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साइबर क्राइम में हो सकती है उम्रकैद की सजा

इन दिनों सोशल नेटवर्किंग साईड के माध्यम से ब्लू व्हेल व मोमो गेम चैलेंज के माध्यम से युवाओं को अपना शिकार बनाने में लगे है। अब उन्‍हें मिलेगी साइबर कानून के तहत सजा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 10:59 AM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 11:06 AM (IST)
साइबर क्राइम में हो सकती है उम्रकैद की सजा
साइबर क्राइम में हो सकती है उम्रकैद की सजा

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। इन दिनों सोशल नेटवर्किंग साईड के माध्यम से ब्लू व्हेल व मोमो गेम चैलेंज के माध्यम से युवाओं को अपना शिकार बनाने में लगे है। युवाओं के ब्रेन को इस कदर अपने बस में करते है जिससे वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है। इतना ही नहीं साइबर कानून की जानकारी के अभाव में युवाओं द्वारा अनजाने में भी वे कानून के जंजाल में फंस रहे है। युवाओं को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करने के लिए गुरूवार को सिलीगुड़ी साइबर सेल की ओर से सूर्यसेन कॉलेज में कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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इसमें साइबर सेल के आइसी संजय कुमार घोष ने बताया कि आज जुर्म की दुनिया में अपराधी हमेशा कानून को गुमराह करने के लिए नये नये तरीके ईजाद कर रहे है। ऐसा ही एक अपराध है साइबर क्राइम। इस अपराध से जुड़े मामलों में आइपीसी की धाराएं इतनी सख्त है कि दोषी को मामूली जुर्माने से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है। आए दिन साइबर क्राइम की खबर सामने आती है।

आज का युग कंप्युटर और इंटरनेट का युग है। युवाओं का खासकर छात्र-छात्रओं को इंटरनेट का इस्तेमाल करना ही पड़ता है। अपराधी भी इसके सहारे ही उन्हें अपना शिकार बना रहा है। जुर्म करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेट और वल्र्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल कर रहे है। ऑनलाइन ठगी और चोरी भी इसी श्रेणी का अहम गुनाह है। किसी वेबसाइड को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए सूचना तकनीकि कानून 2000 और सूचना तकनीक संशांधन कानून 2008 लागू हाते हे। भारतीय दंड संहिता, कॉपी राइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक की आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी इसमें कार्रवाई की जा सकती है।

युवाओं को इस प्रकार की गलतियों से बचना चाहिए। उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि जाने अंजाने में वे इस प्रकार की गलती नहीं करें। उन्होंने बताया कि हैकिंग उस सिस्टम की फिजीकल एक्सेस और रिमोट एक्सेस के जरिए भी होता है। इसे दूसरे के सिस्टम में घुसकर किया जाता है। आइटी संशोधन एक्ट 2008 की धारा 43ए,धारा 66 आइपीसी की धारा 379 और 406 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके लिए तीन साल की सजा और पांच लाख का जुर्माना है।

आइटी संशोधन कानून की धारा 43बी, धारा 66 ई 67 सी आइपीसी की धारा 379, 405, 420 में भी तीन वर्ष की सजा और दो लाख तक का जुर्माना हो सकता है। भारतीय स्टेट बैंक की ओर से संजय कर्मकार और एस देवपाल ने बैक खातों और एटीएम से होने वाले खतरों के संबंध में जानकारी दी। इस मौके पर साइबर सेल के सब इंस्पेक्टर सूरज क्षेत्री और तपन शील भी मौजूद रहकर अपनी बातें बतायी।


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