‘होम स्टे’ में घरेलू वातावरण पाकर यहां पर्यटन का मजा हो जाता है दोगुना
सैलानियों के मुताबिक होम स्टे पर मिलने वाले अनुभव और आनंद अन्य किसी होटल या रिसार्ट में रहकर नहीं पाया जा सकता है।
कालिम्पोंग, [संवादसूत्र]। देश विदेश से बड़ी संख्या में हर वर्ष पर्यटक भारत भ्रमण पर आते हैं। कारण एक ही है कि देश में मौजूद कला,संस्कृति और विरासत की तुलना किसी अन्य देश से नहीं की जा सकती है। शायद इस वजह से ही भारत को अतुल्य भारत कहा जाता है। भारत के किसी भी कोने की यात्रा के दौरान अगर किसी के मन में देश की संस्कृति और सभ्यता को करीब से देखने की इच्छा हो तो पर्यटक स्थल पर बने होम स्टे अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
होम स्टे आने वाले पर्यटकों का अनुभव भी इस बेमिसाल व्यवस्था की तस्दीक करता है। सैलानियों के मुताबिक होम स्टे पर मिलने वाले अनुभव और आनंद अन्य किसी होटल या रिसार्ट में रहकर नहीं पाया जा सकता है।भूटान, कर्सियांग, दार्जिलिंग, सिक्किम तथा डुवार्स की सीमा से सटे कालिम्पोंग भी पर्यटकों की पसंद के तौर पर विकसित होता जा रहा है। यहां के मनोरम दृश्यों के अलावा स्थित होम स्टे भी आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर लुभा रहे हैं।हालांकि वर्षो पूर्व कालिम्पोंग क्षेत्र को ग्रामीण,उपेक्षित और अप्रिय माना जाता था। यहां के लोग ग्रामीण जीवन जी कर तथा गाय पालन तथा कृषि कार्य कर अपना जीवन यापन करते थे। यही नहीं शहर का जिक्र दुग्ध उत्पादन तथा इससे बनने वाली वस्तुओं घी,खोए तथा अन्य के लिए की जाती थी। अब लोग होम स्टे अर्थात वह स्थान जहां पर्यटक कुछ रकम देकर स्थानीय लोगों के घर में रहकर उनकी स्थानीय संस्कृति और सभ्यता को करीब से देख सकते हैं। होम स्टे चलाने वाले लोगों को बस एक ही जिम्मेदारी निभानी पड़ती है जिसमें पर्यटकों के कमरे की सफाई तथा मनपसंद भोजन परोसने प्रमुख है।
जिले के अलगढ़ा खंड दो स्थित रामधुरा क्षेत्र में करीब 5 वर्षो से खालिंग होम स्टे चलाने वाले अरुण खालिंग ने बताया कि जहां पहले होम स्टे की संख्या कम ही हुआ करती थी वहीं अब इस संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो चुकी है। मनसोंग सिंकोना बागान के अंतर्गत आने वाले रामधुरा,इच्छे वन गांव,बरमैक,सिलैरी,रेशी,रिशव तथा अन्य आस पास के इलाकों में बने होम स्टे की ओर पर्यटक खिंचे चले आते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार होम स्टे व्यवस्था के जन्मदाता कहे जाने वाले सेबिस्टिीन प्रधान द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलकर स्थानीय लोग अब पर्यटकों की सेवा कर न सिर्फ अपने भरण पोषण की व्यवस्था कर लेते हैं। रामधुरा तथा इच्छे के लोग अब पर्यटकों का स्वागत अपने छोटे छोटे घरों में बुलाकर करते हैं। होम स्टे में पर्यटकों की हर जरूरत का खास ख्याल रखा जाता है। जिसमें उन्हें मनपसंद भोजन के साथ ही मनोरंजन,ट्रैकिंग तथा मनोरम दृश्य दिखाकर पर्यटकों के जीवन का सुखद हिस्सा बनने का प्रयास किया जाता है।
कालिम्पोंग शहर से महज 17 से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामधुरा और इच्छे की ओर पर्यटक सहजता से पहुंच जाते हैं। रामधुरा क्षेत्र में वर्ष 2012 में दो कमरों के साथ खालिंग होम स्टे की शुरूआत करने वाले अरुण खालिंग ने बताया कि पर्यटकों के लगातार आगमन के चलते एक कमरे के साथ शुरू हुए होम स्टे आज 6 कमरों के हो चुके हैं। खालिंग ने बताया कि जहां रामधुरा में कुल 5 परिवार होम स्टे चला रहे हैं वहीं इच्छे क्षेत्र में 19 परिवार होम स्टे चलाकर पर्यटकों की सेवा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अक्टूबर 2012 से होम स्टे के चलन में आने से युवाओं के साथ साथ अन्य लोग भी अपने क्षेत्र में आए पर्यटकों की सेवा कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार क्षेत्र के होम स्टे में करीब 100 पर्यटक रह सकते हैं। अपने प्रवास के दौरान सैलानियों को 800 रुपये के बदले तीन समय भोजन के साथ ही घर जैसा वातावरण मिलता है। हालांकि होम स्टे संचालकों ने बताया कि उन्हें इस कार्य में प्रशासन अथवा कोई सरकारी सहूलियत नहीं मिलती है। जिसके अभाव में होम स्टे तक आने वाली सड़क और रास्ते को दुरुस्त करने की मांग होम स्टे संचालक करते दिखे।