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पार्क से काली कमाई करने वालों की खैर नहीं

-पूरे मामले की जांच कराएंगे एनबीडीडी मंत्री -अधिकारियों को पार्क का जाएजा लेने का दिया नि

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 07:49 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 07:49 PM (IST)
पार्क से काली कमाई करने वालों की खैर नहीं
पार्क से काली कमाई करने वालों की खैर नहीं

-पूरे मामले की जांच कराएंगे एनबीडीडी मंत्री

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-अधिकारियों को पार्क का जाएजा लेने का दिया निर्देश

-सरकारी जमीन पर कैसे हुआ निजी एजेंसी का कब्जा -जागरण इंपैक्ट

-भक्ति नगर थाने के सामने आइलैंड में स्थापित है पार्क

- विज्ञापन और होर्डिग से हर माह लाखों की कमाई

-मंत्री के निर्देश पर विभागीय इंजीनियर करेंगे जांच जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

सिलीगुड़ी के सेवक रोड स्थित भक्ति नगर थाना के सामने एक आइलैंड में स्थापित पार्क का वाणिज्यिक उपयोग किसके आदेश से से किया जा रहा है तथा सरकारी संपत्ति में एक निजी एजेंसी को कैसे संयुक्त उपक्रम के रुप में शामिल किया गया इसकी जांच होगी। राज्य के उत्तर बंगाल विकास विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने अपने विभाग के अधिकारियों को पार्क का जायजा लेने और पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने सोमवार को राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में स्पष्ट रुप से कहा कि अगर किसी पार्क को उत्तर बंगाल विकास विभाग ने तैयार किया है, तो उसमें निजी एजेंसी को शामिल करने की क्या जरूरत है। इस पार्क के सौंदर्यीकरण की आड़ में लाखों रुपये की काली कमाई की खबर दैनिक जागरण में लगातार छपी। दैनिक जागरण में छपी खबर को गंभीरता पूर्वक अवलोकन करते हुए मंत्री घोष ने कहा कि अगर पार्क में विज्ञापन के होर्डिग्स लगाकर इसका वाणिज्यिक उपयोग हो रहा है, तो इससे प्राप्त होने वाला राजस्व कहां जा रहा है, इन सब मामले की जांच होनी चाहिए। उन्होंने इसकी जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट देने का आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि यह पार्क जिस जगह पर है, इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां से चार तरफ की सड़क निकली हुई है। सिलीगुड़ी नगर निगम के आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि पार्क में विज्ञापन के जितने होर्डिग लगाए गए हैं, उससे लगभग हर साल से 30 से 40 लाख रुपये की कमाई होती होगी। बताया गया कि पार्क नगर निगम क्षेत्र में तो है, लेकिन जमीन निगम के अधीन नहीं है। उसमें लगाए गए विज्ञापन के डिसप्ले का मामूली टैक्स ही नगर निगम को मिलता है। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जिस सरकारी सरकारी जमीन से प्रतिवर्ष लाखों रुपये की कमाई होती है, उसमें डिस्प्ले शुल्क के रूप में नगर निगम महज कुछ हजार रूपये ही मिलते हैं। नगर निगम को मात्र दो सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से डिसप्ले टैक्स मिलता है। यू कहें तो 1.53 पैसे प्रति वर्ग फीट प्रति महीने के हिसाब से नगर निगम को टैक्स हासिल होता है। इस तरह से लाखों रुपये पार्क के सौंदर्यीकरण के नाम पर कोई गटक जाता है। सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) पहले ही इस पार्क के अपने अधीन होने की बात से इंकार कर चुका है। उस पार्क के सौंदर्यीकरण की क्या स्थिति है, उसे देखने के बाद ही पता चलता है। जबकि पूरे रकम की उगही सौंदर्यीकरण के नाम पर ही की जा रही है।

इस पार्क के संबंध में एसजेडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस पन्नाबल्लम ने कहा था कि सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में किसी भी पार्क के देख-रेख की जिम्मेदारी एसजेडीए की नहीं है। भक्ति नगर थाना के सामने जो पार्क है, वह भी एसजेडीए के अंतर्गत नहीं आता है।

वहीं सिलीगुड़ी के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने कहा था कि भक्ति नगर थाने के सामने पार्क का क्षेत्र पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आता है। जिसकी देख-रेख की जिम्मेदारी एसजेडीए की है। एसजेडीए की उदासीनता से ही पार्क की उपेक्षा हो रही है। एसजेडीए को इस पार्क की देख-रेख करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि नगर निगम क्षेत्र में किसी तरह के विज्ञापन के लिए नगर निगम बोर्ड से अनुमति जरूरी है, जिसका कुछ मामूली टैक्स नगर निगम को मिलता है।


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