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पहला डोज हो गया, दूसरा डोज खो गया!

-कोविड-19 टीका की अव्यवस्था से एक शिक्षक का हाल बेहाल -अधिकतम 115 में से 113 दिन गुजर

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 10:13 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 10:13 PM (IST)
पहला डोज हो गया, दूसरा डोज खो गया!
पहला डोज हो गया, दूसरा डोज खो गया!

-कोविड-19 टीका की अव्यवस्था से एक शिक्षक का हाल बेहाल

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-अधिकतम 115 में से 113 दिन गुजर गए, टीका का पता नहीं एक्सक्लूसिव

इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी : वह एक सरकारी स्कूल शिक्षक व समाजसेवी हैं। कोविड-19 टीका का पहला डोज ले चुके हैं। मगर, दूसरे डोज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। अब तक कुल 113 दिन गुजर चुके हैं। अब सिर्फ दो दिन ही और बचे हैं। क्योंकि, कई बार समय-सीमा में विस्तार के बाद अब अधिकतम 115 दिनों के अंतराल पर दूसरा डोज लेना जरूरी है। मगर, यहां-वहां, जहां-तहां की खाक छानने के बाद भी उनका कहीं कोई रिकॉर्ड ही नहीं मिल पा रहा है।

यह दर्द भरा माजरा शहर के प्रकाश नगर निवासी, शिक्षक व समाजसेवी संतोष तिवारी का है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2021 के दौरान चुनाव ड्यूटी हेतु उन्हें जिला प्रशासन का निर्देश आया कि कोविड-19 टीका लेना होगा। सो, वह जिला प्रशासन के चुनाव कार्यालय की ओर से ही तय दिन व स्थान अनुसार बीते 18 मार्च को बागडोगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गए और और कोविड-19 टीका का पहला डोज ले लिया। उस समय उन्हें उसकी पुष्टि पर्ची भी दी गई। मगर, उस पर्ची पर यह नहीं लिखा था कि दूसरा डोज कब और कहां मिलेगा। उन्होंने जब इस बाबत पूछा तो बताया गया कि उनके मोबाइल पर मैसेज आ जाएगा। पर, वह मैसेज आज तक नहीं आया। इधर, दूसरा डोज लेने की अधिकतम समय-सीमा अब बस पार-पार होने को ही है। सो, चिंतावश वह बीते कई दिनों से यहां-वहां की खाक छान रहे हैं।

संतोष तिवारी बताते हैं कि 'मैं दूसरे डोज के लिए भी पहले वही बागडोगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही गया जहां मैंने पहला डोज लिया था। पर, वहां मेरा नाम व दोनों मोबाइल नंबर ले कर चेक करने के बाद, मुझे बताया गया कि सिस्टम में मेरे नाम से पहले डोज का कोई रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है। सो, मुझे दूसरा डोज नहीं दिया जा सकता। फिर, मैं यही दर्द लेकर एक दिन सिलीगुड़ी जिला अस्पताल गया। वहां भी वही बात। पर, यह कहा गया कि फिर वहीं जाइए जहां पहला डोज लिए थे। कभी-कभी सिस्टम में रिकॉर्ड देर से भी होता है। नहीं तो वहां के रजिस्टर में तो ब्योरा दर्ज होगा ही। उसी अनुरूप फिर एक दिन बागडोगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गया और फिर बैरंग लौटा दिया गया। उसके बाद एक दिन घोघोमाली के निकट डाबग्राम दो नंबर ग्राम पंचायत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गया। वहां भी वही समान बात दोहरा कर लौटा दिया गया कि सिस्टम में रिकॉर्ड ही नहीं है। तब, मैंने खुद आरोग्य सेतु ऐप में अपना ब्योरा दर्ज कर देखा। वहां भी वही एक ही जवाब आया कि आपका पहला डोज होना चाहिए, आपके पास 13 अथवा 14 अंकों का रेफरेंस आइडी नंबर होना चाहिए। आपको कोविन ऐप पर रजिस्टर्ड होना चाहिए। आपको वही मोबाइल नंबर उपयोग करना चाहिए जो पहले डोज के समय किया था। मैंने अपने दोनों मोबाइल नंबर के साथ चेक किया, लेकिन मामला ज्यों का त्यों ही है'। यह गौरतलब है कि जब एक सजग, शिक्षित, सरकार के अंग, शिक्षक, व समाजसेवी व्यक्ति को ऐसी अव्यवस्था का रोना रोना पड़ रहा है तो आम भोले-भाले लोगों के साथ कैसी क्या अव्यवस्था होती होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या कहते हैं पीड़ित शिक्षक

इस अव्यवस्था पर मन मसोस कर संतोष तिवारी कहते हैं कि 'अब आखिरी बार सोमवार को जिला के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के पास जाऊंगा। अगर मसला हल हुआ तो ठीक, अन्यथा, किसी प्राइवेट संस्थान में अपने ही रुपये खर्च कर दूसरा डोज लूंगा। पर, सवाल यह भी है कि क्या प्राइवेट संस्थान भी आवश्यक सरकारी प्रक्रिया पूरी किए, रिकॉर्ड देखे बिना, दूसरा डोज देंगे? यदि दे दिए तो ठीक और नहीं दिए तो फिर क्या होगा? पहला डोज क्या बेकार चला जाएगा? फिर आगे कैसे, क्या होगा? इन सारे सवालों पर एक और सवाल यह भी है कि इन सवालों का जवाब कौन देगा?'।


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