जम्मू-काश्मीर की तर्ज पर हो दार्जिलिंग सिक्किम की प्रशासनिक व्यवस्था
-हिमाली राज्य के गठन को नए सियासी दल आईडीआरएफ का गठन -वर्ष 2014 में पार्टी का चुनाव आय
-हिमाली राज्य के गठन को नए सियासी दल आईडीआरएफ का गठन
-वर्ष 2014 में पार्टी का चुनाव आयोग में हो चुका पंजीकरण
संवादसूत्र, दार्जिलिंग : गोरखालैंड समस्या पर नए नए राजनीतिक दलों का उपजना लगातार जारी है। सोमवार को दार्जिलिंग में उत्तर प्रदेश तथा नई दिल्ली में मुख्य कार्यालय के दावे के साथ इंडियन डेमोक्रेसी रिपब्लिक फ्रंट आईडीआरएफ का गठन किया गया। पार्टी के पूर्वोत्तर भारत और उत्तर बंगाल के अध्यक्ष के तौर पर संजय ठकूरी,उपाध्यक्ष पद पर मिंगमा शेरपा तथा युवा अध्यक्ष के तौर पर संदेश तामांग को नियुक्त किया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा कंटोफर घतराज होंगे जो नई दिल्ली से पार्टी की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी का वर्ष 2014 में ही चुनाव आयोग में नई पार्टी का पंजीकरण करा लिया गया है। सोमवार को पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष संजय ठकूरी ने जिलाधिकारी को पार्टी शीर्ष नेतृत्व द्वारा सौंपे गए पद और नियुक्त पत्र सौंपते हुए जिला पुलिस को भी एक प्रति भेजे जाने की जानकारी दी। ठकूरी ने कहा कि सिक्किम राज्य से दार्जिलिंग का विलय उपयुक्त विकल्प नहीं है तथा पहाड़ समस्या के समाधान के लिए जम्मू काश्मीर की तरह सिक्किम और दार्जिलिंग को मिलाकर हिमाली राज्य का गठन किया जाना उचित होगा। उन्होने हिमाली राज्य के गठन को ही पार्टी का मुख्य एजेंडा बताया। नवगठित पार्टी क्षेत्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जम्मू काश्मीर की तर्ज पर ही यहां पर सिक्किम में वहीं का मुख्यमंत्री होने के साथ ही दार्जिलिंग में पहाड़ के लोगों के बीच का उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की वकालत की। ठकूरी ने कहा कि बंगाल राज्य से अलग होना ही दार्जिलिंग और कालिम्पोंग के लोगों के लिए सबसे उपयुक्त होगा।
ठकूरी ने साफ किया कि पार्टी मात्र हिमाली ही नहीं अपितु बोडोलैंड तथा बुंदेलखंड राज्यों के गठन की पक्षधर है।
उन्होने बताया कि आगामी मार्च माह में दार्जिलिंग में जनसभा करने के बाद ही पार्टी के नए कार्यालय और पार्टी का साहित्य तथा उत्तर बंगाल के सभी छह जिलों में लोगों के घर घर पहुंचने की जानकारी दी। ज्ञात हो कि ठकूरी पहाड़ की राजनीति में कोई नया चेहरा नहीं हैं। राजनीति से पूर्व ठकूरी का व्यापार था जिसको बंद करने के बाद वो अखिल भारतीय गोरखा लीग से जुड़कर सियासी यात्रा प्रारंभ की। अभागोली छोड़कर उन्होने जन कल्याण पार्टी के सहारे अपना राजनीतिक सफर आगे बढ़ाया। कृष्णा क्षेत्री के नेतृत्व में पार्टी के भीतर रहकर सिलीगुड़ी के भक्तिनगर थाना क्षेत्र में अलग राज्य गोरखालैंड की मांग पर क्षेत्री के आवास पर ही आमरण अनशन कर चर्चा में आए थे। हालांकि बाद में राज्य सरकार के कहने पर अनशन तोड़ने वाले क्षेत्री ने अपनी और पार्टी की राजनीति को हाशिये पर ला दिया था।
उस वक्त से ही ठकूरी ने क्षेत्री का साथ छोड़कर दिल्ली और उत्तर प्रदेश की पार्टी का नेता बनकर पहाड़ की राजनीति में वापसी की है।