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बेनाम सड़क वालों को है बहुत दर्द, धूल से जिंदगी दूभर

नोट जागरण विशेष का लोगो लगेगा फोटो राजेश 01 से 11 व 22 सब-हेड -न

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 09:41 PM (IST)
बेनाम सड़क वालों को है बहुत दर्द, धूल से जिंदगी दूभर
बेनाम सड़क वालों को है बहुत दर्द, धूल से जिंदगी दूभर

नोट : जागरण विशेष का लोगो लगेगा फोटो : राजेश 01 से 11, व 22 सब-हेड : -नाला नहीं होने से जल जमाव से परेशानी

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- तमाम समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग

- दैनिक जागरण की पहल पर सबने जताया आभार

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

शहर के 42 नंबर वार्ड में एनएच-31-ए के सेवक रोड से सटी हुई प्यारे दा ढाबा के बगल से शुरू हो कर अंदर ही अंदर प्रकाश नगर, लिम्बू बस्ती होते हुए सीधे नॉर्थ बंगाल आईजी ऑफिस के सामने जा कर पुन: एनएच-31-ए पर ही मिलने वाली बेनाम सड़क के किनारे की बस्तियों में बसने वाले लोगों को बहुत दर्द है। इस सड़क विशेष कर प्यारे दा ढाबा गली से आगे शिव मंदिर तक सड़क की उपेक्षा के मुद्दे को दैनिक जागरण ने लगातार उठाया तो इलाके के लोगों ने इसके प्रति आभार जताया है। इसके साथ ही इलाके की समस्याओं को इंगित करते हुए उसके समाधान की मांग की है। प्रस्तुत हैं कुछ लोगों की राय।

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यह सड़क लगभग 25 साल से उपेक्षित है। बार-बार गुहार लगाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सड़क इतनी जर्जर है कि वाहनों का आना-जाना मुहाल है। कच्ची सड़क होने के चलते इसकी धूल से इलाके के लोगों को बहुत परेशानी है। इसे अविलंब पक्की सड़क बना कर समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।

डब्ल्यू. अग्रवाल (व्यवसायी)

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सड़क कच्ची है। धूल इतनी उड़ती है कि जीना मुहाल हो जाता है। हर दिन घर में सब कुछ गंदा हो जाता है। नाला नहीं है। जलनिकासी नहीं होती। जलजमाव की समस्या रहती है। बिजली नदारद है। हम लोग धूप वाले दिनों में सोलर लैंप व बादल और बारिश वाले दिनों में दीया जला कर रहने को मजबूर हैं। इन समस्याओं का अतिशीघ्र समाधान आवश्यक है।

ज्योति छेत्री (गृहिणी)

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सड़क नहीं है। एकदम कच्ची है। धूल भरी। उसके चलते आसपास बसने वालों को बहुत परेशानी होती है। सांस लेने तक में तकलीफ होती है। नाला भी नहीं है। सड़क पर गढ्डे ही गढ्डे हैं। जलजमाव हमेशा रहता है। बिजली नहीं है। अंधेरा छाया रहता है। मच्छरों का प्रकोप है। बीमारियां होती हैं। इस दिशा में जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए।

लक्ष्मी छेत्री (गृहिणी)

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इस सड़क की कभी भी मरम्मत नहीं हुई। हमने कभी नहीं देखा। आम दिनों में तो मामला कुछ हद तक ठीक रहता है। पर, बरसात में चलना मुहाल हो जाता है। सड़क में जगह-जगह बड़े-बड़े गढ्डे व जलजमाव से आना जाना मुश्किलों भरा हो कर रह गया है। इस पर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए।

जगदीश मौरंग (स्थानीय निवासी)

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इस इलाके में काफी गोदाम हैं। कल-कारखाने भी हैं। उसके चलते भारी वाहनों विशेष कर ट्रकों की आवाजाही दिन-रात लगातार लगी रहती है। इसके अलावा अन्य वाहन वाले भी इसका सेवक रोड-चेक पोस्ट के बाइपास रोड के रूप में उपयोग करने लगे हैं। उसके चलते सड़क जर्जर से जर्जर होती जा रही है। इसकी अविलंब मरम्मत जरूरी है।

गौतम सुब्बा (व्यवसायी)

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यह सड़क हर पांच साल में एक ही बार बनती है। वह भी चुनाव के समय। उसमें भी एकदम पतली चादर सरीखी सड़क निर्मित की जाती है जो कि मुश्किल से पांच-छह महीने ही टिक पाती है। उसके बाद फिर बुरा हाल हो जाता है जैसा कि अभी है। इस सड़क को ठोस रूप में बनाए जाने पर व नियमित मरम्मत-देखरेख करने पर ही इसका कल्याण संभव है।

