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कोरोना यमदूत के सामने देवदूत बनी 12 सदस्यों की टीम

-सिलीगुड़ी एवं पहाड़ के विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स शामिल - हिमाचल विहार मे पहाड़िया भवन को बना

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 06:39 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 06:39 PM (IST)
कोरोना यमदूत के सामने देवदूत बनी 12 सदस्यों की टीम
कोरोना यमदूत के सामने देवदूत बनी 12 सदस्यों की टीम

-सिलीगुड़ी एवं पहाड़ के विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स शामिल

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- हिमाचल विहार मे पहाड़िया भवन को बनाया वॉर रूम

--स्थानीय लोगों के विरोध का जरा भी डर नहीं

-जीटीए हेल्प डेस्क के प्रमुख ने भी जमाया डेरा

-संकट की घड़ी में सबसे सहयोग की अपील

— राज्य स्वास्थ्य विभाग की विशेष निगरानी जारी

- डॉक्टर चेंग में भर्ती मरीजों की जिंदगी इन्हीं हाथ विपिन राय,सिलीगुड़ी: कोरोना वायरस एक ओर जहा यमदूत बनकर पूरी दुनिया में सृष्टि को नष्ट करने पर तूला है,वहीं दूसरी और चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस तथा प्रशासन के लोग देवदूत बनकर इसका मुकाबला कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस ने भारत में भी महामारी का रूप ले लिया है। राज्य और सिलीगुड़ी शहर भी इससे अछूता नहीं है। गनीमत यह है कि सिलीगुड़ी में कोरोना वायरस के अधिक मामले सामने नहीं आए हैं। फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमित मात्र 4 रोगियों की चिकित्साचल रही है। जबकि यहां कुल् मरीजों की संख्या 15 पहुंच गई थी। इनमें से एक ही परिवार के 12 सदस्य शामिल थे। सबसे पहले कालिम्पोंग की एक महिला कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थी। उनकी मौत हो गई लेकिन उनके परिवार के संक्रमित 11 लोग जिंदगी की जंग जीत चुके हैं। इन सभी लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। कोरोना के खतरे को देखते हुए किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर तैयारी की गई है। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल एनबीएमसीएच के अलावा कुछ निजी नर्सिंग होम का अधिग्रहण भी हुआ है। इसी कड़ी में माटीगाड़ा के हिमाचल विहार स्थित डॉ चेंग नर्सिंग होम कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की चिकित्सा होती है। यहां कोरोना मरीजों की चिकित्सा के लिए 12 सदस्यों की एक विशेष टीम बनाई गई है। इस टीम की निगरानी उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख दीपाजन बनर्जी कर रहे हैं। जबकि डॉ सुमन विश्वास और डॉ हिमाद्री मजूमदार के साथ डॉक्टरों एवं नसरें की कुल 12 सदस्यों की टीम है। डॉक्टर चेंग नर्सिंग होम के पास ही स्थित पहाड़िया भवन को कोरोना वॉर रूम में तब्दील कर दिया गया है। 12 सदस्यों की टीम इसी भवन में रहती है। इस भवन के संचालन की जिम्मेदारी गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन जीटीए की है। जीटीए हेल्प डेस्क के हेड तथा कर्सियांग अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन बिन्नी शर्मा 12 सदस्यों टीम के साथ पहाड़िया भवन में ही डेरा जमाए हुए हैं। कोरोना वायरस के मरीजों की चिकित्सा के साथ-साथ कोरोना योद्धाओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसका खास ख्याल इसी वॉर रूम से रखा जा रहा है।

