उंची है बिल्डिंग और खतरे में है मरीजों की जान
जागरण एक्सक्लुसिव -कोरोना काल में भी निजी अस्पतालों की नहीं खुली है नींद -अधिकांश में फ
जागरण एक्सक्लुसिव
-कोरोना काल में भी निजी अस्पतालों की नहीं खुली है नींद
-अधिकांश में फायर फाइटिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
-बस आग बुझाने वाले सिलेंडर से चल रहा है काम
-चिकित्सा में लापरवाही के पहले से ही लग रहे हैं आरोप
-थाने में दर्ज शिकायत जीडी से अधिक कुछ भी नहीं
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में एनबीएमसीएच के आइसीयू में लगी थी आग
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एक महिला मरीज की तब हो गई थी मौत मोहन झा, सिलीगुड़ी : पिछले दिनों गुजरात के अहमदाबाद और आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में कोविड अस्पताल में आग लगने की घटना में कई मरीज मारे गए थे। ऐसे में यह सवाल उठना वाजिब है कि सिलीगुड़ी के अस्पतालों में अग्निशमन की क्या व्यवस्था है। ऐसे भी शहर में कोरोना काल के समय भी निजी अस्पतालों और नìसग होम वालों का बोलबाला है। सरकारी निर्देश और नियम कानून मानो इनके लिए कोरा कागज हो। राज्य सरकार भी इनकी धांधली को नजरअंदाज कर इनके मनोबल को और बढ़ावा दे रही है। वर्ष 2019 के सितंबर में अग्निकाड की एक घटना से सिलीगुड़ी के सरकारी अस्पतालों ने सबक ली, लेकिन शहर व आस-पास स्थित अधिकाश निजी अस्पतालों व नìसग होम प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया है। अग्निशमन की समुचित व्यवस्था के बिना ऊंची-ऊंची इमारतों मे इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। सिलीगुड़ी व आस-पास स्थित निजी अस्पतालों व नìसग होम के खिलाफ चिकित्सा मे लापरवाही बरतने की वजह से मरीजों की मौत की अनगिनत शिकायतें पुलिस थानों मे दर्ज है। चिकित्सा में लापरवाही की वजह से मरीजों के मौत आए दिन सुíखयों मे होता है। लेकिन ये शिकायतें सिर्फ एक फाइल बन कर पुलिस थानों की शोभा बढ़ा रहे हैं। इन मामलों की जाच कभी आगे बढ़ती ही नहीं है। इन फाइलों मे तिलचट्टे और गिरगिट के अंडो के सिवा कुछ नहीं मिलता है। बल्कि अब तो निजी अस्पताल के खिलाफ शिकायत के लिए पुलिस थानों मे घटो इंतजार करना पड़ता है। किसी वीआईपी के साथ शिकायतकर्ता का संपर्क है तो मामले मे चहलकदमी भी देखने को मिलती है, अन्यथा शिकायत थाने मे एक जनरल डायरी (जीडी) बन कर ही रह जाता है। चिकित्सा मे लापरवाही की शिकायतों के खिलाफ प्रशासन की लापरवाही निजी अस्पताल और नìसग होम प्रबंधन के मनोबल को सह दे रहा है। भ्रष्टाचार ने इनके मनोबल को इतना बढ़ा दिया है कि अस्पताल निर्माण के समय आवश्यक बुनियादी ढाचागत व्यवस्थाओं को भी नजरअंदाज कर इमारत खड़ी कर इलाज के नाम पर सिर्फ उगाही का खेल चलता है। अस्पताल के भवन निर्माण के लिए संबंधित स्थानीय निकाय से प्लान पास करना अनिवार्य है। उस प्लान को पास करने के लिए दमकल विभाग से भी अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना आवश्यक होता है। भवन निर्माण के प्लान मे अग्निशमन कि पूरी व्यवस्था शामिल होने पर ही अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मिलता है। भवन निर्माण के बाद प्लान के अनुसार निरीक्षण करना सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी महकमा परिषद (स्थानीय निकाय) की जिम्मेदारी है। सिलीगुड़ी व शहर के आसपास स्थित दर्जनों निजी अस्पताल व नìसग होम है। इनमे से एकाध को छोड़कर अधिकाश निजी अस्पतालों और नìसग होम मे फायर फाइटिंग की समुचित व्यवस्था नहीं है।
बस औपचारिकता कर रहे हैं पूरी
आंख मे धूल झोंकने के लिए अस्पताल में इमारत के अनुसार पानी की एक टंकी, हर तल तक पानी पहुंचाने के लिए पाइपिंग सिस्टम और ऑटोमेटिक फायर सिस्टम होना अनिवार्य है। बल्कि पानी पहुंचाने के लिए मोटर की व्यवस्था भी होना जरूरी है। जबकि निजी अस्पताल प्रबंधन के लोग सिर्फ आग बुझाने वाले गैस सिलेंडर लगाकर सबकी आखों मे धूल झोंके चल रहे हैं।
क्या है नियम
नियम से तो अस्पताल के कर्मचारियों और सुरक्षा कíमयों को आपातकालीन स्थिति मे जूझने और लोगो की जान बचाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। जबकि ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है। जहां फायर सिस्टम की ही पूरी व्यवस्था नहीं हो वहां कर्मचारियों को आपातकाल का प्रशिक्षण देना तो दूर की बात है। जब एनबीएमसीएच के आईसीयू में लगी थी आग
यहां बताते चलें कि वर्ष 2019 के सितंबर महीने मे उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल एनबीएमसीएच के आईसीयू मे आगजनी की एक घटना इुई थी। इस घटना मे आईसीयू मे इलाजरत एक महिला की मौत हुई थी। इस घटना से सबक लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल और सिलीगुड़ी जिला अस्पताल प्रबंधन ने अग्निशमन की समुचित व्यवस्था कारवा दी है।
----------------- दोनों सरकारी अस्पतालों उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और सिलीगुड़ी जिला अस्पताल मे अग्निशमन की पूरी व्यवस्था की गई है। जबकि सिलीगुड़ी व आसपास स्थित निजी अस्पताल और नìसग होम अग्निशमन व्यवस्था को नजरंदाज कर चल रहे हैं। अभी हाल मे ही अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में आग लगने की घटना से 8 मरीजों की मौत हुई है।
-डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य,चेयरमैन रोगी कल्याण समिति
डिवीजनल फायर अधिकारी से नहीं हुई बात
इस संबंध में सिलीगुड़ी के डिवीजनल फायर अधिकारी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई,लेकिन संपर्क स्थापित नहीं हो पाया।