Heavy rain in Darjeeling. पांच दिनों बाद सेतीझोड़ा में वाहनों का आवागमन शुरू
यहां भू-स्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। एक दफे तो चलती वैन पर सेतीझोड़ा में पत्थर गिरने के कारण दो लोग की मौत घटनास्थल में हो गई थी।
कालिम्पोंग, जेएनएन । भारी बारिश के चलते हुए भू-स्खलन के पांच दिन बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 10 से मलबे को हटाकर दोनों तरफ से वाहनों का आवागमन शुरू करा दिया गया था।
गौरतलब रहे कि अभी तक केवल एक तरफ से ही गाड़ियों आ जा रहीं थीं। पहले दिन राजमार्ग को 40 घंटे के लिए और दूसरे दिन 8 घंटे के लिए बंद कर दिया गया था, हालत यह थी कि मलबे के ऊपर से रास्ता बनाकर गाड़ियों को एक तरफ से निकलने का काम किया जा रहा था, लेकिन रविवार को दोनों तरफ से वाहनों के आवागमन से लोगों और प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
रास्ता को बनवाने पीडब्लूडी की मशीनें तो लगी ही रहीं, लेकिन विभाग के कर्मचारी, अधिकारियों के साथ ही साथ रम्बी थाने के ओसी दावा शेरपा की भूमिका भी काफी सराहनीय रही। दरअसल सेतीझोड़ा 2015 के बाद से लगातार दु:ख दे रहा है। पहले सेतीझोड़ा में पहाड़ टूटकर गिरने से राजमार्ग चार दिनों तक बंद रहा, इसके बाद इस दफे भू-स्खलन के कारण राजमार्ग डेढ़ दिन से ज्यादा बंद रहा। यहां भू-स्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। एक दफे तो चलती वैन पर सेतीझोड़ा में पत्थर गिरने के कारण दो लोग की मौत घटनास्थल में हो गई थी।
ऐसी स्थिति में सेतीझोड़ा के स्थाई समाधान के लिए अब विभाग को सोचकर समाधान निकालने की मांग आमयात्री कर रहे हैं। वही 29 माइल एवं गेलखोला के बीच राजमार्ग का एक हिस्सा तीस्ता नदी में समा गया था, वहां रविवार से सुरक्षा दीवार बनाने के काम शुरू हो गया है।
दरअसल राष्ट्रीय राजमार्ग 10 में लगभग एक दशक आगे आकर बने जलविद्युत परियोजना के कारण काफी समस्यों का सामना करना पड़ रहा है। पूरे साल जल जमाव रहता है तो वही मॉनसून में तीस्ता रौद्र रूप से बहती है, जिसके कारण उसका दबाव पूरे राजमार्ग के निचले इलाकों में पड़ता है,जिसके बाद या तो राजमार्ग टूट कर तीस्ता में समा जाता है या धंस जाता है। हाल ही में राजमार्ग में तीन जगहों में राजमार्ग धंसने की बात प्रकाश में आई है, जो आने वाले दिनों में समस्या का कारण बन सकता है।