हम नहीं सुधरेंगे का मन बनाकर बाजार निकल रहे हैं लोग
-लगातार पुलिस अभियान का खास असर नहीं -अब राशन दुकानों पर समय की पाबंदी लागू -पुलिस ने शह
-लगातार पुलिस अभियान का खास असर नहीं
-अब राशन दुकानों पर समय की पाबंदी लागू
-पुलिस ने शहर में विभिन्न स्थानों पर कराई माइकिंग
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी:उत्तर बंगाल का सीमावर्ती सिलीगुड़ी महकमा भी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। परिस्थिति की जाच के लिए सेंट्रल कमेटी भी पहुंची हुई है। कोरोनो से बचाव के लिए पूरी सरकारी मशीनरी लगी हुई है। कोरोना योद्धाओं के रूप में डॉक्टरों के अलावा पुलिसकर्मी भी लगातार फिजिकल डिस्टेंस रखने और मास्क लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के साथ चेता भी रहे हैं। लेकिन लोग नहीं सुधर रहे हैं। बाजार में भीड़ कम नहीं हो रही है। यदि यही हालात रहे तो हम इस जंग में कैसे जीतेंगे। यह क्षेत्र पूरी तरह संवेदनशील है। सुबह और शाम सबसे ज्यादा भीड़ सड़कों पर होती है। पुलिस लगातार ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है,लेकिन लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर शहर और आसपास के सभी थानों में सुबह और शाम को लगातार जबरदस्त अभियान चलाया जा रहा है। फुटकर दुकानदारों और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वाले दुकानदारों और बिना किसी कारण सड़कों पर निकलने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। इसबीच,पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब राशन दुकानों पर समय की पाबंदी लगाई जा रही है। सुबह आठ बजे से दिन के 12 बजे तक ही राशन दुकानों को खोलने की अनुमति होगी। पुलिस इस नियम को कड़ाई से लागू करवाएगी। इसको लेकर पुलिस की ओर से शहर में विभिन्न स्थानों पर माइकिंग भी कराई गई है।
इधर,कुछ लोग लॉकडाउन की आड़ में रुपया बनाने में भी लग गए हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के दुकानों में कोल्ड ड्रिंक की बिक्री महंगे दामों में हो रही है। नशे के आदि लोग अभी कड़वा जूस, कोल्ड ड्रिंक और अन्य पेय पदार्थ लेकर अपना काम चला रहे हैं। जबकि मौजूदा समय में लॉकडाउन के चलते बाजार बंद रहने के साथ शीतल पेय आदि की बिक्री पर पूर्णतया रोक लगी है। इसके बाद भी चोरी-छिपे बिक्री हो रही है।
अधिक दाम पर गुटखा और सिगरेट की बिक्री धड़ल्ले से
दूसरी ओर गुटखा और सिगरेट की भी बिक्री काफी अधिक कीमत पर हो रही है। शहर में अभी पुराने बचे गुटखा, सिगरेट तीन गुने दामों में बेचे जा रहे हैं। हांलाकि कुछ दिनों बाद यह मिलना मुश्किल होगा। आलम यह है कि गुटखा के शौकीन लोग शाम होते ही गलियों में मंडराने लगते है और फिर गुटखा के दुकान के पास ही दुकानदान अपने घर से लाकर सामान उपलब्ध करा रहे हैं, मगर कीमत तीन गुनी देनी पड़ रही है। शहर हो या ग्रामीण इलाके कोई भी ऐसी जगह नहीं है जहा पर गुटखा, सिगरेट पर पाबंदी के बाद उपलब्ध ना हो। इतना जरूर है कि थोड़ा खोजना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के समय गुटखा का सेवन काफी खतरनाक है। संक्रमित व्यक्ति के थूकने से यह बीमारी फैल सकती है। फिर इसका इस्तेमाल कौन कर रहा है इसकी जाच तो संभव नहीं है। इस वजह से इसकी पाबंदी को बढ़ाए जाने पर चर्चा चल रही है। सब्जियों की भरमार, नही मिल रहे थोक खरीददार
शहर के कई सभी मंडियों में सब्जी खरीदने वाले थोक ग्राहक नही मिल रहे हैं। लॉकडाउन ने सब्जियों के कारोबार को पूरी तरह से बिगाड़कर रख दिया है। भीड़ पर नियंत्रण के लिए बाजारों पर लगी रोक व सीमाएं सील होने की वजह से इन दिनों सिलीगुड़ी मंडी में सब्जियों के थोक खरीददार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे मे लोग ठेलों, साइकिलों व ई रिक्शा से सब्जिया लेकर वार्ड व गलियों में फेरी लगाने को विवश हो रहे हैं। इससे सब्जी किसान कराह उठे हैं। उत्तर बंगाल में सब्जी की खेती से बहुतायत किसान जुडे़ हैं। किसान तोरई, भिंडी, लौकी, पालक, धनिया,टमाटर,हरी मिर्च आदि सब्जिया उगाते हैं। इससे किसानो को बडी उम्मीदें रहती है,पर लॉकडाउन के चलते सब्जियों के भाव मे आई गिरावट ने किसानो की उम्मीदो पर पानी फेर दिया है।