कैंसर से बचाने से लेकर फटी एड़ियों तक की समस्या से निजात दिलाता है तिल, जानिए इसके गुण...
बाजार में तिल के बने खाद्य पदार्थों को देखकर आपके मुंह में पानी जरूर आता होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह तिल आपकों कितनी बीमारियों से बचाता है। आइए जानें और इसका सेवन करें।
सिलीगुड़ी [जागरण स्पेशल]। मकर संक्रांति करीब है। बाजार में सफेद और काले तिल के बने खाद्य पदार्थ बिकने लगे हैं। इस मौसम में तिल को प्रमुखता से खाद्य पदार्थों में शामिल करने की परंपरा ऐसे ही नहीं है। इसके फायदों को बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। और दावा है कि जब आप भी जान जाएंगे तो इसे अनदेखा नहीं कर सकते। यह हड्डियों से लेकर बालों तक को पोषण देता है। साधारण शब्दों में कहें तो इसमें कैंसर से बचाने के साथ ही हड्डियों को फौलाद और बालों को काले, लंबे और घने बनाने की क्षमता है।
शोध बताते हैं कि सेसमीन नाम का एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। यही वजह है कि इसे लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है। तिल शरीर को गर्माहट भी देता है। इस वजह से ठंड के मौसम में इसका प्रयोग खूब होता है। तिल के तेल में खाना बनाने से दिल भी स्वस्थ रहता है।
आइए जानिए तिल के फायदे
- इसमें कुछ ऐसे तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो तनाव और डिप्रेशन को कम करने में सहायक होते हैं।
- इसमें मौजूद लवण जैसे कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम आदि दिल की मांसपेशियों को एक्टिव रखने में मदद करते हैं।
- इसमें डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होते हैं जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा यह मांस-पेशियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
- इसका तेल त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसकी मदद से त्वचा को जरूरी पोषण मिलता है और इसमें नमी बरकरार रहती है।
- मुंह में छाले होने पर, तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर लगाने पर छाले ठीक होने लगते हैं।
- तिल, दांतों के लिए भी फायदेमंद है। सुबह शाम ब्रश करने के बाद तिल को चबाने से दांत मजबूत होते हैं, साथ ही यह कैल्शियम की आपूर्ति भी करता है।
- फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए तिल का तेल गर्म करके, उसमें सेंधा नमक और मोम मिलाकर लगाएं। ऐसा करने से दरारें जल्द भरती हैं।
- सूखी खांसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम आता है।
- तिल को कूटकर खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती।
- शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ लगाने पर आराम मिलता है, और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।
- तिल हजम करने के लिहाज से भारी होता है। खाने में स्वादिष्ट और कफनाशक माना जाता है। यह बालों के लिए लाभप्रद माना गया है।
- दांतों की समस्या दूर करने के साथ ही यह श्वास संबंधी रोगों में भी लाभदायक है।
- स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध की वृद्धि करता है।
- पेट की जलन कम करता है ।
- बुद्धि को बढ़ाता है।
- बार-बार पेशाब करने की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए तिल का कोई सानी नहीं है।
- यह स्वभाव से गर्म होता है इसलिए इसे सर्दियों में मिठाई के रूप में खाया जाता है। गजक, रेवड़ियां और लड्डू शीत ऋतु में ऊष्मा प्रदान करते हैं।
- तिल में विटामिन ए और सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।
- इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूंगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते। ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।
- तिल बीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्रोत है, जो चयापचय को बढ़ाता है।
- यह कब्ज भी नहीं होने देता।
- तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व, जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।
- तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
- सौ ग्राम सफेद तिल से एक हजार मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छह गुना से भी अधिक कैल्शियम है।
- काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्ताल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।
- तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
- तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊंचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहिता में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।
...तो आप समझ गए होंगे कि तिल छोटा जरूर है, मगर यह है हमारे बड़े काम की चीज। आज से ही इसका प्रयोग शुरू कर दें।