12 अक्टूबर को दिल्ली गेस्ट हाउस में आओ, अब यहीं से सिलीगुड़ी चलेंगे। मैं 12 अक्टूबर को गेस्ट हाउस पहुंची तो वहां से पता चला कि एक दिन पहले 11 को ही चेकआउट कर चुके हैं। वहां से उनके घर हापुड़ गई तो वहां ताला बंद मिला। फोन किया तो ब्लॉक कर दिया था। 15 अक्टूबर को सिलीगुड़ी आई तो यहां भी नहीं मिले।
ऑफिस के कर्मचारियों से पता चला कि उन्होंने मेरे खिलाफ तलाक का केस अदालत में कर दिया है। इनके सारे आरोप झूठे हैं। मैं इनके साथ रहना चाहती हूं, लेकिन वे घर में घुसने ही नहीं दे रहे हैं। हारकर मां और पिता को भी ले आई। अब हम तीनों करीब दस दिन से इस घर के सामने बैठे हैं। अंदर सास-ससुर हैं, लेकिन उनका भी दिल नहीं पसीज रहा है। चार जनवरी को सिलीगुड़ी के महिला थाना में मैंने भी आवेदन दिया है, लेकिन पुलिस मेरी सुन ही नहीं रही है। मैं क्या करूं, कहां जाऊं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। 

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