क्या 'पहाड़' साधने आ रहे हैं राज्यपाल जगदीप धनखड़ ?
दार्जिलिंग पहाड़ पर नई राजनीतिक हलचल के बीच एक नवंबर को सिलीगुड़ी आ रहे हैं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़। खबर है कि एक नवंबर को वह उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी सिलीगुड़ी आएंगे। मात्र तीन हफ्ते की अवधि में राज्यपाल का दो बार सिलीगुड़ी आगमन होगा।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक बार फिर उत्तर बंगाल आ रहे हैं। खबर है कि, एक नवंबर को वह उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी सिलीगुड़ी आएंगे। उस दिन वह मीडिया से भी मुखातिब होंगे। यह एक महीने से भी कम समय, मात्र तीन हफ्ते की अवधि में राज्यपाल का दो बार सिलीगुड़ी आगमन होगा। इसे लेकर यहां राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। राज्यपाल के इस दौरे को विशेष रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मास्टर स्ट्रोक के मद्देनजर डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। उन्होंने एक ओर, जंगल महल में आदिवासी आंदोलन के चेहरा छत्रधर महतो को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करा लिया है तो दूसरी ओर, दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र (पहाड़) के गोरखाओं के आंदोलन का चेहरा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) प्रमुख विमल गुरुंग को भी अपने पाले में ला खड़ा किया है।
यह गौरतलब है कि, कभी भाजपा के जबरदस्त समर्थक रहे विमल गुरुंग तीन साल तक भूमिगत रहने के बाद जब बीते 21अक्टूबर को अचानक कोलकाता में आए तो एकदम नए अवतार में दिखे। कभी ममता बनर्जी के घोर विरोधी रहे विमल गुरुंग अब ममतामय नजर आए। वह ममता बनर्जी का गुणगान करते थकते नहीं हैं। उनका कहना है कि "हम ममता बनर्जी को लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। क्योंकि, उन्होंने पहाड़ की जनजातियों के विकास और पूरे दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के लिए कई काम किए हैं।"
विमल गुरुंग ने कोलकाता में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि, "हमारा अब भाजपा से मोहभंग हो गया है। हमने दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र को एक या दो नहीं बल्कि लगातार तीन बार भाजपा को दिया। इसके बावजूद भाजपा ने हमारे लिए कुछ नहीं किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह साल से प्रधानमंत्री हैं। मगर, उन्होंने भी दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र और वहां के लोगों की समस्याओं को हल करने की दिशा में एक भी कदम नहीं उठाया। यही कारण है कि, अब हमें भाजपा और भाजपा के नेतृत्व में कोई विश्वास नहीं है। हमने उनसे व एनडीए से नाता तोड़ लिया है।
अब, हमें ममता बनर्जी पर पूरा भरोसा है।इसीलिए हम उनके साथ मिलकर काम करेंगे। अगले साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हम ममता बनर्जी को जिताने की पूरी कोशिश करेंगे। उत्तर बंगाल में हर सीट पर उनकी शानदार जीत सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास करेंगे"। ममता बनर्जी के इस नए मास्टर स्ट्रोक से केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा के मिशन बंगाल-2021 को जोरों का झटका लगा है। चुनावी बिसात पर ममता बनर्जी के इस राजनीतिक दांव ने भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी है। वह हरसंभव रूप में डैमेज कंट्रोल में लग गई है।
इन सारे राजनीतिक परिदृश्य में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की बातें करें तो इससे पूर्व वह बीते नौ अक्टूबर को उत्तर बंगाल दौरे पर आए थे। भारत-चीन सीमांत गलवन घाटी में शहीद हुए अलीपुरद्वार के लाल विपुल राय के परिजनों से मिल कर व उन्हें मदद दे कर कोलकाता लौटने के क्रम में राजकीय अतिथि निवास (सिलीगुड़ी) में उन्होंने संवाददाता सम्मेलन किया था। जहां उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार की घोर आलोचना की थी। कहा था कि, ममता बनर्जी सरकार फेल है। राज्य में विधि-व्यवस्था चिंतनीय है। अफसरान व पुलिस जन सेवक के बजाय राजनीतिक सेवक के रूप में कार्य कर रहे हैं। राज्य में मानवाधिकार का हनन हो रहा है। मानवाधिकार आयोग भी मानव अधिकारों की रक्षा कर पाने में विफल है। उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन तक की वकालत की थी।
वहीं, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब प्रशंसा की। कहा कि "भारत बदल रहा है। दुनिया देख रही है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) विश्व नेता के रूप में उभरे हैं"। इतना ही नहीं उन्होंने परोक्ष रूप में गोरखालैंड की उम्मीद भी दिखाई थी। कहा था कि "क्या कभी किसी ने सोचा था कि कश्मीर धारा 370 मुक्त हो जाएगा? क्या कभी किसी ने सोचा था कि बरसों पुराना राम मंदिर का मसला हल हो जाएगा? ऐसे ही देश में हर विकट समस्या का समाधान होगा"। राज्यपाल से जब यह पूछा गया कि, क्या वह उम्मीद करते हैं कि अलग राज्य गोरखालैंड हो जाएगा? तो उन्होंने फिर जवाब दिया था कि "देश में हर विकट समस…