गुलमा में बुनियादी सुविधाओं पर ही लॉकडाउन
-गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या विकराल -नल और कुएं में पानी नहीं होने से भारी परेशा
-गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या विकराल
-नल और कुएं में पानी नहीं होने से भारी परेशानी
-बदहाली में जिंदगी काट रहे हैं गांव के चाय श्रमिक
-बारिश के मौसम में और भी बिगड़ जाती है स्थिति
गौरव मिश्र, सिलीगुड़ी:कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। इस कारण श्रमिक व दैनिक मजदूरों का बुरा हाल है। लेकिन गुलमा चाय बागान के खैरनी लाइन गाव की बात करें तो यहा महीनों से पानी, सड़क समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं पर लॉकडाउन है। यह आदिवासी बहुल्य छोटा- सा गांव है। यहा के अधिकाश लोग चाय बागान में 176 रूपये दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। बेबसी और लाचारी से लोग इस कदर विवश हैं कि आजादी के इतने वर्ष हो चुके हैं,लेकिन आज तक गाव के लोगों को न तो पक्की सड़क और न ही पीने लायक स्वच्छ पानी मिल पाया है। यहा की समस्याओं को लेकर लोगों ने कई बार चंपासारी ग्राम पंचायत की प्रधान संगीता चिक बड़ाइक को ज्ञापन दिया जा चुका है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पिछले 6 महीनों से तीनों सरकारी डीप वेल खराब हो चुके हैं। किसी में तो आयरन की मात्रा इतनी अधिक है कि आम जनता मजबूर होकर उसी का सेवन करने को मजबूर है। गाव में दो कुएं है जिनमें पानी पूरी तरीके से सूख गई है। कुएं की जर्जर अवस्था भी देखी जा सकती है। कुएं की ऊंचाई भी इतनी कम है कि आए दिन कोई बकरी का बच्चा समेत अन्य पालतू जानवर उसमें में गिर जाते हैं। यह गाव गुलमा वन आभ्यारण के बिल्कुल समीप है। हाथियों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन यहा के बिजली के पोलों में लाइट न होने के कारण लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है।
कुछ दिन पहले यहा के निवासी गामा मुंडा की पुत्री अनामिका मुंडा को एक जहरीले कीट ने काट लिया था । रात के अंधेरे में उसे सुकना सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। स्थानीय युवक जेम्स कुजूर ने कहा कि बारिश के दिनों स्थिति भयावह हो जाती है। लोगों के घर के आगन में घुटनों तक पानी भर जाता है। पूरा सड़क कीचड़ से भरा रहता है।
स्थानीय लोगों की मानें तो ग्राम पंचायत प्रधान चुनाव जीतने के बाद इलाके में आती ही नहीं हैं। लोगों को सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल रही है। पहले से सभी का बुरा हाल है। अब लॉकडाउन के कारण स्थिति और दयनीय हो गई है। अगर प्रशासन ने मदद नहीं की तो लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा। इस बारे में प्रधान से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।