भारत-बांग्ला देश सीमा पर तैनात जाबांज बेटियों को देखने मात्र से दुश्मन के छूटते है पसीना
देश की बेटियां अब सरहद की सुरक्षा में है। भारत-बांग्लादेश की सीमा पर सुखानी चौकी पर महिलाओं की 'शक्ति प्लाटून' को तैनात किया गया है।
सिलीगुड़ी , राजेश पटेल। देश की बेटियां अब शिक्षा में ही नहीं अव्वल हैं, देश की सरहद की सुरक्षा में भी इनका कोई सानी नहीं है। यही कारण है कि भारत-बांग्लादेश की सीमा पर सुखानी चौकी पर महिलाओं की 'शक्ति प्लाटून' को तैनात किया गया है। इनके हाथ में मोबाइल के स्थान पर राइफल और गले में आभूषण के बदले नाइट विजन दूरबीन होता है। क्या मजाल की इनकी नजर से रात में भी कोई तस्कर बचकर भारत की सीमा में प्रवेश कर सके। बीएसएफ 155वीं वाहिनी के कमांडेंट मनीष चंद्रा ने कहा कि इन बेटियों ने अपने साहस और सजगता से कई बार 'नाज' करने का मौका दिया है।
महिला शक्ति की परिभाषा अब वैयक्तिक स्वतंत्रता और स्वावलंबन तक सीमित नहीं रही। भारत की बेटियों ने घर की देहरी से बाहर निकल कर तमाम गैरपरंपरागत क्षेत्रों में परचम लहराकर साबित कर दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं। बात हो रही है देश की सीमाओं पर पैनी नजर रखतीं सीमा सुरक्षा बल की सशस्त्र वीरांगनाओं की, जो देश में नारी शक्ति की मिसाल बनी हुई हैं।
बीएसएफ की 155वीं वाहिनी की सुखानी सीमा चौकी में बटालियन की 'शक्ति प्लाटून' तैनात है। दिन हो या रात, यह महिला प्लाटून हर मोर्चे पर सीमा की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध दिखती है। एंबुश हो या सीमा पर पेट्रोलिंग। नाका हो या कैंप की सुरक्षा। ये वीरांगनाएं हर कसौटी पर खरी उतर रही हैं। दिन में मुस्तैद होकर सीमा की सुरक्षा और रात में तस्करों के गिरोह के नापाक मंसूबों पर पानी फेरतीं ये जाबांज प्रहरी नारी के शक्तिस्वरूपा होने की बात तो चरितार्थ कर रही हैं।
इस शक्ति प्लाटून की कमांडर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की निवासी रूबी ने कहा कि 'सीमा की रक्षा और प्रहरियों को कमांड करने में मुझे बहुत ही फर्क होता है। मैं अपने क्षेत्र में लड़कियों के लिए मिसाल हूं। मेरे माता-पिता और परिवार को मुझ पर नाज है।'
प्रहरी सरस्वती ने बताया कि 'सीमा चौकी मेरे लिए परिवार जैसा है। खेलकूद, परिवहन, चिकित्सा, मनोौंजन, छुट्टी तथा अन्य कल्याणकारी सुविधाओं की अच्छी व्यवस्था है।' सुरक्षा के सवाल पर प्रहरी पूनम का कहना है कि 'हम देश की सुरक्षा करते हैं। खुद असुरक्षित महसूस करने का सवाल ही नहीं है'।
बोले कमांडेंट- सीमा सुरक्षा में महिलाओं की भागीदारी समय की मांग है। पूर्वी सीमा पर महिलाओं का बल में होना प्रासंगिक है। आने वाले समय में नारी शक्ति का यह प्रतिनिधित्व बल की कुल संख्या का एक तिहाई होना है। हमारी हर महिला प्रहरी उतनी ही दक्ष और प्रशिक्षित है, जितना पुरुष बल के प्रहरी।
-मनीष चंद्रा, कमांडेंट, 155वीं वाहिनी बीएसएफ।