संकट की इस घड़ी में निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने मैदान छोड़ दिया है। सरकारी डॉक्टर ही मुख्य रूप से सहारा बने हुए हैं। निजी प्रैक्टिस करने वाले अधिकाश डॉक्टर अंडरग्राउंड हो चुके हैं। कई स्थानों पर ओपीडी सेवा बंद कर दी गई है। जिस चेंग नर्सिंग होम को सरकार ने कोरोना वायरस मरीजों की चिकित्सा के लिए लिया,उसी नर्सिंग होम के डॉक्टर काम छोड़ कर चले गए हैं। अब सारी जिम्मेदारी सरकारी डॉक्टरों पर आ पड़ी है। जो 12 सदस्य टीम बनाई गई है,इसमें सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के साथ-साथ कालिमपोंग,कर्सियाग तथा सुकना के चुनिंदा डॉक्टर एवं नर्स शामिल हैं। कोरोना मरीजों की जिंदगी और मौत एक तरह से कहें तो इन्हीं कोरोना योद्धाओं के हाथों में है। हांलाकि इन कोरोना योद्धाओं के सामने भी कुछ परेशानी है।

संकट की इस घड़ी में जहा सभी लोगों को सरकार एवं प्रशासन का साथ देना चाहिए वहीं कुछ स्वार्थी तत्व साथ छोड़ रहे हैं। इसी प्रकार की स्थिति हिमाचल विहार में भी देखने को मिली। हिमाचल विहार के रहने वाले लोगों को जैसे ही पता चला कि कोरोना वायरस मरीजों की चिकित्सा करने वाले डॉक्टर एवं नर्स पहाड़िया भवन में रह रहे हैं तो उन्होंने मोर्चा खोल दिया। कई लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। लेकिन कोरोना योद्धा इससे जरा भी नहीं डरे। माटीगाड़ा थाना की पुलिस भी वहा तैनात कर दी गई है।

टीम में कौन-कौन शामिल

सूत्रों के अनुसार इस टीम में जेनरल मेडिसिन डॉक्टर के अलावा एनएसथीसिया,इएनटी और कुछ अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। इसके अलावा चुनिंदा नसरें को इसमें शामिल किया गया है। कोरोना मरीजों की चिकित्सा में मेडिसिन तथा ईएनटी के डॉक्टरों की सबसे अधिक भूमिका रहती है। खासकर ईएनटी डॉक्टर की भूमिका तो काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। मरीज किस तरह से स्वस्थ हो रहे हैं इसके टेस्ट की जिम्मेदारी ईएनटी डॉक्टर की ही होती है। कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज के दौरान औसतन तीन बार टेस्ट होता है। जब दो बार टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव हो,तभी उन्हें छुट्टी दी जाती ह। जबकि एनस्थीसिया डॉक्टर का काम मरीजों को सास लेने में दिक्कत ना हो, यह देखना है। कोरोना वायरस की चिकित्सा के लिए अभी तक कोई दवा विकसित नहीं हुई है। सामान्य रूप से बुखार और की दवा से ही चिकित्सा होती है। हां शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाता है। डॉक्टरों के अनुसार कोरोना वायरस एक सीमित समय तक रहता है। 14 से 15 दिनों में कोरोना वायरस असर समाप्त हो जाता है। इसलिए मरीजों की चिकित्सा के दौरान सबसे ज्यादा जोर मरीजों की इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने पर दिया जाता है। क्या कहते हैं रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन

जाको राखे साइया मार सके ना कोई। यह कहना है कर्सियांग अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन तथा जीटीए हेल्प डेस्क के हेड बिन्नी शर्मा का। वह भी 12 सदस्यीय टीम के साथ पहाड़िया भवन में ही डेरा जमाए हुए हैं। डॉक्टरों एवं नसरें के ठहरने की भी व्यवस्था यहीं है। यहीं से यह लोग ड्यूटी करने चेंग नर्सिंग होम जाते हैं। बिन्नी शर्मा ने कहा कि सभी को संकट की इस घड़ी में सरकार का साथ देना चाहिए। पहाड़िया भवन में डॉक्टरों एवं नसरें के रहने की व्यवस्था राज्य सरकार ने की है। विरोध करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने लोगों से डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की मदद की अपील की। बिन्नी शर्मा ने आगे कहा की बहुत सोच समझकर पहाड़िया भवन को वॉर रूम बनाया गया है। चेंग नर्सिंग होम पास होने के कारण इस भवन का चयन किया गया है।


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