ना बाजा-ना भव्य पंडाल,ना खिचड़ी-ना प्रसाद
-इस साल गणेश पूजा की रौनक रही काफी फीकी -किसी से चंदा लिया नहींदानपात्र में भी बहुत क
-इस साल गणेश पूजा की रौनक रही काफी फीकी
-किसी से चंदा लिया नहीं,दानपात्र में भी बहुत कम कलेक्शन
-भरे मन से श्रद्धालुओं ने विघ्नहर्ता को विदा किया
-सबने की कोरोना संकट जल्द दूर करने की प्रार्थना
जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: पूजा का दौर शुरू हो चुका है। जिसका शुभारंभ गणेश पूजा के द्वारा हुआ। हांलाकि इस वर्ष गणेश पूजा की रौनक फीकी-फीकी रही। ना ही कहीं पर प्रसाद वितरित किया गया ना ही सामूहिक रूप से पूजा अर्चना की गई। गणेश पूजा के समय सबसे लोकप्रिय प्रसाद में शामिल खिचड़ी के लिए भी लोग तरसते रहे। हां कई पूजा पंडालों ने प्रसाद को पैकेट में तैयार कर घर-घर और दुकानों में पहुंचा दिया। इसका प्रमुख कारण था कि लोग आपस में मिलजुल ना सकें और कोरोना की बीमारी को फैलने से रोका जा सके। साथ ही पहले लाखों रुपए खर्च कर जहा भव्य पंडाल बनाए जाते थे वहा सिर्फ भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई। कोरोना वायरस को लेकर पंडालों किसी प्रकार की भीड़ इकट्ठी नहीं की गई। ना ही किसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रद्धालु जिन्हें सारा वर्ष बाबा के प्रसाद का इंतजार रहता है लेकिन इस वर्ष प्रसाद वितरण की व्यवस्था ना होने की वजह से हताश नजर आए । कई श्रद्धालु शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए पंडालों में बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे, वहीं कई श्रद्धालुओं ने महामारी को ध्यान में रखते हुए घरों में ही बाबा की पूजा अर्चना की। पिछले वर्ष की अपेक्षा श्रद्धालुओं के द्वारा घरों में ही बाबा को स्थापित किया गया। ताकि भीड़-भाड़ से बचा जा सके। उनका कहना था कि पंडालों में बाबा के दर्शन हेतु जाने से इस बीमारी के फैलने का खतरा अधिक है। ऐसे में उन्होंने घरों में पूजा की है। गणेश पूजा पर किसी प्रकार की रौनक ना होने की वजह से श्रद्धालु हताश नजर आए। उनका कहना था कि गणेश पूजा के समय से ही घूमना फिरना शुरु कर देते हैं। किंतु इस वर्ष ऐसा नहीं कर पाए। ना ही कहीं से प्रसाद इत्यादि मिला। वाकई में इस वर्ष की पूजा हमेशा याद रहेगी। विघ्नहर्ता से यही प्रार्थना करते हैं कि वह अगले वर्ष अपने साथ खुशहाली लेकर आएं और हम फिर से पूजा का आनंद ले सकें। इसी कड़ी के तहत विधान मार्केट में स्थापित भगवान गणेश की पूजा का विसर्जन किया गया। बहुत ही सादगी के साथ भगवान गणेश को विदाई दी गई। किसी प्रकार की झाकी इत्यादि नहीं निकाली गई। जबकि पहले गाजे-बाजे के साथ झांकी निकलती थी। इस बारे में पूजा कमेटी की ओर से बाप्पी साहा ने बताया कि इस वर्ष किसी प्रकार की भीड़ भाड़ ना ना करते हुए बहुत ही सादगी के साथ गणेश जी का विसर्जन किया गया। प्रतिवर्ष यह विसर्जन बहुत ही धूमधाम से किया जाता था। किंतु इस वर्ष सरकारी नियमों को मानते हुए कोई खास आयोजन नहीं किया गया। जहा प्रत्येक वर्ष प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया जाता था वहीं इस वर्ष किसी भी प्रकार का प्रसाद नहीं बाटा गया । इसी क्रम में शुक्रवार को दान पेटी को खोला गया तो इस वर्ष बहुत कम दान आया है।
सबसे प्रमुख पूजा में मात्र 30 हजार का चढ़ावा
वर्ष 2019 में 1 लाख 76 हजार की राशि दान पेटी से आई थी। इस बार मात्र तीस हजार ही संग्रहित हो पाया है। इस राशि को पूजा के आयोजन में होने वाले खर्च में शामिल किया जाएगा। क्योंकि किसी प्रकार का चंदा नहीं लिया गया है। सोनार पट्टी, खुदीराम पल्ली में स्थापित भगवान गणेश को विदाई दी गई। इस मौके पर प्रसाद तैयार किया गया। जिसके पैकेट बनाकर दुकान और घरों में पहुंचाया गया। इस बारे में आयोजकों का कहना था कि किसी प्रकार का खतरा मोल ना लेते हुए यह व्यवस्था की गई है ।