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दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के निरीक्षण पर टॉय ट्रेन से निकले डीआरएम, अतिक्रमण पर जताई चिंता

सिलीगुड़ी एनएफ रेलवे कटिहार डिविजन के डीआरएम रविंद्र कुमार वर्मा सोमवार की सुबह टॉय ट्रेन से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के निरीक्षण पर दार्जिलिंग के लिए रवाना हुए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 12:40 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 03:20 PM (IST)
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के निरीक्षण पर टॉय ट्रेन से निकले डीआरएम, अतिक्रमण पर जताई चिंता
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के निरीक्षण पर टॉय ट्रेन से निकले डीआरएम, अतिक्रमण पर जताई चिंता

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। सिलीगुड़ी एनएफ रेलवे कटिहार डिविजन के डीआरएम रविंद्र कुमार वर्मा सोमवार की सुबह टॉय ट्रेन से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के निरीक्षण पर दार्जिलिंग के लिए रवाना हुए। इस दौरान वे सुकना, तीनधरिया स्थित डीएचआर वर्कशॉप, घायाबारी, कर्सियांग, सोनादा होते हुए घूम व दार्जीलिंग तक जाएंगे। इस दौरान उन्होंने डीएचआर ट्रक के आसपास हुए अतिक्रमण पर चिंता व्यक्त की हैं।

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सोमवार को उन्होने सिलीगुड़ी जंक्शन पर कहा कि डीएचआर ट्रैक के आसपास किए गए अतिक्रमण चिंता का विषय है। यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा प्राप्त दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे की लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए तथा इसकी संपत्तियों को व्यवस्थित रखने के लिए इसे अतिक्रमण मुक्त रखना बहुत जरूरी है। अतिक्रमण को मुक्त कराने में राज्य सरकार का सहयोग चाहिए।

राज्य सरकार के सहयोग के बिना अतिक्रमण हटाना संभव नहीं है। अतिक्रमण हटाने में रेलवे प्रशासन की ओर से पश्चिम बंगाल सरकार से सहयोग करने की मांग की गई है। मुझे उम्मीद है राज्य सरकार से अपेक्षित सहयोग मिलेगा।

डीएचआर के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार अगले महीने 10 सितंबर को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन डीएचआर के दौरे पर आएंगे। उसी दिन कर्सियांग में डीएचआर संरक्षण को लेकर यूनेस्को के अधिकारियों के साथ एक बैठक भी करेंगे।बताया गया कि डीआरएम घायाबारी तथा सोनादा स्टेशन का भी निरीक्षण करेंगे, जिसे दार्जिलिंग पर्वत क्षेत्र में 2 वर्ष पहले हुए आंदोलन के दौरान जला दिया गया था।

बताया गया कि डीएचआर के संरक्षण को लेकर तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु की उपस्थिति में रेलवे द्वारा यूनेस्को के साथ वर्ष 2017 में ही कंप्रिहेंसिव कंजरवेटिव मैनेजमेंट प्लान के तहत समझौता किया गया है। इस समझौते के तहत रेलवे द्वारा डीएचआर के संपत्तियों तथा इसके संरक्षण के लिए रूपरेखा तैयार करने को लेकर 4 करोड़ रुपये भी यूनेस्को को दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा को बचाए रखने के लिए तथा इसके समर्थकों को लेकर यूनेस्को की ओर से मां-बाप नाराजगी जताने के भी मामले सामने आते रहे हैं। 

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