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उत्तर बंगाल में डेल्टा वेरिएंट मिलने से हड़कंप

-जांच के लिए 43 सैंपल में 14 की रिपोर्ट पॉजिटिव -तीन यूके वेरिएंट मिलने की भी हुई पुष्टि -स्

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 09:27 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 09:27 PM (IST)
उत्तर बंगाल में डेल्टा वेरिएंट मिलने से हड़कंप
उत्तर बंगाल में डेल्टा वेरिएंट मिलने से हड़कंप

-जांच के लिए 43 सैंपल में 14 की रिपोर्ट पॉजिटिव

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-तीन यूके वेरिएंट मिलने की भी हुई पुष्टि

-स्वास्थ्य विभाग ने दी नहीं घबराने की सलाह 05

डेल्टा वेरिएंट दार्जिलिंग जिले में मिले

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यूके वेरिएंट भी जिले में मिलने की खबर

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जुलाई से पहले के हैं सभी मामले जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस के मामले के बीच उत्तर बंगाल में अब डेल्टा वेरिएंट ने भी दस्तक दे दी है। पिछले दिनों सिक्किम में कोरोना के डेल्टा वेरियंट के मामले सामने आए थे। उसके बाद अब उत्तर बंगाल में भी इस वेरिएंट के मामले सामने हैं। उत्तर बंगाल में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के 14 तथा यूके वेरिएंट के तीन मामले सामने आने के बाद लोगों में हडकंप है। हालांकि इससे लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। डेल्टा अथवा यूके वेरिएंट के मामले नए नहीं हैं। बल्कि यह मामले पिछले महीने जून से लेकर 20 जुलाई तक के जीनोम सिक्वेसिंग की जानकारी के लिए भेजे गए सैंपल से मिली जांच रिपोर्ट के हैं। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जीनोम सिक्वेसिंग की जानकारी के लिए एनबीएमसीएच के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री (वीआरडीएल) से 43 सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआइबीएमजी), कल्याणी, पश्चिम बंगाल भेजे गए थे। बताया गया कि यह सैंपल दार्जिलिंग, कालिंपोंग, जलपाईगुड़ी तथा अलीपुरद्वार जिले के मरीजों के थे। सैंपल 15-15 दिनों के अंतराल पर तीन चरणों में भेजे गए थे, जिसकी जांच रिपोर्ट बीते सोमवार को एनआइबीएमजी कल्याणी से एनबीएमसीएच को मिल गई है। मेडिकल कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दार्जिलिंग जिले में डेल्टा वेरिएंट के पांच तथा यूके वेरिएंट के दो, जलपाईगुड़ी जिले में डेल्टा वेरिएंट के तीन तथा यूके वेरिएंट के एक, अलीपुरद्वार जिले में डेल्टा वेरिएंट के पांच तथा कालिंपोंग जिले में डेल्टा वेरिएंट के एक मामले पाए गए हैं।

इस बारे में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक डॉ संजय मल्लिक ने बताया कि जीनोम सिक्वेसिंग की जानकारी के लिए भेजे सैंपल में 32.55 प्रतिशत मामले डेल्टा वेरिएंट के पाए गए। उन्होंने कहा कि हर 15 दिन पर 15 सैंपल एनआइबीएमजी कल्याणी भेजे जाते हैं। वायरस का बायोडाटा है जीनोम सिक्वेसिंग!

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री (वीआरडीएल) के एक वॉयरोलॉजिस्ट द्वारा बताया गया कि जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है। कोई वायरस किस तरह का है, किस तरह का वह दिखता है, इन सभी चीजों की जानकारी जीनोम के जरिए मिलती है। इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है। वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं। इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है।

देश में कहां-कहां हैं जीनोम सीक्वेंसिंग के लैब

देश में इस वक्त जीनोम सीक्वेंसिंग के 10 ही लैब है, जहा से कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता लगाया जाता है। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, नई दिल्ली, आíकयोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी हैदराबाद, इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज भुवनेश्वर, इन स्टेम-एनसीबीएस बेंगलुरु, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआइबीएमजी), कल्याणी, पश्चिम बंगाल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवीे), पुणे समेत अन्य लैब शामिल हैं।


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