आलू छोड़ फूल की खेती की ओर बढ़ा किसानों का झुकाव
आलू की खेती करने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा था। इसलिये किसान शीत के मौसम में फूल की खेती पर जोर देते हैं।
धुपगुड़ी, [संवाद सूत्र]। आलू छोड़कर किसान फूल की फसल करने पर जोर दे रहे हैं। शहर के विश्वापाड़ा को अधिकांश लोग फूलपाड़ा के नाम से भी जानते हैं। यहां घर-घर में फूल की सिंचाई की जाती है। ठंड के मौसम में इलाका सूर्यमूखी, गेंदा फूल, चंद्रमल्लिका जैसे विभिन्न प्रजाति के रंग-बिरंगे फूलों से खिल उठता है। लेकिन कोई शौक से नहीं बल्कि चार महीने का रोजगार भी फूल की खेती से ही किया जाता है।
स्थानीय खुशी विश्वास, बुद्धि विश्वास, गणोश विश्वास, मिठुन विश्वास, सूरेन विश्वास अपने चार से पांच बीघा की जमीन पर फूल की खेती करते हैं। कभी शीत के मौसम में आलू की खेती यहां के लोगों के लिए रोजगार का एकमात्र साधन हुआ करता था। लेकिन ज्यादा लाभ नहीं मिलने से किसान गाजर व अन्य अनाज के साथ फूल की खेती करने लगे। बारिश के मौसम में धान, पाट की खेती की जाती है।
फूल की खेती करने में किसानों को एक रुकावट आती है। यहां फूल का कोई बाजार नहीं होने से फसल के बाद भी बेचने में असुविधा होती है। मजबूरन भूटान के सीमांत बाजार में जाकर फूल की बिक्री करनी पड़ती है। इसके अलावा सिलीगुड़ी, इस्लामपुर व मेखलीगंज से भी थोक व्यवसायी विश्वासपाड़ा फूल खरीदने आते हैं।
किसान सूरेन विश्वास ने कहा कि आलू की कीमत निश्चित नहीं होती। आलू की खेती करने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा था। इसलिये किसान शीत के मौसम में फूल की खेती पर जोर देते हैं। इससे कुछ महीनों तक घर का खर्चा निकल जाता है। अगर यहां फूल का बाजार होता तो किसानों को ज्यादा लाभ मिलता। मेखलीगंज से आए थोक विक्रेता बबलू चौधरी ने कहा कि वह सप्ताह में एक दिन विश्वासपाड़ा फूल खरीदने आते हैं। इसके बाद मेखलीगंज के दुकान-दुकान जाकर फूल बिक्री करते हैं।