सर्प दंश होने से तंत्र-मंत्र के चक्कर में न पड़ें, अस्पताल जाएं
विश्वभर में सांप की 2600 प्रजातियां हैं इनमें सिर्फ 270 ही ऐसी हैं, जो विषैली होती हैं. इनमें से भी सिर्फ 25 प्रजातियां ऐसी होती हैं, जिनके काटने से मनुष्य की मृत्यु होती है।
सिलीगुडी,शिवानंद पांडेय। बारिश का मौसम शुरू होते ही सांप नजर आने लगते हैं। इसके साथ ही सांप काटने की घटनाएं भी सामने आने लगती हैं। सांप का काटना यानी सर्प दंश। इसके इलाज को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। गांव-कस्बों से अक्सर खबर आती है कि किसी को सांप ने काट लिया हो और फिर उसके उपचार के लिए किसी प्रशिक्षित डॉक्टर के पास ले जाने के बजाए झाड़-फूंक करने वाले या तांत्रिक के पास ले जाया गया था।
ऐसा भी सुनने को मिलता है कि झाड़-फूंक के प्रभाव से सर्प का जहर उतार भी दिया गया। गांव और कस्बा ही नहीं बड़े-बड़े शहरों में भी ऐसे तांत्रिक मिल जाएंगे जो मंत्र की शक्ति से सर्प, बिच्छू समेत अन्य विषैले जंतुओं व जानवरों का जहर को उतारने का दावा करते हैं।
क्या मंत्र से सर्प दंश का विष खत्म होता है- इससे यह सवाल पैदा होता है कि क्या मंत्र की शक्ति से सांप का जहर उतारा जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पहले सापोंं के बारे में यह जरूरी तथ्य जानना जरूरी होता है।
सिलीगुड़ी में शहर में सांपों के बारे में जानकारी रखने वाले तथा अब विभिन्न जगहों से सांप को पकड़ने वाले श्यामा चौधरी का कहना है कि विश्वभर में सांप की 2600 प्रजातियां हैं इनमें सिर्फ 270 ही ऐसी हैं, जो विषैली होती हैं. इनमें से भी सिर्फ 25 प्रजातियां ऐसी होती हैं, जिनके काटने से मनुष्य की मृत्यु होती है।
वहीं अगर बात भारत की करें तो यहां करीब पांच सौ सांप की प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से 15 प्रजातियों में विष पाया जाता है। हालांकि इंसान की जान लेने में समर्थ विष मुख्य रूप से केवल चार से पांच प्रजातियों के सांपों में ही पाया जाता है।
ये होते हैं जहरीले सांप :
कोबरा जिसे गेहुअन या नाग के नाम से जाना जाता है, करैत, रसैल वाईपर, और सॉ स्कैल्ड वाईपर। दरअसल होता यह है कि आम आदमी जहरीले सांपों और विष रहित सांपों में फर्क नहीं कर पाता है। सांप के काटने पर आदमी इतना भयभीत हो जाता है कि उसे कुछ सूझता ही नहीं. आम आदमी में सांप का भय इतना ज्यादा है कि विष रहित सांप के काटने पर भी उसे कोबरा नाग समझ लेता है।
सर्प दंश के बाद तंत्र-मंत्र के चक्कर में पड़ जाते हैं पीड़ित :
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल पैथौलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कल्याण खान का कहना है कि सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक रूप से आघात लगता है और वह अचेत अवस्था में जा पहुंच जाता है। सांपों के प्रति प्रचलित इसी भय का लाभ उठाकर झाड़-फूंक करने वाले लोगों को ठगते हैं। विष रहित सांप के काटने पर तो लोग झाड़-फूंक करने वाले के पास जाकर मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण बच जाते हैं, लेकिन विषैले सांप के काटने पर पीड़ित की मौत हो जाती है, ऐसे में तंत्र-मंत्र करने वाले कहते हैं कि हमारे पास लाने में बहुत देर कर दी गई है। थोड़ी देर पहले हमारे पास आ गये होते, तो यह जरूर बच जाता।
संर्प दंश होने से तुरंत जाएं अस्पताल:
सांप काटने की दशा में पीड़ित व्यक्ति को सांप झाड़ने वाले तांत्रिक के पास जाने की जगह अस्पताल ले जाना चाहिए। ताकि एंटीवेनम लगवाया जा सके। इससे जहरीले सांप के काटने पर भी रोगी को बचाया जा सकता है।
कितना खतरनाक है सर्प दंश:
इस बारे में डॉ खान ने बताया कि कोबरा और करेंथ सांपों में न्यूरो टोक्सीक जहर पाया जाता है। यह जहर ब्रेन को डेमेज करता है। वाइपर प्रजाति के सांपो में हिमोटोक्सीक होता है। ये सीधे हार्ट को नुकसान पहुंचाता है। चौथी जहरीली प्रजाति रसल वाइपर है।
खौफजदा होने व हार्ट अटैक से हो जाती है मौत
सांप काट लिया यह सोचकर पीड़ित व्यक्ति का रक्तचाप बढ़ जाता है, तथा ज्यादातर मामलों में विष फैलने से नहीं, बल्कि हृदयाघात से मौत हो जाती है।
सर्प दंश स्थिति में ये बरते सावधानी :
जिस अंग पर सर्प दंश हो उसे स्थिर रखने का प्रयास करें। अंग के आसपास किसी भी प्रकार का कट नहीं लगाएं, टिटनेस हो सकता है। कपड़ा या धागा दंश वाले जगह से थोड़ी दूरी पर बांधें। घाव को स्वच्छ पानी से साफ कर लें। तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल जाएं। सर्प दंश के बाद घबराएं नहीं, साहस से काम लें।