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अब दोबारा पोस्टमार्टम नहीं,कोर्ट ने 'सेट असाइड' का दिया ऑर्डर

भाजपा समर्थक मौत मामला -पुलिस ने पहले ही पूरी प्रक्रिया का किया पालन -भाजपा सहमत नहींह

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 09:27 PM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 09:27 PM (IST)
अब दोबारा पोस्टमार्टम नहीं,कोर्ट ने 'सेट असाइड' का दिया ऑर्डर
अब दोबारा पोस्टमार्टम नहीं,कोर्ट ने 'सेट असाइड' का दिया ऑर्डर

भाजपा समर्थक मौत मामला

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-पुलिस ने पहले ही पूरी प्रक्रिया का किया पालन

-भाजपा सहमत नहीं,हाईकोर्ट जाने की तैयारी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : गत सात दिसंबर को उत्तर कन्या अभियान में दिवंगत हुए भाजपा समर्थक उलेन राय के शव के पोस्टमार्टम संबंधित आदेश को जलपाईगुड़ी जिला अदालत ने 'सेट असाइड' कर दिया है यानी वापस ले लिया है। इसे लेकर सरकारी खेमे में प्रसन्नता है। इस बाबत मंत्री गौतम देव का कहना है कि भाजपा वालों द्वारा दायर कराई पीटिशन के आलोक में अदालत ने जो आदेश दिया था उन सारी बातों का पहले ही पोस्टमॉर्टम के दौरान पालन किया गया था। तीन डॉक्टरों ने पोस्टमॉर्टम किया था। मृतक के परिजनों की उपस्थिति में पोस्टमॉर्टम हुआ। उसकी पूरी वीडियोग्राफी हुई। बाद में अदालत का जो पोस्टमॉर्टम संबंधित आदेश आया उसमें भी यही सब करने को कहा गया था जो कि पहले ही कर लिया था। इसीलिए, अब अदालत ने अपने आदेश को 'सेट असाइड' कर दिया है यानी वापस ले लिया है। इस मामले में सरकारी वकील का कहना है कि पोस्टमॉर्टम हेतु जो-जो प्रक्रिया अदालत ने आदेश में कही थीं वे सारी प्रक्रियाएं पहले ही अपनाई गई थीं। इसीलिए हमने उक्त आदेश को वापस लेने का आग्रह किया था जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

उल्लेखनीय है कि उक्त मामले में बीते आठ दिसंबर को जलपाईगुड़ी जिला अदालत से चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने शांतिबाला राय के पीटिशन के आधार पर मृतक उलेन राय के शव का पोस्टमॉर्टम तीन डॉक्टरों द्वारा वीडियोग्राफी निगरानी में करने और 11 दिसंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। उस आदेश को अब जलपाईगुड़ी जिला अदालत ने वापस ले लिया है। मृतक की दीदी शांतिबाला राय के आवेदन के आधार पर तीन दिनों के भीतर सुनवाई के बाद अदालत का यह फैसला आया है। शुक्रवार को सरकारी वकील सोमनाथ पाल ने कहा कि अगले तीन दिनों के भीतर दोनों पक्षों से सुनवाई करने का आदेश जिला अदालत की ओर से दिया गया है।

इधर, इस दिन अदालत के फैसले से भाजपा का लीगल सेल सहमत नहीं है। सेल के वकील सौजित सिंह ने बताया कि परिवार ने चाहा तो वे लोग इस नए आदेश को उच्च अदालत में चुनौती देंगे। अब चूंकि, शव को और ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता है। इसीलिए आगे अदालती प्रक्रिया में जाना है या नहीं यह मृतक के परिवार की इच्छा के अनुरूप ही होगा।


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