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बीस साल विधायक व मंत्री, पर गरीबी में ही जिया और मरे भी गरीबी में ही

आज के समय की राजनीति में जोगेश बर्मन जैसे लोग कहां हैं। बर्मन अब नहीं रहे, लेकिन उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को ताजिंदगी जो जिया, उसके माध्यम से याद आते रहेंगे।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 09:51 AM (IST)
बीस साल विधायक व मंत्री, पर गरीबी में ही जिया और मरे भी गरीबी में ही
बीस साल विधायक व मंत्री, पर गरीबी में ही जिया और मरे भी गरीबी में ही
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। एक मंत्री, मगर गरीब। यह आज के समय विश्व के आठवें आश्चर्य से कम नहीं है!! पर, यह एक हकीकत है। एक नहीं, दो नहीं, पांच नहीं बल्कि पूरे 20 साल तक विधायक व फिर मंत्री रहने के बावजूद जोगेश बर्मन अमीर नहीं बन पाए। गरीब थे, गरीब ही रहे और गरीब ही गुजर गए। सादा जीवन उच्च विचार को ताजिंदगी जिया।
   गरीबी ऐसी थी कि लंबे समय तक लीवर की बीमारी से जूझते रहना पड़ा। बीमारी जब हद से गुजरने लगी तो मजबूर हो गए। इसी वर्ष जनवरी महीने की बात है। मजबूरन, कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में चिकित्सा करवानी पड़ी। बात न बनी। उसके बाद किसी उपाय से उन्हें बेंगलुरू ले जाया गया। वहां एक प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सा कराई गई। पर, बच नहीं सके। रविवार दोपहर दुनिया छोड़ चले।
  जोगेश बर्मन पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्व वन मंत्री और पूर्व पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री थे। जलपाईगुड़ी (अब अलीपुरद्वार) जिला के फालाकाटा प्रखंड अंतर्गत भुलानीर घाट के रहनेवाले किसान पुत्र जोगेश बर्मन पेशे से सरकारी स्कूल शिक्षक थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) संग जुड़ कर राजनीति में उतरे। पहली बार वर्ष 1991 में माकपा के टिकट पर अलीपुरद्वार विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। दोबारा 1996 में भी चुनाव जीते और वन मंत्री बने। यह सिलसिला जारी रहा। वर्ष 2006 में राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बने। मंत्री बनने से पहले तक वह स्कूल शिक्षक थे। इधर, अपने अंतिम समय तक माकपा की अलीपुरद्वार जिला कमेटी के सदस्य रहे।
   उनके निधन पर, उनके साथी रहे राज्य के पूर्व नगर विकास मंत्री और सिलीगुड़ी के वर्तमान विधायक व मेयर अशोक भट्टाचार्य ने गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा कि जोगेश बर्मन का निधन केवल मात्र माकपा नहीं बल्कि पूरे उत्तर बंगाल के लोगों के लिए बड़ी क्षति है। वन मंत्री रहते हुए उन्होंने वन सरंक्षण एवं वन आधारित पर्यटन के विकास में अहम भूमिका निभाई। राज्य में ग्रामीण पर्यटन उन्हीं की देन है, जिससे जाति व जनजाति का अतुलनीय विकास हुआ। वह बड़े सज्जन पुरुष थे। अपने तो अपने विरोधियों संग भी बहुत भद्र रवैया अपनाते थे। हर किसी के समक्ष वह विनम्र ही रहे।
   उल्लेखनीय है कि 15 साल तक विधायक व मंत्री रहने के बावजूद जोगेश बर्मन वर्ष 2006 में जब फिर विधायक चुने गए व मंत्री बने तब पैतृक जमीन, घर, जेवर, इंश्योरेंस, बैंक बैलेंस आदि चल-अचल सब मिला कर उनकी कुल संपत्ति 13 लाख 14 हजार 364 रुपये की थी। ऐसी नौबत थी कि सरकारी अस्पताल में चिकित्सा करानी पड़ी। उन्हें जानने वाले लोग कहते हैं कि उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। वह केवल कथनी नहीं करनी से भी अपने आप में मिसाल थे। उन्होंने जिया, जी कर दिखाया... सादा जीवन उच्च विचार।  

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