बागबीर राई (स्थानीय निवासी)

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शिव मंदिर से आगे फौजी माठ होते हुए प्यारा दा ढाबा गली तक यह सड़क पूरी तरह जर्जर है। आवाजाही में दिन में समस्या तो रहती ही है, रात में वह और बढ़ जाती है। क्योंकि, स्ट्रीट लाइट, रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं है। घोर अंधकार रहता है। उसके चलते रास्ते में चलने में डर लगता है। इसका कायाकल्प किया जाना चाहिए।

दशरथ ठाकुर (व्यवसायी)

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यह सड़क दो-ढाई साल पहले एक बार बनी थी। पर, निर्माण कार्य इतना घटिया था कि मात्र तीन-चार महीने में ही सड़क फिर से जर्जर हो गई। गत दो साल से समस्या है पर इसका पुन: मरम्मत कार्य नहीं किया जा रहा है। ऊपर से स्ट्रीट लाइट व रौशनी का भी अभाव है। इन समस्याओं को अविलंब दूर किया जाना चाहिए।

सिकंदर सिंह (स्थानीय निवासी)

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यह सड़क बहुत ही जर्जर हो चुकी है। वाहनों की तो बात ही छोड़ दें पैदल जाने-आने में भी बड़ी दिक्कत होती है। बरसात में तो सब कुछ चौपट हो जाता है। निचली बस्ती से हो घूम कर जाना पड़ता है। फिर नाला नहीं है। स्ट्रीट लाइट नहीं है। इन समस्याओं का शीघ्र समाधान होना चाहिए।

दीपिका रॉय (स्थानीय निवासी)

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शिव मंदिर से आगे फौजी माठ होते हुए प्यारा दा ढाबा गली तक की सड़क का नाम 'साइपत्री' रोड है। शब्द 'साइपत्री' का अर्थ पीला सुंदर फूल होता है। वैसे यह इस सड़क का आधिकारिक नाम है या नहीं, मुझे पता नहीं। मैं 22 साल का हूं और बचपन से अब तक इस सड़क को ऐसे ही बुरे हाल में देखता आया हूं। इसका कल्याण होना चाहिए।

अनीप रॉय (स्थानीय निवासी)

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इस सड़क को बहुत पहले 'साइपत्री' रोड कहा जाता था। वैसे यह इस सड़क का आधिकारिक नाम है या नहीं, मुझे पता नहीं। यह सड़क बहुत ही जर्जर है। सड़क किनारे नाला भी नहीं है। स्ट्रीट लाइट भी नहीं है। एक साल से सड़क का मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। अविलंब इसका पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए।

अविनाश रॉय (स्थानीय निवासी)

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यह सड़क बहुत पुरानी है। पहले पंचायत के अधीन थी। अब सिलीगुड़ी नगर निगम के अधीन है। 42 नंबर वार्ड में पड़ती है। इसका अब तक कोई आधिकारिक नाम नहीं है। इस सड़क का अस्तित्व सिलीगुड़ी नगर निगम के अस्तित्व से भी पुराना है। पहली बार 1983-84 में पंचायती राज के दौरान ही यह सड़क कच्ची से पक्की बनी। उसके बाद से फिर इसे कोई पूछने वाला न रहा। इधर, दैनिक जागरण ने इसके मुद्दे को उठाया है। इसलिए आभार। वार्ड पार्षद दिलीप सिंह ने भी शीघ्र ही इसके कायाकल्प की बात कही है। उनका भी आभार। यह सड़क अविलंब बेहतर बननी चाहिए।

प्यारा सिंह (व्यवसायी)

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प्यारे दा ढाबा गली से फौजी माठ होते हुए आगे शिव मंदिर तक आधा किलोमीटर लंबी सड़क, जिसकी चौड़ाई 20 फीट लगभग है, जल्द ही बनेगी। इसके लिए 45 लाख रुपये की योजना है। टेंडर भी पास हो चुका है। वर्क ऑर्डर की प्रक्रिया चल रही है जो जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। उसके तुरंत बाद इसी दिसंबर महीने से ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उस सड़क क्षेत्र में आबादी नाम मात्र की है। इसके बावजूद उसके विकास को हम तत्पर हैं। स्ट्रीट लाइट व रौशनी की व्यवस्था को भी और उन्नत किया जाएगा। रही बात, सड़क के बेनाम होने की, तो, उसके लिए नगर निगम में अलग से नामकरण कमेटी है वह उस पर विचार करेगी। अगले नए साल 2020 में हमारे वार्ड वासियों को यही एक सड़क नहीं बल्कि कई नए तोहफे मिलेंगे।

दिलीप सिंह

पार्षद-42 नंबर वार्ड

चेयरमैन-सिलीगुड़ी नगर निगम


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