Move to Jagran APP

पहाड़ पर जारी बेमियादी बंद से दाने-दाने के लिए तरस रहे आम लोग

इस बीच, सिलीगुड़ी में विभिन्न स्थानों पर अघोषित आर्थिक नाकेबंदी के कारण पहाड़वासियों की परेशानी और बढ़ गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 11 Jul 2017 02:19 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jul 2017 02:19 PM (IST)
पहाड़ पर जारी बेमियादी बंद से दाने-दाने के लिए तरस रहे आम लोग
पहाड़ पर जारी बेमियादी बंद से दाने-दाने के लिए तरस रहे आम लोग

सिलीगुड़ी, [जागरण संवाददाता] पिछले करीब 25 दिनों से पहाड़ पर जारी बेमियादी बंद ने वहां के लोगों की कमर तोड़ दी है। बंद की घोषणा से पहले जिन लोगों ने अपने-अपने घरों में खाने-पीने का स्टॉक जमा कर रखा था, वह भी धीरे-धीरे खत्म होने को है। कई घरों में तो अब खाने-पीने के लिए अनाज बचा ही नहीं है। बैंक और राशन दुकानों को खोलने पर हो सकता है विचार । एक माह से चल रहे अलग राज्य गोरखालैंड आंदोलन को लेकर जन जीवन अस्त व्यस्त है। आम लोगों की जेब खाली हो गयी है। लोग पैसे पैसे के मोहताज हो रहे है।

loksabha election banner

ऐसे में आंदोलनकारियों, केंद्र व राज्य सरकार की नजर 11 जुलाई यानि मंगलवार को मिरिक में होने वाली गोरखालैंड मूवमेंट कॉ-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक पर टिकी है। इस बैठक में आंदोलन को समर्थन देने के लिए एनसीपी की ओर से प्रतिनिधि भी भाग ले सकते है। गोजमुमो के सह सचिव विनय तमांग का कहना है कि गोरखालैंड का आंदोलन हिल्स के साथ दिल्ली में भी चल रहा है। इस मंच पर एनसीपी के सांसद माजीद मेनन ने शरद पवार द्वारा पूर्ण समर्थन दिए जाने की बात कहीं है। ¨हसा के दौरान मारे गये गोरखा समर्थकों और लगातार बदलती स्थित को देखते हुए 18 जुलाई के बदले 11 जुलाई को बैठक की जाएगी।

आदिवासी विकास परिषद की ओर से सोमवार को बताया गया कि वे गोरखालैंड की मांग का समर्थन नहीं करते है। आदिवासी नेता बिरसा तिर्की ने कहा कि जीटीए गठन के समय भी तराई डुवार्स के 394 मौजा का उस समय भी विरोध किया गया था। पार्टी सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस बैठक में सभी बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी। आशंका है कि एक सप्ताह के लिए बैक, डाकघर और सरकारी राशन की दुकानों को खोलने की छूट दी जा सकती है। बैठक में हिल्स में सेना समेत अ‌र्द्धसैनिक बलों को अविलंब हटाने की मांग भी उठायी जा सकती है। सरकारी दफ्तरों और स्कूल कॉलेज समेत प्रतिष्ठानों के खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

गोरखालैंड के समर्थन में चल रहे अनिश्चित कालीन बंदी के दौरान सोमवार को हिल्स के सभी क्षेत्र में तेज बारिश हो रही है। सेना गश्त कर रही है। इसके बीच गोरखालैंड के समर्थन में दार्जिलिंग, कर्सियंाग, कालिम्पोंग, मिरिक, सुकना, पानीघाटा आदि क्षेत्रों में रैली निकाली गयी। बंद के दौरान हो रही ¨हसक घटनाओं को देखते हुए एक कॉलम और सेना को कालिम्पोंग में उतारा गया है। इसके पूर्व ताशी भूटिया के मौत के बाद ¨हसा के दौरान दो कॉलम सेना को दार्जिलिंग में उतारा गया था। गोरखालैंड आंदोलन के दौरान सेना की तैनाती दूसरी बार हुई है।

रविवार की आधी रात के बाद दाजिलिंग के ऋषि वन दफ्तर में आग लगा दी गयी है। उसके बाद पूरे दिन कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है। गोरखालैंड आंदोलन को लेकर लगातार फैल रहे तनाव को समाप्त करने के लिए सोमवार को माकपा की महिला गणतांत्रिक मोर्चा ने रैली निकाली भाजपा की ओर से मंगलवार को सिलीगुड़ी में रैली निकाली जाएगी। 

एनडीए के पक्ष में करेगें विधायक मतदान 

दार्जिलिंग में गोरखालैंड की मांग को लेकर चल रहेअनिश्चितकालीन बंद के बीच गोरखा जनमुक्ति मोर्चा सुप्रीमो विमल गुरुंग ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोबिंद का समर्थन करते हुए मतदान करने का फरमान जारी किया है। इसकी जानकारी दार्जिलिंग के विधायक अमर राई ने दी। सोमवार को उन्होंने बताया कि गोजमुमो एनडीए का अंग है। गोजमुमो सुप्रीमो ने आदेश दिया है कि तीनों विधायक कोलकाता जाकर एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट देंगे। उन्होंने दार्जिलिंग की हालत पर चिंता व्यक्त की और कहा कि प्रधानमंत्री को अविलंब यहां की स्थिति और लोगों की जनभावना को देखते हुए पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को गोली मारना न्याय संगत नहीं है। इसकी अविलंब सीबीआई जांच करानी चाहिए।

दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, कार्सियांग, मिरिक आदि में लोग दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी को भी इतने लंबे समय तक बंद को चलने की उम्मीद नहीं थी. अधिकांश लोगों ने 10-15 दिनों के लिए अपने-अपने घरों में खाने का स्टॉक जमा कर रखा था। 

अब चावल, दाल आदि खत्म होने को है । पैसे की भी तंगी हो रही है. बैंक, एटीएम आदि बंद पड़े हुए हैं। वाहनों के नहीं चलने से कहीं आना-जाना भी मुश्किल हो गया है।  उसके बाद भी अलग राज्य के लिए जारी आंदोलन को लेकर आम लोगों के जोश एवं जज्बे में कोई कमी नहीं आयी है। श्री थापा ने कहा कि वह लोग घास-भूसा खाकर भी अलग राज्य के लिए आंदोलन करते रहेंगे. अलग राज्य विकास के लिए नहीं, बल्कि गोरखाओं के जातीय पहचान के लिए जरूरी है। 

इस बीच, सिलीगुड़ी में विभिन्न स्थानों पर अघोषित आर्थिक नाकेबंदी के कारण पहाड़वासियों की परेशानी और बढ़ गई है। न केवल गोरखालैंड विरोधी, अपितु पुलिस द्वारा भी पहाड़ जाने वाले वाहनों पर नजर रखी जा रही है।सिलीगुड़ी से सुकना एवं सिक्किम की ओर जाने वाली सड़कों पर पुलिस की अघोषित नाकेबंदी की जा रही है।पिछले कई दिनों के दौरान इस प्रकार की घटनाएं घट गयी हैं। हालांकि इस मामले को लेकर पुलिस के आला अधिकारी कुछ भी नहीं कहना चाहते. सिलीगुड़ी के विभिन्न बाजारों में भी इनके द्वारा निगरानी रखी जा रही है।पहाड़ नंबर की गाड़ियों को देखते ही यह लोग भड़क रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.